पटनाःजेडीयू ने राज्यसभा उपचुनाव (Rajya Sabha By Election 2022) में कर्नाटक के अनिल हेगड़े को अपना उम्मीदवार बनाया है. उनका निर्विरोध चुना जाना तय है, क्योंकि उनके अलावे किसी ने भी नामांकन दाखिल नहीं किया है. अनिल हेगड़े तो फिर भी एक सामान्य जेडीयू कार्यकर्ता हैं लेकिन देश के कई दिग्गज नेता भी बिहार से (Other State Leaders Became MP From Bihar) लोकसभा और राज्यसभा के सदस्य बनकर गए हैं. कर्नाटक के जार्ज फर्नांडीस और मध्य प्रदेश के शरद यादव कई बार बिहार से लोकसभा के चुनाव जीते हैं. वहीं, राज्यसभा की बात करें तो पूर्व पीएम इंद्र कुमार गुजराल और केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान बिहार की नुमाइंदगी कर चुके हैं.
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बिहार से लोकसभा और राज्यसभा जाने वाले दूसरे राज्यों के नेताओं की लंबी फेहरिस्त है. सरोजिनी नायडू, जेबी कृपलानी, चंद्रशेखर, शरद यादव, कपिल सिब्बल, प्रेम चंद्र गुप्ता, पवन वर्मा, केसी त्यागी, राम जेठमलानी, धर्मेंद्र प्रधान और हरिवंश समेत कई अन्य नाम हैं. इसमें से कुछ तो अभी भी सदस्य हैं. जॉर्ज फर्नांडिस बिहार से 7 बार सांसद बने तो शरद यादव चार बार सांसद बने. उसके बाद राज्यसभा भी बिहार से ही गए. मधु लिमये बांका और मुंगेर से चार बार सांसद बने. उसी तरह चंद्रशेखर महाराजगंज से लोकसभा सांसद चुने गए. इंद्र कुमार गुजराल बिहार से राज्यसभा के लिए चुने गए और प्रधानमंत्री भी बने. बिहार से चुने जाने वाले नेताओं की संख्या काफी अधिक है. सरोजिनी नायडू से लेकर अनिल हेगड़े तक इसमें से बड़ी संख्या में समाजवादियों की रही है.
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'बिहार समाजवादियों की धरती है. महात्मा गांधी की कर्मभूमि रही है, जयप्रकाश नारायण की धरती है. बिहार की जनता समाजवादी धारा के जो नेता हैं, उन्हें पसंद करती रही है और उन नेताओं को भी बिहार रास आता रहा है, इसीलिए बिहार के नहीं रहते हुए भी दूसरे राज्यों के नेताओं ने बिहार का प्रतिनिधित्व किया है. बिहार ने उन्हें प्यार दिया है. जॉर्ज फर्नांडीज बिहार के नहीं थे. लेकिन मुजफ्फरपुर सहित कई स्थानों से सांसद चुने गए. शरद यादव मध्य प्रदेश के थे लेकिन कई बार सांसद बने. मधु लिमये बांका से सांसद चुने गए तो ऐसे कई समाजवादी नेता हैं, जो बिहार में रच बस गए क्योंकि बिहार ने उन्हें पसंद किया. अभी अनिल हेगड़े उम्मीदवार बनाए गए हैं, वो बिहार में लगातार काम करते रहे हैं'- प्रगति मेहता, प्रवक्ता, जेडीयू
वहीं, बीजेपी प्रवक्ता विनोद शर्मा का कहना है कि पार्टियां अपनी सुविधा और राज्यों में सीटों की उपलब्धता के हिसाब से दूसरे राज्यों के नेताओं को भी सदन में भेजती हैं. जैसे अभी जदयू ने अनिल हेगड़े को भेजने का बड़ा फैसला लिया है. पहले भी कई लोग बिहार से गए हैं. इसमें कोई खराबी नहीं है, ये तो अच्छी बात है.