पटना : बिहार में भी नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजंस (एनआरसी) की मांग उठने लगी है. बीजेपी के कई नेताओं का कहना है कि राज्य में बड़ी संख्या में बांग्लादेशी घुसपैठिए रहते हैं. इस बीच पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बड़ी बात कही है.
नीतीश कुमार ने कहा कि वे NRC को स्वीकार नहीं करेंगे
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने एनआरसी पर दावा किया कि उन्होंने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से भी इस मुद्दे पर बात की है. नीतीश कुमार ने कहा है कि वो नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजन्स (एनआरसी) को स्वीकार नहीं करेंगे.
ममता बनर्जी ने कहा कि, 'लोकतंत्र के सभी स्तंभ मीडिया और न्यायपालिका सभी केंद्रीय सलाहकारों द्वारा चलाए जा रहे हैं. मूल भारतीयों के नामों को एनआरसी सूची से बाहर रखा गया है. मैं मनमोहन सिंह के शब्दों को दोहराऊंगी कि राजनीतिक प्रतिशोध से ज्यादा अर्थव्यवस्था पर अधिक ध्यान केंद्रित करें.'
बिहार में NRC की जरूरत नहीं: जेडीयू
बता दें कि जेडीयू के वरिष्ठ नेता केसी त्यागी ने कहा था कि बिहार में एनआरसी की कोई जरुरत नहीं है. क्योंकि लिस्ट में कई लोगों के नाम नहीं है, इसलिए इस प्रक्रिया के लिए और वक्त दिया जाना चाहिए. केसी त्यागी ने कहा कि बिहार के सीमांचल से कोई भी इस तरह की खबर नहीं आ रही है. बिहार में ऐसी सरकार है, जो सभी लोगों के हित का ख्याल रखती है. सीमांचल में कोई भी गड़बड़ी नहीं हो रही है.
प्रदेश में NRC की जरूरत है: डॉ. प्रेम कुमार
कृषि मंत्री और बीजेपी नेता डॉ. प्रेम कुमार का कहना है कि प्रदेश में इसकी जरूरत है. प्रेम कुमार की माने तो उत्तर बिहार के सीमावर्ती इलाके में भारी संख्या में बांग्लादेशी घुसपैठिए रहते हैं. एनआरसी से इनकी पहचान हो सकेगी. उन्हें हटाने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार भी एनआरसी को लेकर गंभीर है. उम्मीद है कि आने वाले समय में बिहार में केंद्र सरकार इसको लागू करेगी.
ये भी पढ़ें - बिहार में NRC की मांग तेज, 'केंद्र सरकार जल्द उठा सकती है बड़ा कदम'
बिहार के सीमांचल में बड़ी संख्या में घुसपैठिए: विनोद कुमार सिंह
बिहार सरकार के मंत्री विनोद कुमार सिंह का कहना है कि, बिहार के सीमांचल में बांग्लादेशी घुसपैठिए रह रहे हैं. इसमें भी सबसे ज्यादा किशनगंज जिले में हैं. जिसे चिन्हित कर बाहर किया जाना चाहिए. मंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार एनआरसी के मुद्दे पर प्रतिबद्ध है. मैं राज्य सरकार से मांग करता हूं कि बिहार में भी नेशनल रजिस्टर फॉर सिटीजनशिप लागू किया जाए.
ये भी पढ़ें - 'बिहार के सीमांचल में बड़ी संख्या में हैं घुसपैठिए, प्रदेश में भी लागू हो NRC'
बिहार में एनआरसी की कोई जरूरत नहीं : शरद यादव
इस पर पूर्व केंद्रीय मंत्री शरद यादव का कहना है कि बिहार में एनआरसी की कोई जरूरत नहीं है. शरद यादव का मानना है कि एनआरसी की जरूरत असम में भी नहीं थी. उनका कहना है कि एनआरसी लागू होने से सबसे ज्यादा गरीब प्रभावित हुए हैं. जिनके पास अपना घर नहीं है, झोपड़ी नहीं है, न कोई समान है. उस तरह के गरीब लोग अपना दस्तावेज कहां से दिखाएंगे. उन्होंने कहा कि यह देश यूरोप नहीं है. यह देश खंड-खंड में बंटा हुआ है, जहां कई लोग भूखे सो जाते हैं. इस देश में एनआरसी की जरूरत नहीं है.
अंतिम सूची में 19 लाख लोग बाहर
31 अगस्त को एनआरसी की अंतिम सूची जारी की गई. एनआरसी में शामिल होने के लिए 3,30,27,661 लोगों ने आवेदन दिया था. इनमें से 3,11,21,004 लोगों को शामिल किया गया है और 19,06,657 लोगों का नाम नहीं आया.
ये भी पढ़ें - बोले शरद यादव- असम को भी नहीं थी NRC की जरूरत, फिर बिहार में क्यों हो लागू ?
एनआरसी क्या है ?
- नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजन (NRC) असम में रहने वाले भारतीय नागरिकों की पहचान के लिए बनाई गई एक सूची है.
- इसका मकसद राज्य में अवैध रूप से रह रहे अप्रवासियों खासकर बांग्लादेशी घुसपैठियों की पहचान करना है.
- इसकी पूरी प्रक्रिया सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में चल रही थी.
- इस प्रक्रिया के लिए 1986 में सिटिजनशिप एक्ट में संशोधन कर असम के लिए विशेष प्रावधान किया गया.
- इसके तहत रजिस्टर में उन लोगों के नाम शामिल किए गए हैं, जो 25 मार्च 1971 के पहले असम के नागरिक हैं या उनके पूर्वज राज्य में रहते आए हैं.
- असम देश का अकेला राज्य है, जहां सिटीजन रजिस्टर लागू है.
- अब बिहार में भी इसकी मांग तेज हो गई है.