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सिर्फ कागजों पर बन गए जमीन के मालिक, भूमि सुधार के तहत 3 डिसमिल जमीन के लिए तरस रहे गरीब

बिहार में भूमि सुधार नियम के तहत गरीबों को 3 डिसमिल जमीन का अब तक बंदोबस्त नहीं हो सका है. मसौढ़ी के कई गरीब (Many villagers Not Got Land In Masaurhi) लोग जमीन के कागजात मिलने के बाद भी अपनी भूमि के लिए तरस रहे हैं.

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Published : Feb 14, 2022, 7:46 PM IST

पटनाः मसौढ़ी अनुमंडल के हांसाडीह गांव (Hansadih Village Masaurhi) में सैकड़ों लोग कागजों पर जमीन के मालिक तो बन गए. लेकिन उनकी जमीन कहां है, किसी को कुछ पता नहीं. दरअसल भूमि सुधार नियम (Land Reform Rules) के तहत सरकार ने गरीबों को 3 डिसमिल जमीन देकर उन्हें बसाने की कवायद तो शुरु की. लेकिन बासगीत पर्चा देकर ही छोड़ दिया. पर्चा देकर सरकार भूल गई कि उन्हें बसाना भी है, ऐसे में अब उग्र लोग आंदोलन की तैयारी कर रहे हैं, जगह-जगह पर विरोध प्रदर्शनशुरू हो चुका है.

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भूमि सुधार नियम के तहत बिहार सरकार ने गांव-गांव में गरीबों के बीच 3 डिसमिल जमीन देकर उन्हें बसाने की कवायद शुरू कर थी. 2009 में हजारों परिवारों को उन्हें बासगित पर्चा दिया गया. लेकिन आज तक जमीन नहीं दिला पाई. नतीजन आज भी लोग पॉलिथीन टांग कर, झोपड़ी बनाकर जहां-तहां रहने को विवश हैं. इसको लेकर लगातार विरोध प्रदर्शन भी हो रहा है और अब ये गरीब लोग उग्र आंदोलन के मूड में हैं. मसौढ़ी प्रखंड में तकरीबन 3,300 ऐसे परिवार हैं, जो आज भी 3 डिसमिल जमीन के लिए तरस रहे हैं.

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इस सिलसिले में अंचलाधिकारी मृत्युंजय कुमार ने कहा कि करोना में 2 साल सभी कार्यालय व्यस्त रहा. लेकिन अब धीरे-धीरे सरकारी अमीन और राजस्व कर्मचारी को बताया गया है कि जिन्हें जहां जमीन आवंटित की गई है, उन्हें बताया जाए. अब राजस्व कर्मचारी और अमीन की एक टीम बनाकर सभी पंचायतों में युद्ध स्तर पर जिन्हें पर्चा मिला है, उन्हें बसाने की कवायद शुरू हो जाएगी.

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