पटना: आज लगने वाले चंद्र ग्रहण के दौरान सुपर मून की स्थिति बनेगी. हालांकि, बंगाल की खाड़ी में आए यास तूफान की वजह से फिलहाल बिहार में काफी बादल छाए हुए हैं. ऐसे में आज शाम को लगने वाले इस चंद्रग्रहण को देखे जाने की संभावना नहीं के बराबर है. लेकिन इस बार ये खगोलीय घटना कई मायनों में खास होने वाली है. दरअसल इस बार सुपर मून, चंद्र ग्रहण और ब्लड मून का दीदार एक ही बार में होगा.
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सुपर मून
चंद्रमा पृथ्वी का प्राकृतिक उपग्रह है. जो पृथ्वी की परिक्रमा करता है. चक्कर काटते समय एक ऐसी स्थिति बनती है जब चंद्रमा पृथ्वी के सबसे नजदीक होता है यानी इस दौरान चंद्रमा और पृथ्वी के बीच दूरी सबसे कम होती है. इस दौरान कक्षा में करीबी बिंदु से इसकी दूरी करीब 28,000 मील रहती है. इस दौरान चंद्रमा बड़ा नजर आता है जिसे सुपरमून कहते हैं. पृथ्वी के सबसे नजदीक होने के कारण चांद ज्यादा बड़ा और चमकीला दिखता है.
चंद्र ग्रहण
पृथ्वी सूर्य की परिक्रमा कर रही है और चंद्रमा पृथ्वी की. चंद्र ग्रहण तब लगता है जब चंद्रमा पृथ्वी की छाया में पूरी तरह या आंशिक रूप से छिप जाता है. चंद्र ग्रहण पूर्णिमा के दौरान होता है इसलिए पहले पूर्णिमा के चंद्रमा को समझते हैं. पृथ्वी की तरह ही चंद्रमा का आधा हिस्सा सूरज की रोशनी में प्रकाशित रहता है, पूर्ण चंद्र की स्थिति तब बनती है जब चंद्रमा और सूरज पृथ्वी के विपरीत दिशा में होते हैं. इससे रात में चंद्रमा तश्तरी की तरह नजर आता है. जब सूर्य, पृथ्वी और चंद्रमा एक सीधी रेखा में आते हैं और चंद्रमा पृथ्वी की छाया से होकर गुजरे तो इससे पूर्ण चंद्र ग्रहण होता है.
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ब्लड मून
जब चंद्रमा पृथ्वी की छाया में पूरी तरह ढक जाता है तो अंधेरा छा जाता है लेकिन पूरी तरह काला नहीं होता. इसके बजाए यह लाल रंग का दिखता है इसलिए पूर्ण चंद्र ग्रहण को ब्लड मून भी कहा जाता है. सूर्य के प्रकाश में दृश्य प्रकाश के सभी रंग होते हैं. पृथ्वी के वातावरण से गुजरने के दौरान प्रकाश में नीला प्रकाश छन जाता है जबकि लाल हिस्सा इससे गुजर जाता है. इसलिए आकाश नीला दिखता है और सूर्योदय और सूर्यास्त के समय लालिमा छा जाती है.
चंद्र ग्रहण के मामले में लाल प्रकाश पृथ्वी के वातावरण से होकर गुजरता है और यह चंद्रमा की ओर मुड़ जाता है जबकि नीला प्रकाश इससे बाहर रह जाता है. इससे चंद्रमा पूरी तरह लाल नजर आता है.
कहां-कहां दिखेगा चंद्र ग्रहण