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Lockdown Effect: देश के रिटेल व्यापार को 5.50 लाख करोड़ रुपये का नुकसान - Loss of crores to retail business of country

कैट ने व्यापारियों को हुए नुकसान की भरपाई के लिए केंद्र से मदद की मांग की है. उन्होंने कहा है कि इस मुश्किल घड़ी में उन्होंने सरकार का साथ दिया है, अब सरकार की बारी है कि वह व्यापारियों को राहत दे.

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण

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Published : May 6, 2020, 11:29 AM IST

पटना: कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट ) बिहार के अध्यक्ष अशोक कुमार वर्मा ने लॉकडाउन के कारण व्यपार में नुकसान पर चिंता जताई है. बुधवार को कैट अध्यक्ष अशोक कुमार ने कहा कि जब से 24 मार्च को देश में लॉकडाउन लागू किया गया. तब से लेकर 30 अप्रैल तक भारतीय खुदरा व्यापार में लगभग 5.50 लाख करोड़ रुपये का व्यापार नहीं हुआ है. व्यापार न होने से कम से कम 20% व्यापारियों और उन व्यापारियों पर निर्भर लगभग 10 अन्य व्यापारियों की ओर से अपना व्यापार बंद करने की संभावना है.

कैट अध्यक्ष अशोक कुमार ने कहा कि लॉकडाउन ने भारतीय खुदरा विक्रेताओं के अगले कुछ महीनों के कारोबार को पूरी तरह ध्वस्त कर दिया. इसके कारण कैट ने बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से आग्रह किया कि सरकार देश के व्यापारिक समुदाय को संभालने और व्यापारियों को उनके अस्तित्व को सुनिश्चित करने के लिए पर्याप्त पैकेज दे. जिससे देश के व्यापार को इस कठिन समय से उबारा जा सके.

व्यापारियों ने सुनाई आपबीती

'कोरोना के कारण खुदरा व्यापार बुरी तरह ठप'
कैट बिहार चैप्टर के चेयरमैन कमल नोपानी महासचिव डॉ. रमेश गांधी और कोषाध्यक्ष अरूण कुमार गुप्ता ने कहा कि कोरोना ने भारतीय खुदरा व्यापार में बहुत बड़ी अपूरणीय सेंध लगाई है. जिसका पूरे देश की अर्थव्यवस्था पर विनाशकारी प्रभाव पड़ेगा. उन्होंने कहा कि भारतीय रिटेलर्स लगभग 15,000 करोड़ का दैनिक कारोबार करते हैं और देश में 40 दिनों से अधिक समय से तालाबंदी चल रही है. इससे 5.50 लाख करोड़ से अधिक का भारी नुकसान हुआ है. जो कि भारत के 7 करोड़ व्यापारियों की ओर से किया जाता है. उन्होंने आगे कहा कि इन 7 करोड़ व्यापारियों में से लगभग 1.5 करोड़ व्यापारियों की ओर से कुछ महीनों में ही अपने व्यापार को स्थाई रूप से बंद करना होगा. बिहार चैप्टर के चेयरमैन ने कहा कि लगभग 75 लाख व्यापारी जो इन 1.5 करोड़ व्यापारियों पर निर्भर हैं. उन्हें भी अपना व्यापार बंद करने पर मजबूर होना पड़ेगा.

कैट का लोगो

'राहत पैकेज के अलावा विकल्प नहीं'
वहीं, कैट महानगर अध्यक्ष प्रिंस कुमार राजू और सचिव संजय बरनवाल का कहना है कि भारत में कम से कम 2.5 करोड़ व्यापारी बेहद सूक्ष्म और छोटे हैं. जिनके पास इस गंभीर आर्थिक तबाही से बचने का कोई रास्ता नहीं है. उन्होंने कहा कि उनके पास ऐसे परिदृश्य में अपने व्यापार के संचालन के लिए पर्याप्त पूंजी नहीं है. एक तरफ उन्हें वेतन, किराया, अन्य मासिक खर्चों का भुगतान करना पड़ रहा है और दूसरी ओर उन्हें उपभोक्ताओं की डिस्पोजेबल आय में तेज गिरावट के साथ-साथ सख्त सामाजिक दूरता मानदंडों के साथ व्यवहार करना होगा. जो व्यापार को सामान्य स्थिति में नहीं आने देंगे. महानगर अध्यक्ष ने कहा कि कम से कम आगामी 6-9 महीने तक चलेगा. भारतीय अर्थव्यवस्था पहले से ही मंदी के दौर से गुजर रही थी और पूरे क्षेत्र में मांग में भारी गिरावट आई थी. लेकिन इस घातक बीमारी ने भारत के रीटेल व्यापार को पूरी तरह तबाह कर दिया है.

व्यापारियों ने जताई चिंता

हमने सरकार के लिए किया, अब सरकार की बारी- व्यापारी
कैट संरक्षक शशिशेखर रस्तोगी और टीआर गांधी ने व्यापारियों की दुर्दशा पर संग्यंत्मक न लेने के लिए केंद्र और विभिन्न राज्य सरकारों के पर गहरी निराशा व्यक्त की. उन्होंने कहा कि इससे भारत का रीटेल व्यापार प्राकृतिक मौत मार जाएगा. यह काफी भयावह है कि सरकारों ने गैर-कॉर्पोरेट क्षेत्र को नहीं संभाला हैं, जो भारत के सकल घरेलू उत्पाद में 40% से अधिक का योगदान देता है और राष्ट्र के कुल कार्यबल का लगभग एक तिहाई है. कैट संरक्षक ने कहा कि इसके बजाय सरकार ने आदेश दिया है कि सभी व्यवसायों को अपने कर्मचारियों को वेतन का भुगतान करना होगा. बैंक ब्याज वसूलते रहेंगे और मकान मालिक किराया मांगते रहेंगे. यह पूरी तरह से एकतरफा है. उन्होंने कहा कि जहां सरकार केवल व्यापारियों से उम्मीद करती है. लेकिन आज तक व्यापारियों के व्यापार की सुरक्षा के लिए कोई कदम नहीं उठाया गया. इसके कारण देश भर के व्यापारी बेहद हताश और निराश हैं.

'राज्य सरकारों ने बढ़ा दी मुश्किलें'
प्रमुख समाजसेवी कैट सदस्य मुकेश नंदन ने कहा कि गृह मंत्रालय की ओर से विभिन्न अधिसूचनाओं का जमीनी स्तर पर ठीक तरह से पालन नहीं हुआ है. उन्होंने कहा कि दिशा-निर्देशों को लागू करने में राज्यों ने कोताही बरती है. जिला स्तर पर राज्य सरकारें और अधिकारी अपनी-अपनी धुन गा रहे हैं. समाजसेवी ने कहा कि दिशा-निर्देशों में इस अस्पष्टता के कारण भारतीय खुदरा विक्रेताओं के संकट को और बढ़ा दिया है. उन्होंने आगे कहा कि भारतीय खुदरा क्षेत्र वस्तुतः वेंटीलेटर पर है और सरकार के तत्काल हस्तक्षेप के बड़े पैमाने पर इस क्षेत्र को अभूतपूर्व नुकसान होगा और आर्थिक महामारी कोरोना महामारी से भी बड़ी होगी.

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