पटना: आज महानवमी यानी माता सिद्धिदात्री की पूजा होती है. आचार्य रामशंकर दूबे ने बताया कि माता का ये स्वरूप सिद्धिदात्री के रूप में जाना जाता है. माता कमल के पुष्प पर विराजमान हैं. माता के हाथ में कमल, शंख, गदा और सुदर्शन चक्र धारण की हुई हैं. मां सिद्धिदात्री सरस्वती की स्वरूप हैं.आज मां सिद्धिदात्री की पूजा उपासना करने से नवरात्रि के 9 दिनों का फल प्राप्त होता है.
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कैसे करें मां सिद्धिदात्री की आराधना :जो भक्त नवरात्र कर रहे हैं, उनको सबसे पहले स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करके पूजा की शुरुआत करनी चाहिए. हर शुभ कार्य में सबसे पहले भगवान गणेश जी की पूजा का विशेष महत्व है. इसलिए गणेश जी की पूजा करें. गणेश जी को शुद्ध जल से स्नान कराएं, पान पत्ता, अक्षत, फूल, लौंग, इलाइची चढ़ाएं. चंदन, दही ,मीठा, दुभी चढ़ाएं उसके बाद गणेश जी को लड्डू फल चढ़ाएं.
गणेशपूजन से शुरूआत कर चढ़ाएं भोग : गणेश जी के पूजा करने के बाद कलश की पूजा करें. कलश की पूजा करने के बाद पंच पल्लव, नवग्रह देवता की पूजा करें और उसके बाद माता रानी की पूजा अर्चना करें. माता रानी को भी शुद्ध जल से स्नान कराएं, पान-पत्ता, सुपारी, कुमकुम, सिंदूर, दही, मीठा चढ़ाएं. माता रानी को फूल चढ़ाए और उसके बाद खीर का भोग लगाएं, मेवा मिष्ठान फल चढ़ाएं. आचार्य रामशंकर दूबे ने कहा कि माता रानी को ऐसे तो 56 प्रकार के भी भोग लगाया जा सकता हैं, लेकिन जिन भक्तों से जितने समर्थ हो पाए उसके अनुसार फल फूल चढ़ाएं, भोग लगाएं जिससे माता प्रसन्न होती हैं.
आज के दिन कन्या पूजन का भी विधान : माता रानी को नवमी के दिन खोईचा भी भरा जाता है. घी का दीपक जलाएं. दुर्गा चालीसा या सप्तशती का पाठ करें और उसके बाद नवमी के दिन परिवार के सभी सदस्य मिलकर हवन करे. इसके बाद माता रानी की आरती उतारें. नौवां दिन कन्या पूजन का भी विधान है. कुंवारी कन्याओं को भोजन कराया जाता है. जिस तरह से नवरात्र में दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है. कुंवारी कन्याओं को पैर हाथ रंगा जाता है, सिंगार किया जाता है. कुमकुम लगाएं, लाल चुनरी चढ़ाएं उसके बाद भोजन कराया जाता है.