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सम्राट अशोक के बाद अब वीर कुंवर सिंह की जयंती मनाने की तैयारी में जुटी BJP, प्रदेश कार्यालय में हुई बैठक

पटना बीजेपी प्रदेश कार्यालय में प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल की अध्यक्षता में बाबू वीर कुंवर सिंह की जयंती (Veer Kunwar Singh Jayanti In Arrah Jagdishpur) समारोह को लेकर एक बैठक की गई. बैठक में बीजेपी के कई मंत्री, विधायक और संगठन के महामंत्री मौजूद रहे. पढ़िए पूरी खबर..

Veer Kunwar Singh Jayanti In Arrah Jagdishpur
Veer Kunwar Singh Jayanti In Arrah Jagdishpur

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Published : Apr 13, 2022, 1:31 PM IST

पटना: 23 अप्रैल को आरा के जगदीशपुर में बाबू वीर कुंवर सिंह की जयंती समारोह का आयोजन होना है, जिसमे केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (amit shah bihar visit on veer kunwar singh birth anniversary) भी शरीक होंगे. भाजपा इस कार्यक्रम की तैयारी में लगी है. आज बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल (BJP State President Sanjay Jaiswal) के नेतृत्व में बीजेपी कार्यलय में एक बैठक (Meeting held at BJP office in Patna) का आयोजन किया गया. जिसमें बीजेपी के सभी मंत्री, विधायक और संगठन के महामंत्री भी मौजूद रहे. इस दौरान कार्यक्रम को लेकर संगठन के कई पदाधिकारियों को जिम्मेदारियां भी दी गयीं.

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केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह होंगे शामिल:उन्होंने कहा कि बाबू वीर कुंवर सिंह (Freedom Fighter Babu Veer Kunwar Singh) ने सन् 1857 की आजादी की लड़ाई में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. ऐसे में बीजेपी ने उनकी जयंती को विजय जयंती के रूप में मनाने का फैसला किया है. जिसमें देश के गृहमंत्री अमित शाह भी शामिल होंगे. बता दें कि बीजेपी आगामी 23 अप्रैल को भोजपुर जिले के जगदीशपुर में देश के आजादी में अहम भूमिका निभाने वाले बाबू वीर कुंवर सिंह की जयंती मना रही है. जिसकी तैयारी को लेकर भाजपा प्रदेश कार्यालय में बैठक का आयोजन किया गया.

जयंती की तैयारी में जुटी बीजेपी: पार्टी के प्रवक्ता प्रेम रंजन पटेल ने कहा कि आजादी का अमृत महोत्सव चल रहा है. स्वतंत्रता संग्राम में बाबू वीर कुंवर सिंह की बड़ी भूमिका थी. इसबार उनके जन्मस्थली जगदीशपुर में एक बड़े कार्यक्रम का आयोजन 23 अप्रैल को होना है, जिसमे देश के गृह मंत्री अमित शाह भी आने वाले हैं. आज उसी को लेकर बीजेपी प्रदेश कार्यलय में बैठक हुई है.

"कार्यक्रम की रूप रेखा तय की जानी है. हमलोग चाहते है कि ये कार्यक्रम यादगार हो. बाबू कुंवर सिंह के देश के प्रति त्याग बलिदान को लोग समझे उनसे प्रेरणा लें. यही इस कार्यक्रम का उद्देश्य है. कार्यक्रम की सफलता के लिए बीजेपी के सभी मंत्री संगठन के लोगों को अलग अलग जिम्मा दिया गया है."- प्रेम रंजन पटेल, बीजेपी प्रवक्ता

101011 तिरंगा झंडा फहराने की तैयारी: गृह मंत्री के आगमन से पूर्व भाजपा भव्य तैयारियों में जुटी है. बाबू वीर कुंवर सिंह की स्मृति में भाजपा 101011 तिरंगा झंडा फहराने की तैयारी कर रही है. जगदीशपुर में तिरंगा के साथ लोगों का कुंभ लगेगा. बिहार के 14 जिलों के कार्यकर्ता तिरंगा कार्यक्रम में शिरकत करने पहुंचेंगे. भाजपा की कोर कमेटी में इस बाबत निर्णय भी लिया जा चुका है और इस योजना पर काम शुरू कर दिया गया है. पार्टी इस बार एक लाख से अधिक तिरंगा झंडा के साथ विश्व रिकॉर्ड बनाने की तैयारी कर रही है.


कौन थे बाबू वीर कुंवर सिंह: 1857 का संग्राम ब्रिटिश शासन के खिलाफ एक बड़ी और अहम घटना थी. इस क्रांति की शुरुआत 10 मई, 1857 को मेरठ से हुई, जो धीरे-धीरे बाकी स्थानों पर फैल गई. वैसे तो संग्राम में कई लोगों ने अपनी जान की बाजी लगाई लेकिन अंग्रेजों के साथ लड़ते हुए अपने क्षेत्र को आजाद करने वाले एकमात्र नायक बाबू वीर कुंवर सिंह थे. उन्होंने 23 अप्रैल, 1858 को शाहाबाद क्षेत्र को अंग्रेजों के चंगुल से मुक्त कराया था. उन्होंने जगदीशपुर के अपने किले पर फतह पाई थी और ब्रिटिश झंडे को उतारकर अपना झंडा फहराया था. उसी आजादी का पारंपरिक विजयोत्सव दिवस 23 अप्रैल को मनाया जाता है.


कब उठाई बाबू वीर कुंवर सिंह ने तलवार? : 1857 के संग्राम के दौरान पटना एक अहम केंद्र था जिसकी शाखाएं चारों ओर फैली थीं. पटना के क्रांतिकारियों के मुख्य नेता पीर अली को अंग्रेजों ने फांस दे दी थी जिसके बाद दानापुर की देसी पलटनों ने स्वाधीनता की घोषणा कर दी. ये पलटनें जगदीशपुर की तरफ गईं और कुंवर सिंह ने इनका नेतृत्व संभाला. इसके बाद कुंवर सिंह ने कई कामयाब हासिल कीं. उन्होंने आरा में अंग्रेजी खजाने पर कब्जा किया. जेलखाने के कैदी रिहा किए. उन्होंने आजमगढ़ पर कब्जा किया. इतना ही नहीं लखनऊ से भागे कई क्रांतिकारी भी कुंवर सिंह की सेना में आ मिले थे.

जब एक हाथ से लड़े बाबू वीर कुंवर सिंह : अप्रैल 1958 में नाव के सहारे गंगा नदी पार करने के दौरान अंग्रेजों ने कुंवर सिंह पर हमला कर दिया था. वह नदी पार करते समय अपने पलटन के साथ ईस्ट इंडिया कंपनी के सैनिकों से घिर गए थे. इस क्रम में उनके हाथ में गोली लग गई. गोली उनकी बायीं बांह में लगी. गोली लगने के बाद उन्होंने अपने ही तलवार से हाथ काटकर उसे गंगा नदी में अर्पित कर दिया. हालांकि, घायल होने के बावजूद उनकी हिम्मत नहीं टूटी और जगदीशपुर किले को फतह कर ही दम लिया. एक ब्रिटिश इतिहासकार होम्स ने उनके बारे में लिखा है, ‘यह गनीमत थी कि युद्ध के समय उस कुंवर सिंह की उम्र 80 थी. अगर वह जवान होते तो शायद अंग्रेजों को 1857 में ही भारत छोड़ना पड़ता.'

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