पटना: बिहार में कई वर्षों से ऐच्छिक ट्रांसफर का इंतजार कर रहे हजारों महिला, दिव्यांग और पुरुष शिक्षकों का इंतजार लगातार बढ़ता जा रहा है. पिछले वर्ष अगस्त महीने में सरकार ने सेवा शर्त लागू किया था. एक साल से ज्यादा समय बीत जाने के बाद भी सरकार ने सेवा शर्त की घोषणा के मुताबिक एक भी आदेश लागू नहीं किया. विशेष रूप से ऐच्छिक तबादले के इंतजार में हजारों महिला और दिव्यांग शिक्षक परेशान हैं लेकिन शिक्षा विभाग इस पर स्पष्ट निर्णय नहीं ले पा रहा है.
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बता दें कि पिछले साल अगस्त महीने में जब नियोजित शिक्षकों की सेवा शर्त लागू हुई तो शिक्षक काफी खुश हुए. उन्हें लगा कि अब महिला और दिव्यांग शिक्षकों के ऐच्छिक स्थानांतरण का मामला जल्द सुलझ जाएगा और उन्हें जल्द ही अपने गृह जिले में काम करने का मौका मिलेगा. लेकिन एक साल बाद भी सरकार इस मामले पर चुप्पी साधे है. आर्थिक और मानसिक परेशानियों से जूझ रहे बिहार के हजारों महिला और दिव्यांग शिक्षक परेशान हैं लेकिन सरकार के कानों पर जूं तक नहीं रेंग रही.
नियम है कि ट्रांसफर के इच्छुक शिक्षकों को शिक्षा विभाग के पोर्टल पर ऑनलाइन आवेदन करनें पर उन्हें अपनी कोटि के मुताबिक ट्रांसफर का मौका मिलेगा. महिलाओं और दिव्यांग शिक्षकों को सेवाकाल में एक बार च्वाइस ट्रांसफर का मौका मिलेगा. जबकि पुरुष शिक्षकों को म्यूच्यूअल ट्रांसफर का मौका मिलेगा. स्थानातंरण की प्रक्रिया से पहले बिहार के सभी जिलों के डीईओ जिलावार, नियोजन इकाईवार, विषयवार और कोटीवार रिक्त पदों की सूचना पोर्टल पर अपलोड करेंगे.
जिन शिक्षकों के सर्टिफिकेट की जांच की जा रही है, वे ट्रांसफर के लिए आवेदन नहीं कर पाएंगे. कम से कम 3 वर्ष तक काम कर चुके शिक्षक ही ट्रांसफर के लिए आवेदन कर पाएंगे और उन्हीं शिक्षकों को आवेदन का मौका मिलेगा जिन पर कोई अनुशासन या निलंबन की कार्रवाई नहीं चल रही हो. जितने पदों के लिए प्राथमिक से उच्च माध्यमिक तक छठे चरण के नियोजन की प्रक्रिया चल रही है, उतने पदों के अतिरिक्त जो जगह खाली होंगी सिर्फ उन्हीं सीटों पर स्थानांतरण होगा.
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हालांकि ट्रांसफर नियमावली में खामियों को लेकर शिक्षक संघ ने कई बार शिक्षा विभाग को लिखित आवेदन दिया है. उनका कहना है कि ट्रांसफर पॉलिसी में कई खामियां हैं. जिसकी वजह से काफी कम शिक्षकों को ही लाभ मिल पाएगा. देरी की असल वजह छठे चरण के नियोजन की प्रक्रिया है. सरकार का पूरा फोकस फिलहाल नियोजन पूरा कराने पर है. जिसकी वजह से ट्रांसफर की प्रक्रिया शुरू नहीं हो पा रही.
महिला और दिव्यांग शिक्षकों को च्वाइस ट्रांसफर जबकि पुरुष शिक्षकों को म्यूच्यूअल ट्रांसफर किए जाने को लेकर भी शिक्षक संघ सवाल खड़े कर रहे हैं. बिहार माध्यमिक शिक्षक संघ के सदस्य और सेवानिवृत्त शिक्षक शैलेंद्र कुमार शर्मा ने बताया कि पिछले साल जब से सेवा शर्त लागू हुई है, तब से सेवा शर्त का एक भी प्रावधान सरकार ने लागू नहीं किया. चाहे शिक्षकों को आर्थिक लाभ देने का मामला हो या उनकी सेवा से जुड़े लाभ. उन्होंने कहा कि सरकार पता नहीं क्यों शिक्षकों को अपना सबसे बड़ा दुश्मन समझती है.
इस मामले में शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव संजय कुमार ने ट्रांसफर मामले को लेकर मंगलवार को एक समीक्षा बैठक बुलाई है. जिसमें इससे जुड़े तमाम पहलुओं और सॉफ्टवेयर को लेकर भी विचार होगा और उसके बाद इस बारे में कोई फैसला होगा.