नयी दिल्ली: कृषि कानूनों पर सुप्रीम कोर्ट का निर्णय स्वागतयोग्य है लेकिन सुप्रीम कोर्ट द्वारा बनाई गई कमेटी से न्याय की उम्मीद नहीं, ये कहना है राजद के राज्यसभा सांसद मनोज झा का. नई दिल्ली में उन्होंने ईटीवी भारत से कृषि कानून पर सुप्रीम कोर्ट के द्वारा आये आदेश पर खास बातचीत की.
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'सुप्रीम कोर्ट ने हठधर्मी केंद्र सरकार को एक खिड़की खोल कर दी है. हठधर्मिता में केंद्र सरकार ने 60 किसानों की मौत का इंतजार किया. केंद्र सरकार उद्योगपतियों से करार कर बैठी है. इसलिए जन सरोकार से दूर भाग रही है. सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को जो खिड़की खोल कर दी है. उसको सरकार दरवाजे में तब्दील कर पाती है या नहीं यह देखने वाली बात होगी.'- मनोज झा, राजद के राज्यसभा सांसद
'सुप्रीम कोर्ट ने जो 4 सदस्यों की कमेटी बनाई है उसको देखकर एक दुविधा उत्पन्न हो रही है. इन 4 लोगों ने पिछले 6 महीने में कृषि कानूनों के पक्ष में ही अपनी बात रखी है इसलिए मुझे समझ में नहीं आ रहा है कि किसान किससे बात करेंगे. मुझे लगता है कि सुप्रीम कोर्ट इस कमेटी के सदस्यों पर भी एक बार गौर करेगी. कमेटी के लोग निष्पक्ष रहेंगे यह उम्मीद कम है. किसान तो अभी भी कह रहे हैं कि बस वह एक चीज चाहते हैं कि सरकार कृषि कानून को वापस ले'-
मनोज झा, राजद के राज्यसभा सांसदसुप्रीम कोर्ट ने लगायी रोकबता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार के तीनों कृषि कानूनों को लागू करने पर रोक लगा दी है. एससी ने अगले आदेश तक इसे लागू करने पर रोक लगा दी है. मामले को सुलझाने के लिए और किसानों से बातचीत करने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने चार सदस्यों की एक कमेटी का भी गठन किया है.
ये हैं कमेटी के सदस्य
सुप्रीम कोर्ट ने जो समिति बनाई है उसमें बीकेयू के अध्यक्ष जितेंद्र सिंह मान, अंतरराष्ट्रीय नीति प्रमुख डॉ प्रमोद जोशी, कृषि अर्थशास्त्री अशोक गुलाटी, शिव केरी संगठन के अनिल धनवत हैं. उधर भारतीय किसान यूनियन के राकेश टिकैत ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट ने किसानों के प्रति जो रुख दिखाया है उसके लिए हम आभार व्यक्त करते हैं लेकिन सभी किसान चाहते हैं कि कृषि कानून को रद्द किया जाए. जब तक ऐसा नहीं होगा तब तक आंदोलन जारी रहेगा.
पिछले कई दिनों से दिल्ली और उसके आसपास की सीमाओं पर कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग को लेकर किसान लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं.