पटना:पीएमसीएच (PMCH) की व्यवस्था दिन-ब-दिन बुरी होती जा रही है. मरीजों और परिजनों की तकलीफ कम होने के बजाय बढ़ रही है. पीएमसीएच में लगातार चमकी बुखार (Chamki Fever) के मरीज पहुंच रहे हैं. परिजनों का कहना है कि इलाज तो यहां हो रहा है. लेकिन हमें दवाइयां बाहर से खरीदनी पड़ रही है.
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परिजनों को कोई भी दवाई अस्पताल में नहीं मिल रही है. इस वजह से परिजन काफी नाराज नजर दिख रहे हैं. उनका कहना है कि जितना बड़ा हॉस्पिटल का नाम सुने हुए थे, उसके अनुरूप यहां कुछ भी नहीं है.
'10 वर्षीय छोटे भाई को पिछले महीने बुखार आया. बुखार काफी बढ़ गया. अनुमंडलीय अस्पताल ले गए तो वहां चमकी बुखार बता कर वहां से पीएमसीएच रेफर कर दिया गया. 1 अगस्त को जब पीएमसीएच पहुंचे तो यहां सभी प्रकार की जांच की गई. जिसमें लीवर में थोड़ा प्रॉब्लम डिटेक्ट हुआ है. लेकिन 10 दिन बाद आज हालात ऐसे हैं कि डॉक्टर की तरफ से बताया जा रहा है कि बच्चे के शरीर का बहुत सारा ऑर्गन फेल कर चुका है. उसे अब वेंटिलेटर पर रखा गया है. यहां अव्यवस्था बहुत अधिक है. डॉक्टर ने जो भी दवाइयां कहीं थीं, अस्पताल में वह नहीं मिल रही है. बाहर से खरीद कर लाना पड़ा. हेल्थ अपडेट भी नियमित नहीं दी गई. जब बच्चे को वेंटिलेटर पर ले जाया गया, तब इसकी जानकारी दी गई कि काफी सारे ऑर्गन फेल हैं.'-सलाउद्दीन, परिजन
'बच्चे को जन्म के बाद से ही परेशानी है. पीएमसीएच के शिशु वार्ड में उसे एडमिट किया गया है. मगर बच्चे से मिलने नहीं दिया जा रहा है. बच्चे से मिलने सिर्फ बच्चे की मां जा सकती है. वह भी जब जा रही है तो नर्सों द्वारा काफी हो-हल्ला किया जा रहा है. इलाज के लिए डॉक्टरों ने जो दवाइयां लिखी हैं, वह पीएमसीएच में नहीं मिल रही हैं. ऐसे में बाहर से खरीद कर लाना पड़ रहा है.'-सूरज, परिजन
'भांजे को बीते दिनों काफी तेज बुखार आ गया था और बुखार सिर पर चढ़ गया था. परेशानी अधिक बढ़ने पर सदर अस्पताल ले जाया गया. जहां से पीएमसीएच रेफर कर दिया गया. बच्चे को चमकी की शिकायत है. यहां डॉक्टर अच्छी तरीके से देख रहे हैं, दवाइयों का लाभ हो रहा है. मगर डॉक्टर जो कुछ भी दवाइयां लिख रहे हैं, अस्पताल में नहीं मिल रही हैं. बाहर से खरीदना पड़ रहा है. 1 सितंबर को अपने भांजे को लेकर पीएमसीएच में आए हैं. अब तक 40 हजार रुपए से अधिक की दवाइयां खरीद चुके हैं.'-संजय कुमार, परिजन
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