पटना:नीतीश कुमार के एनडीए से अलग होने के बाद आज ही के दिन यानी 9 अगस्त 2022 को बिहार में महागठबंधन की सरकार बनी थी. नीतीश कुमार के नेतृत्व में बनी महा गठबंधन सरकार के आज बुधवार को 1 साल पूरे हो गये हैं. इस 1 साल के दौरान महागठबंधन सरकार कई तरह के विवादों के कारण चर्चा में बनी रही. हालांकि महा गठबंधन के घटक दल चाहे जदयू हो या आरजेडी का दावा है कि 1 साल में महागठबंधन सरकार ने जनता के किए हुए वादों को पूरा करने की कोशिश की है. वहीं बीजेपी का कहना है कि बिहार में सरकार चल नहीं रही है.
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काम से अधिक विवादों के कारण चर्चा में रही सरकारः एक साल के दौरान महागठबंधन की सरकार कई तरह के विवादों में रही. या यूं कहें काम से अधिक विवादों के कारण चर्चा में बनी रही. सरकार बनते ही राजद कोट के दो मंत्रियों को इस्तीफा देना पड़ा. पहले मास्टर कार्तिक को इस्तीफा देना पड़ा और फिर अपने बयानबाजी के कारण सुधाकर सिंह को इस्तीफा देना पड़ा. वहीं शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर भी अपने बयानों के कारण सरकार के लिए परेशानी बढ़ाते रहे. बाद में महागठबंधन से जीतन राम मांझी भी निकल गए और उनके बेटे संतोष सुमन ने भी इस्तीफा दे दिया. महागठबंधन सरकार के 1 साल में तीन मंत्रियों का इस्तीफा हो चुका है.
बिहार में सरकार इन वजहों से चर्चा में रही. मंत्रिमंडल विस्तार पिछले 1 साल लटका हैः कांग्रेस मंत्रिमंडल में दो सीट और चाहती है लेकिन राजद और जदयू एक सीट से अधिक देने के लिए तैयार नहीं है. इस कारण भी गठबंधन में विवाद है. कांग्रेस की नाराजगी अब तक दूर नहीं हुई है. तेजस्वी यादव के पास पांच विभाग है और सभी विभाग बड़े बजट वाले हैं. आरजेडी कोटे से भी मंत्री नहीं बनाया जा रहा है. बिहार में बोर्ड और निगम का विवाद भी पुराना रहा है. महागठबंधन की सरकार में कोर्ट के आदेश के बाद कुछ बोर्ड निगम का गठन किया गया है लेकिन उसमें भी पर्याप्त स्थान नहीं मिलने से कांग्रेस और अन्य घटक दल संतुष्ट नहीं हैं.
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इतना कुछ होने के बाद भी कह रहे विवाद नहींः ट्रांसफर पोस्टिंग को लेकर भी सरकार विवाद में रही है. राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग में इस साल 30 जून को बड़े पैमाने पर हुए ट्रांसफर को नीतीश कुमार ने रद्द कर दिया था. कहा जाता है कि इससे राजद कोटे के राजस्व मंत्री आलोक मेहता नाराज हैं. लेकिन इन सब के बावजूद नीतीश कुमार के नजदीकी और जदयू के विधान पार्षद संजय गांधी का कहना है महागठबंधन सरकार के 1 साल के दौरान कोई भी विवाद नहीं है. आरजेडी प्रवक्ता एजाज अहमद का भी कहना है कि यह सरकार जनता के उम्मीदों पर खरा उतर रही है.
"बिहार में सरकार चल नहीं रही है, सरकार दिन काट रही है. बिहार में लॉ एंड ऑर्डर की क्या स्थिति है, रोज हत्याएं हो रही हैं. अपहरण और लूटपाट हो रहा है लेकिन मुख्यमंत्री के कान पर जूं तक नहीं रेंग रहा है. जिस राज्य का मुख्यमंत्री कामकाज छोड़कर प्रधानमंत्री बनने का हसीन सपना देख रहा हो तो उस राज्य का भगवान ही मालिक है. सहयोगी पार्टी उसको चने के झाड़ पर चढ़ा रही है. यह सरकार जितनी जल्दी चली जाए वह बिहार की जनता और बिहार के हित में होगा."- संजय टाइगर, बीजेपी प्रवक्ता
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इन परिस्थितयों में बनी महागठबंधन सरकार: बिहार में पिछले साल आज ही के दिन महागठबंधन की सरकार फिर से अस्तित्व में आयी थी. नीतीश कुमार 2015 में भी लालू प्रसाद यादव के साथ मिलकर विधानसभा का चुनाव लड़े थे और महागठबंधन की सरकार बनाई थी. 2 साल बाद ही 2017 में आरजेडी से अनबन होने के बाद महागठबंधन से दूरी बना ली थी. फिर से बिहार में एनडीए की सरकार बन गई थी. 2020 विधानसभा चुनाव नीतीश कुमार बीजेपी के साथ चुनाव लड़े थे. पार्टी तीसरे स्थान पर पहुंच गई इससे बीजेपी से नाराजगी बढ़ने लगी थी. 2020 में बनी सरकार 2 साल ही चल पाई और नीतीश कुमार फिर से महागठबंधन में चले गए.