पटना: बिहार में कोरोना का संक्रमण एक बार फिर बढ़ने लगा है. जिस रफ्तार से मामले सामने आ रहे हैं, वैसी स्थिति में लॉकडाउन की आशंका बढ़ गई है. बिहार की अर्थव्यवस्था धीरे-धीरे पटरी पर आ रही थी, लेकिन दोबारा संक्रमण बढ़ने से अर्थव्यवस्था और उद्योग जगत के सामने चुनौती बढ़ गई है.
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संक्रमण से बढ़ी लोगों की चिंता
बिहार में कोरोना ने एक बार फिर दस्तक दे दिया है. संख्या लगातार बढ़ रही है. जिस रफ्तार से संक्रमण बढ़ रहा है, वैसी स्थिति में बिहार में लॉकडाउन की संभावना दिखने लगी है. पिछले लॉकडाउन के दौरान बिहार के अर्थव्यवस्था की कमर टूट गई थी. उद्योग जगत को भारी नुकसान हुआ था. संक्रमण बढ़ने से एक बार फिर लोगों को यही चिंता सताने लगी है. बिहार धीरे-धीरे लॉकडाउन की ओर बढ़ रहा है.
असंगठित क्षेत्रों में 90 फीसदी रोजगार
संक्रमण अगर शीघ्र नियंत्रित नहीं हुआ तो सरकार को सख्त कदम उठाने होंगे. बिहार में अगर फिर से लॉकडाउन हुआ तो औसतन हर रोज राज्य को 310 करोड़ का नुकसान होगा. सबसे ज्यादा असर असंगठित क्षेत्र पर पड़ेगा. राज्य के अंदर 90 फीसदी रोजगार लोगों को असंगठित क्षेत्र में मिलते हैं.
310 करोड़ रुपए का रोजाना नुकसान
साल 2021-22 के बजट पर अगर गौर से देखा जाए तो केंद्र सरकार से 54,531 करोड़ रुपए का सरकारी अनुदान मिला था. उसे अगर छोड़ दें तो 1,26,230 रुपए की टैक्स वसूली की सरकार की योजना है. इसमें सेंट्रल टैक्स के हिस्सेदारी ही लगभग 91,180 करोड़ रुपए है. राज्य खुद के टैक्स से बाकी के 35,050 करोड़ रुपए इकट्ठा करती है. इस तरीके से 1,26,230 करोड़ रुपए कर इकट्ठा किया जाना है. यह प्रतिदिन के हिसाब से 345 करोड़ रुपए होता है. 345 करोड़ रुपए का 90% करीब 310 करोड़ होता है.
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