पटना: बिहार में महापुरुषों नाम पर हर बार सियासत की जाती रही है. चाहे वह जेपी के नाम पर हो या फिर लोहिया-कर्पूरी के नाम पर. सभी दल इन महापुरुषों की पुण्यतिथि और जयंती को अपने तरीके से भुनाने की कोशिश करते हैं. इस बार लोहिया की पुण्यतिथि पर उपेंद्र कुशवाहा की तरफ से बड़ा कार्यक्रम आयोजित किया गया है. बापू सभागार में आयोजित इस कार्यक्रम में महागठबंधन के सभी दल शामिल होंगे.
राजधानी पटना में कार्यक्रम को लेकर जगह-जगह पोस्टर बैनर लगे हुए हैं. इन पोस्टरों में महागठबंधन के शीर्ष नेता एक तरफ हैं, जिसमें सोनिया गांधी से लेकर लालू यादव और शरद यादव शामिल हैं. वहीं, राज्य के सभी दलों के प्रमुख चेहरे दूसरी तरफ हैं, जिसमें जीतन राम मांझी, उपेंद्र कुशावाहा, तेजस्वी समेत मुकेश सहनी भी शामिल हैं. बीजेपी और जेडीयू ने इस कार्यक्रम को लेकर महागठबंधन पर निशाना साधा है.
पटना से संवाददाता अविनाश की रिपोर्ट क्या बोले मांझी...
वहीं, जीतन राम मांझी ने कहा कि पिछले दिनों महागठबंधन की बैठक हुई थी और उसी में उपेंद्र कुशवाहा ने लोहिया जी की पुण्यतिथि पर कार्यक्रम करने की बात कही थी और उसमें सब को आमंत्रित किया था. महागठबंधन के सभी नेताओं ने कार्यक्रम को एक साथ करने का सुझाव दिया था. मांझी ने कहा कि वामपंथी दलों को छोड़कर कांग्रेस सहित सभी दलों ने इसमें शामिल होने की बात कही थी.
बीजेपी और जदयू का तंज
महागठबंधन के सभी दल के कार्यक्रम में शामिल होने की खबर पर बीजेपी और जदयू के नेता हमलावर हैं. बीजेपी और जदयू के नेताओं का कहना है कि महागठबंधन की कथनी और करनी में भारी अंतर है. लोहिया जिन चीजों का विरोध करते थे, चाहे वो परिवारवाद हो या फिर भ्रष्टाचार. ये सभी उसके पोषक हैं. इसलिए जनता अच्छी तरह से इन सब चीजों को देखती है. बीजेपी के नवल किशोर यादव तंज कसते हुए कहते हैं कि लोहिया जी परिवारवाद और भ्रष्टाचार के खिलाफ थे. लेकिन ये सभी लोग परिवावादी और भ्रष्टाचारी हैं. जदयू प्रवक्ता निखिल मंडल का कहना है कि महागठबंधन दल के नेताओं की कथनी और करनी में बहुत अंतर है.
तो क्या चुनावों में दिखेगी एकता?
ऐसे नीतीश कुमार भी कई मौकों पर कहते रहे हैं कि वो लोहिया के आदर्शों पर चलते हैं. इसलिए बिहार में लोहिया, कर्पूरी, जेपी, श्री बाबू, शहदेव महतो जैसे महापुरुषों के नाम पर सियासत खूब होती रही है. यहां तक कि हर बड़ा नेता अपने को महापुरुषों का असली उत्तराधिकारी बताते रहे हैं. लेकिन शायद ही कोई महापुरुषों के रास्ते पर चलने की कोशिश करता है. महागठबंधन अपनी एकजुटता होने वाले उपचुनाव में कितना दिखा पाता है, ये तो समय बताएगा. उपचुनाव में महागठबंधन के दल अलग-अलग चुनाव लड़ रहे हैं. संभवत इस आयोजन के बहाने ही एनडीए को चुनौती देने की कोई रणनीति तैयार की जा रही हो.