पटना:राजकीय आयुर्वेद महाविद्यालय (Ayurveda College Patna) में स्थित राजकीय आयुर्वेद एवं यूनानी औषधिशाला आयुर्वेदिक औषधि निर्माण के लिए प्रदेश का सबसे बड़ा औषधिशाला है. जब इसकी स्थापना की गई तो उसका उद्देश्य था कि प्रदेश के जितने भी आयुर्वेदिक और यूनानी अस्पताल हैं, वहां दवाइयों का वितरण यहीं से निर्मित दवाइयों से होनी थी. मगर यहां से सिर्फ पटना की आयुर्वेद और यूनानी कॉलेज की डिमांड ही पूरी हो पा रही है.
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बता दें कि औषधि निर्माण शाला में मैन पावर की कमी भी एक गंभीर वजह है जिस वजह से दवा का निर्माण डिमांड के अनुरूप नहीं हो पाता है. इसके अलावा अधिक उत्पादन के लिए अत्याधुनिक मशीन की भी कमी है.
'यहां 63 प्रकार की आयुर्वेदिक दवाइयां और 62 प्रकार की यूनानी दवाइयां निर्मित की जाती हैं. अभी सिर्फ पटना के आयुर्वेदिक और यूनानी अस्पताल की यहां से डिमांड की पूर्ति हो पाती है. बिहार सरकार से भी इस मुद्दे पर बात चल रही है कि जल्द से जल्द इसे और औषधि निर्माण शाला को उस लेवल पर डिवेलप किया जाए जो इसका उद्देश्य था. इसे डेवलप करने के लिए बीएमएसआईसीएल को 81 लाख रुपए दिए गए हैं. ताकि एक बड़ी मशीन का इंस्टॉलेशन हो सके. जिससे कि दवा उत्पादन की क्षमता बढ़ सके. जिस दिन यह मशीन इंस्टॉल हो जाएगी, निश्चित रूप से दवा उत्पादन बढ़ जाएगी. प्रदेश भर के आयुर्वेदिक और यूनानी अस्पतालों में यहां से निर्मित दवाइयों की आपूर्ति संभव हो सकेगी.'-डॉ. विश्वनाथ राय, प्रबंधक, राजकीय आयुर्वेद एवं यूनानी औषधिशाला