पटना: पटना मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल (पीएमसीएच) में मेडिकल छात्रों के लिए 11 हॉस्टल बने हुए हैं और लगभग सभी हॉस्टल की हालात काफी खराब हो चुके हैं. अधिकांश बॉयज हॉस्टल के बाथरूम के दरवाजे टूटे हुए हैं. इसके अलावा हॉस्टल में साफ सफाई की व्यवस्था भी पर्याप्त नहीं है. मेस में भी स्वच्छता का बिल्कुल भी ध्यान नहीं रखा जाता. एमबीबीएस स्टूडेंट्स इसी गंदगी के बीच बैठकर खाना खाते हैं. बरसात के दिनों में हॉस्टल भवन की दीवार से पानी का रिसाव होता है. छत का कंक्रीट भी झड़कर गिरता रहता है.
हॉस्टल की दीवार से झड़कर गिर रहा कंक्रीट ऐसे में स्टूडेंट्स के मन में हमेशा किसी बड़े अनहोनी की आशंका बनी रहती है और वह डरे-सहमे रहते हैं. अधिकांश हॉस्टलों के कमरों की खिड़कियां पूरी तरह से क्षतिग्रस्त है और यह पूरी तरह से असुरक्षित नजर आते हैं. मेडिकल छात्र अपनी समस्याओं को लेकर कई बार पीएमसीएच के प्राचार्य से मिल चुके हैं, लेकिन अभी तक उनका समाधान नहीं हो सका है.
हॉस्टल में चारों ओर पसरी है गंदगी झड़ रहा हॉस्टल की छत का कंक्रीट
एमबीबीएस फाइनल ईयर के छात्र ने कैमरे के सामने ना आने के शर्त पर अपनी समस्याओं को बताते हुए कहा की हॉस्टल में पानी की भी अच्छी सुविधा उपलब्ध नहीं है और अक्सर पानी की सप्लाई कई दिनों के लिए ठप हो जाती है. उन्होंने कहा कि हॉस्टल का आरओ वाटर सिस्टम भी खराब हो चुका है. उन्होंने कहा कि हॉस्टल भवन इतना जर्जर है कि इसका मलवा झड़कर गिरता रहता है. छात्रों ने बताया कि वे इससे पहले जब भी अपनी समस्याओं को मीडिया की नजर में लाए हैं, उनके ऊपर कार्रवाई हुई है. इस लिए वे अपनी बात भी खुलकर सामने नहीं रख पाते हैं.
हॉस्टल की जर्जर छज्जी और खिड़की नए भवन के निर्माण में हो रही देरी
पीएमसीएच के 11 हॉस्टल (बॉयज और गर्ल्स मिलाकर) में लगभग 2,000 स्टूडेंट्स रहते हैं. सभी इसी हॉस्टल में रहने को मजबूर हैं क्योंकि अभी तक बीएमसीएस की तरफ से इन छात्रों के लिए अलग से हॉस्टल की व्यवस्था नहीं की गई है, जबकि सभी हॉस्टल भवनों की मियाद पूरी हो चुकी है. सरकार की तरफ से 2 वर्ष पूर्व इन सभी जर्जर हो चुके पुराने हॉस्टल भवनों को तोड़कर वहां पर नए भवन बनाने का जिम्मा बीएमएसआईसीएल को सौंपा गई है. एक-एक करके हॉस्टल तोड़े जाने हैं और नए भवन बनाए जाने हैं. इसके अलावे हॉस्टलों के रिपेयरिंग का भी काम उसी कंपनी को दिया गया है, ताकि जब तक भवन पूरी तरह टूटते नहीं है, उसका रिपेयरिंग करके उसे सुरक्षित रखा जा सके. इसके लिए बीएमएसआईसीएल को लगभग एक करोड़ 70 लाख रुपये सरकार की तरफ से लगभग 1 साल पूर्व एडवांस में मिल चुका है. मगर अब तक इस पर कोई काम शुरू नहीं हुआ है. डॉक्टर हॉस्टल-2 की हालत 11 हॉस्टलों में सबसे ज्यादा जर्जर है. हॉस्टल भवन पर जगह-जगह पेड़ पौधे उग आए हैं और दीवारों में दरार नजर आती है. डॉक्टर हॉस्टल-2 के अलावा डॉक्टर हॉस्टल-1, धनवंतरी और नागार्जुन हॉस्टल की हालात भी काफी दयनीय है.
प्राचार्य ने आउटसोर्सिंग कंपनी पर फोड़ा ठिकरा
इस संबंध में पूछे जाने पर पीएमसीएच के प्राचार्य डॉक्टर विद्यापति चौधरी ने कहा कि अस्पताल के भवन निर्माण का पूरा काम आउटसोर्सिंग कंपनी बीएमएसआईसीएल को करना है. उसे एडवांस में 1.70 करोड रुपये दिए भी गए हैं. एक साल बीत जाने के बाद भी छात्रों की समस्या दूर नहीं हुई है. इस मसले पर वह कई बार बीएमएसआईसीएल से मांग कर चुके हैं कि शीघ्र इस समस्या का निदान किया जाए लेकिन अभी तक इस दिशा में काम नहीं हो पाया है. उन्होंने यह स्वीकार किया कि हॉस्टल के भवन काफी पुराने हो चुके हैं और यह खतरनाक स्थिति में हैं.