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इस्कॉन मंदिर से निकाली गई भगवान जगन्नाथ की भव्य रथ यात्रा, भारी संख्या में जुटे श्रद्धालु - प्रसाद

भगवान जगन्नाथ की भव्य शोभायात्रा में जदयू के मंत्री श्याम रजक सहित कई श्रद्धालु भी शामिल हुए. रथ यात्रा के दौरान हजारों भक्तों के बीच महाप्रसाद का भी वितरण किया गया.

भगवान जगरनाथ की भव्य रथ यात्रा

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Published : Jul 4, 2019, 5:00 PM IST

पटना: राजधानी पटना के इस्कॉन मंदिर से भगवान जगन्नाथ की भव्य रथयात्रा निकाली गई. इस मौके पर जदयू के मंत्री श्याम रजक के साथ हजारों श्रद्धालु भगवान जगरनाथ की रथयात्रा में शामिल हुए. रथयात्रा तारामंडल, कोतवाली, और डाकबंगला चौराहा होते हुए गांधी मैदान, एग्जिबिशन रोड, महावीर मंदिर और जीपीओ गोलंबर होते हुए शाम 7 बजे तक वापस इस्कॉन मंदिर पहुंचेगी.

यात्रा के लिए 40 फुट ऊंचा बना है रथ
भगवान जगन्नाथ के रथ यात्रा के लिए रथ 40 फुट ऊंचा है. ये जोधपुरी करा हाइड्रोलिक सिस्टम से बना हुआ है. इसकी खासियत यह है कि जरूरत पड़ने पर इसे 16 फुट तक नीचे भी किया जा सकता है. देश के विभिन्न भागों से आए प्रसिद्धि प्राप्त कलाकारों ने इसे भव्य रुप दिया है. इसे सजाने के लिए कर्नाटक से फूल मंगाए गए हैं. वही मंदिर को सजाने के लिए कोलकाता से फूल मंगाया गया है. रथ यात्रा के दौरान विभिन्न जगह पर आरती और पुष्प वर्षा से भगवान का स्वागत किया जा रहा है.

भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा

रथ यात्रा में भारी तादाद में श्रद्धालु शामिल
लंदन से पधारे श्रीमद् महाविष्णु स्वामी जी महाराज और कथा इस्कॉन के जनरल सेक्रेटरी देवकीनंदन दास कार्यक्रम में शामिल हैं. इसके साथ ही भगवान जगन्नाथ की भव्य शोभायात्रा में जदयू के मंत्री श्याम रजक सहित कई श्रद्धालु शामिल हुए. रथ यात्रा के दौरान हजारों भक्तों के बीच महाप्रसाद का भी वितरण किया जा रहा है. रथ यात्रा में विशिष्ट अतिथियों ने झाड़ू लगाकर संपूर्ण स्वच्छता अभियान भी चलाया.

जगन्नाथ मंदिर विष्णु के आठवें अवतार श्रीकृष्ण को है समर्पित
आपको बता दें कि हिंदुओं के लिए यह रथयात्रा धार्मिक रूप से बेहद महत्वपूर्ण मानी जाती है. जगन्राथ मंदिर विष्णु के आठवें अवतार श्रीकृष्ण को समर्पित है. हर साल भगवान जगन्नाथ के रथ को खींचने के लिए दुनिया भर से श्रद्धालु इकट्ठा होते हैं. विद्वानों की मानें तो आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया को देश और दुनिया में इस भव्य रथ यात्रा का आयोजन किया जाता है. यह आयोजन शुक्ल पक्ष के ग्यारहवें दिन भगवान के घर लौटने तक चलता रहता है.

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