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Navaratri 2023 : महानवमी आज, नौवें दिन करें मां सिद्धिदात्री के स्वरूप की आराधना, जानें पूजा विधि - Maa Siddhidatri Worship of ninth Day

साल में चार बार नवरात्र मनाई जाती है. शारदीय नवरात्र का विशेष महत्व माना जाता है. आज शारदीय नवरात्र का नौवां दिन है. नवरात्रि के नौवें दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है. इस स्वरूप की उपासना करने वाले लोगों को मनवांक्षित फल मिलता है. मां सिद्धिदात्री की पूजा विधि क्या है, किस तरह से पूजा करनी चाहिए इस बारे में जानते हैं आचार्य रामशंकर दूबे से.

नवमी के दिन सिद्धिदात्री स्वरूप की पूजा
नवमी के दिन सिद्धिदात्री स्वरूप की पूजा

By ETV Bharat Bihar Team

Published : Oct 23, 2023, 6:02 AM IST

नवमी के दिन सिद्धिदात्री स्वरूप की पूजा

पटना: आज महानवमी यानी माता सिद्धिदात्री की पूजा होती है. आचार्य रामशंकर दूबे ने बताया कि माता का ये स्वरूप सिद्धिदात्री के रूप में जाना जाता है. माता कमल के पुष्प पर विराजमान हैं. माता के हाथ में कमल, शंख, गदा और सुदर्शन चक्र धारण की हुई हैं. मां सिद्धिदात्री सरस्वती की स्वरूप हैं.आज मां सिद्धिदात्री की पूजा उपासना करने से नवरात्रि के 9 दिनों का फल प्राप्त होता है.

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कैसे करें मां सिद्धिदात्री की आराधना :जो भक्त नवरात्र कर रहे हैं, उनको सबसे पहले स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करके पूजा की शुरुआत करनी चाहिए. हर शुभ कार्य में सबसे पहले भगवान गणेश जी की पूजा का विशेष महत्व है. इसलिए गणेश जी की पूजा करें. गणेश जी को शुद्ध जल से स्नान कराएं, पान पत्ता, अक्षत, फूल, लौंग, इलाइची चढ़ाएं. चंदन, दही ,मीठा, दुभी चढ़ाएं उसके बाद गणेश जी को लड्डू फल चढ़ाएं.

गणेशपूजन से शुरूआत कर चढ़ाएं भोग : गणेश जी के पूजा करने के बाद कलश की पूजा करें. कलश की पूजा करने के बाद पंच पल्लव, नवग्रह देवता की पूजा करें और उसके बाद माता रानी की पूजा अर्चना करें. माता रानी को भी शुद्ध जल से स्नान कराएं, पान-पत्ता, सुपारी, कुमकुम, सिंदूर, दही, मीठा चढ़ाएं. माता रानी को फूल चढ़ाए और उसके बाद खीर का भोग लगाएं, मेवा मिष्ठान फल चढ़ाएं. आचार्य रामशंकर दूबे ने कहा कि माता रानी को ऐसे तो 56 प्रकार के भी भोग लगाया जा सकता हैं, लेकिन जिन भक्तों से जितने समर्थ हो पाए उसके अनुसार फल फूल चढ़ाएं, भोग लगाएं जिससे माता प्रसन्न होती हैं.

आज के दिन कन्या पूजन का भी विधान : माता रानी को नवमी के दिन खोईचा भी भरा जाता है. घी का दीपक जलाएं. दुर्गा चालीसा या सप्तशती का पाठ करें और उसके बाद नवमी के दिन परिवार के सभी सदस्य मिलकर हवन करे. इसके बाद माता रानी की आरती उतारें. नौवां दिन कन्या पूजन का भी विधान है. कुंवारी कन्याओं को भोजन कराया जाता है. जिस तरह से नवरात्र में दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है. कुंवारी कन्याओं को पैर हाथ रंगा जाता है, सिंगार किया जाता है. कुमकुम लगाएं, लाल चुनरी चढ़ाएं उसके बाद भोजन कराया जाता है.

कुंवारी कन्याओं को कराएं भोज: कुंवारी कन्याओं के साथ भैरव बाबा के रूप में एक लड़का को भी भोजन कराने का विशेष महत्व है. भोजन कराने के बाद सभी को दान दक्षिणा दिया जाता है. जिससे कि घर परिवार में सुख शांति समृद्धि और लक्ष्मी का आगमन होता है. इस तरह से पूजा अर्चना करने से जो भक्त नवरात्र में 9 दिन माता रानी की पूजा अर्चना नहीं कर पाते हैं, उनको भी माता रानी का आशीर्वाद प्राप्त होता है. जीवन में सफलता और विजय प्राप्त होती है.


माता सिद्धिदात्री से जुड़ी पौराणिक मान्यता: आचार्य रामशंकर दूबे ने कहा कि पौराणिक कथा अनुसार सिद्धिदात्री से एक कथा जुड़ी हुई है. जब पूरे ब्रह्मांड में अंधकार छा गया था, तब उसे अंधकार में ऊर्जा की एक छोटी सी किरण प्रकट हुई. ऊर्जा की यह किरण धीरे-धीरे बड़ी होती गई और इसमें एक दिव्य नारी का रूप धारण कर लिया. भगवती का नया स्वरूप मां सिद्धिदात्री है. मां सिद्धिदात्री ने प्रकट होकर ब्रह्मा, विष्णु और महेश को जन्म दिया था. यह भी कहा जाता है कि भगवान शिव शंकर को जो आठ सिद्धियां प्राप्त थीं वह मां सिद्धिदात्री की कृपा से ही प्राप्त हुई थी. मां सिद्धिदात्री के कारण ही शिव जी का आधा शरीर देवी का हुआ जिससे की शिव का एक नाम अर्धनारीश्वर पड़ा.

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