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बिहार: अभी लॉकडाउन लगा तो हर दिन 310 करोड़ का नुकसान तय, उद्योग जगत भी सहमा

बिहार में बढ़ रहे कोरोना मामले से हर किसी को डर है कि कहीं बिहार में लॉकडाउन ना लग जाए. अगर ऐसा हुआ तो बिहार को एक-दो नहीं, हजारों करोड़ का नुकसान सहना पड़ सकता है. पिछले लॉकडाउन के दिन जैसे-जैसे बढ़े थे, वैसे-वैसे बेरोजगारी बढ़ रही थी. एमएसएमई सेक्टर का बड़ा नुकसान हुआ था. अब लॉकडाउन की स्थिति को सोचकर ही उद्योग जगत सहम सा गया है.

लॉकडाउन से नुकसान
लॉकडाउन से नुकसान

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Published : Apr 12, 2021, 8:47 PM IST

Updated : Apr 12, 2021, 9:12 PM IST

पटना: बिहार में कोरोना का संक्रमण एक बार फिर बढ़ने लगा है. जिस रफ्तार से मामले सामने आ रहे हैं, वैसी स्थिति में लॉकडाउन की आशंका बढ़ गई है. बिहार की अर्थव्यवस्था धीरे-धीरे पटरी पर आ रही थी, लेकिन दोबारा संक्रमण बढ़ने से अर्थव्यवस्था और उद्योग जगत के सामने चुनौती बढ़ गई है.

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संक्रमण से बढ़ी लोगों की चिंता
बिहार में कोरोना ने एक बार फिर दस्तक दे दिया है. संख्या लगातार बढ़ रही है. जिस रफ्तार से संक्रमण बढ़ रहा है, वैसी स्थिति में बिहार में लॉकडाउन की संभावना दिखने लगी है. पिछले लॉकडाउन के दौरान बिहार के अर्थव्यवस्था की कमर टूट गई थी. उद्योग जगत को भारी नुकसान हुआ था. संक्रमण बढ़ने से एक बार फिर लोगों को यही चिंता सताने लगी है. बिहार धीरे-धीरे लॉकडाउन की ओर बढ़ रहा है.

अगर लगा लॉकडाउन तो...
देखें पूरी रिपोर्ट

असंगठित क्षेत्रों में 90 फीसदी रोजगार
संक्रमण अगर शीघ्र नियंत्रित नहीं हुआ तो सरकार को सख्त कदम उठाने होंगे. बिहार में अगर फिर से लॉकडाउन हुआ तो औसतन हर रोज राज्य को 310 करोड़ का नुकसान होगा. सबसे ज्यादा असर असंगठित क्षेत्र पर पड़ेगा. राज्य के अंदर 90 फीसदी रोजगार लोगों को असंगठित क्षेत्र में मिलते हैं.

असंगठित क्षेत्र के नब्बे फीसदी रोजगार को होगा नुकसान
एमएसएमई सेक्टर पर प्रभाव

310 करोड़ रुपए का रोजाना नुकसान
साल 2021-22 के बजट पर अगर गौर से देखा जाए तो केंद्र सरकार से 54,531 करोड़ रुपए का सरकारी अनुदान मिला था. उसे अगर छोड़ दें तो 1,26,230 रुपए की टैक्स वसूली की सरकार की योजना है. इसमें सेंट्रल टैक्स के हिस्सेदारी ही लगभग 91,180 करोड़ रुपए है. राज्य खुद के टैक्स से बाकी के 35,050 करोड़ रुपए इकट्ठा करती है. इस तरीके से 1,26,230 करोड़ रुपए कर इकट्ठा किया जाना है. यह प्रतिदिन के हिसाब से 345 करोड़ रुपए होता है. 345 करोड़ रुपए का 90% करीब 310 करोड़ होता है.

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उद्योग जगत में भी चिंता
पिछले लॉकडाउन के दौरान 30 से 35 फीसदी एमएसएमई बंद हो चुके हैं. फिर लॉकडाउन हुआ तो 50 से 60% एमएसएमई बंद हो जाएंगे. बेरोजगारी बढ़ेगी और पलायन भी शुरू हो जाएगा. आपको बता दें कि पिछले लॉकडाउन के दौरान बिहार का आर्थिक विकास दर 4% के आसपास सिमटा था. राज्य सरकार को अपने संसाधनों से 14000 करोड़ का नुकसान हुआ था. वित्त आयोग की सिफारिशों के मुताबिक बिहार को 12000 करोड़ से ज्यादा का नुकसान हुआ. हालांकि उद्योग जगत से जुड़े लोगों का मानना है कि अब लॉकडाउन की स्थिति नहीं बनने वाली है.

राम लाल खेतान, व्यवसायी

'अभी लॉकडाउन की संभावना नहीं है. सरकार को चाहिए कि तमाम औद्योगिक इकाइयों में वैक्सीनेशन कराए और लॉकडाउन की फिलहाल कोई जरूरत नहीं है. राज्य स्तर पर भी कुछ इलाकों में लॉकडाउन का कोई खास मतलब नहीं है.'-राम लाल खेतान, व्यवसायी

अमित बख्शी, एसोसिएट प्रोफेसर,आद्री

'अगर लॉकडाउन हुए तो बिहार सरकार को भारी नुकसान होगा. जीएसटी में पिछली बार काफी नुकसान हुआ था. केंद्र से मिलने वाले अनुदान में भी कमी आई थी. बेरोजगारी का स्तर भी पिछले साल 46% के आसपास चला गया था. इस बार भी अगर लॉकडाउन हुआ तो बेरोजगारी बढ़ेगी.'-अमित बख्शी, एसोसिएट प्रोफेसर,आद्री

विद्यार्थी विकास, प्राध्यापक, एएन सिन्हा इंस्टीट्यूट

'लॉकडाउन से बिहार की आर्थिक और औद्योगिक गतिविधियों पर ब्रेक लग जाएगी. उद्योग जगत को ज्यादा नुकसान होने की संभावना है. इस बार अगर लॉकडाउन हुआ तो औद्योगिक विकास दर के 6 प्रतिशत से भी नीचे आने की आशंका है.'-विद्यार्थी विकास, प्राध्यापक, एएन सिन्हा इंस्टीट्यूट

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Last Updated : Apr 12, 2021, 9:12 PM IST

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