पटना:सनातन धर्म में मकर संक्रांति का विशेष महत्व है धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मकर संक्रांति के दिन स्नान और दान कर भगवान सूर्य देव की पूजा अर्चना (Worship of Lord Surya) की जाती है. इस बार मकर संक्रांति का पावन पर्व 14 जनवरी 2022 दिन शुक्रवार को है. इस दिन सूर्य देव के मकर राशि में गोचर करने से खरमास की समाप्ति होती है और सभी मांगलिक कार्यों की शुरुआत हो जाती है.
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मकर संक्रांति पर इस बार दो तिथियों को लेकर लोगों में भ्रम की स्थिति बनी हुई है. संक्रांति का प्रारंभ तब होता है, जब सूर्य देव मकर राशि में प्रवेश करते हैं. इस बार सूर्य देव 14 जनवरी की दोपहर 2:27 पर मकर राशि में गोचर कर रहे हैं. ज्योतिष के अनुसार सूर्यदेव यदि सूर्यास्त से पहले मकर राशि में प्रवेश करेंगे, तो इसी दिन पुण्य काल रहेगा. कुछ पंचांग में 14 जनवरी तो कुछ पंचांग में 15 जनवरी को मकर संक्रांति मनाना शुभ माना गया है.
भारत में मकर संक्रांति को अलग-अलग नाम से जाना जाता है. उत्तर भारत में इसे खिचड़ी या मकर संक्रांति के नाम से जानते हैं तो तमिलनाडु में इसे पोंगल और गुजरात में इसे उत्तरायण कहा जाता है. इस दिन किसी पवित्र नदी में स्नान और दान कर सूर्य देव की पूजा अर्चना का विशेष महत्व है. पौराणिक कथाओं के अनुसार इस दिन श्री हरि भगवान विष्णु ने पृथ्वी लोक से असुरों का संहार किया था. भगवान विष्णु की जीत को मकर संक्रांति के रूप में मनाया जाता है.