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आधुनिक पटना के शिल्पकार लॉर्ड हार्डिंग, जिसने बिहार को दिए कई नए धरोहर

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Published : Mar 28, 2021, 5:01 PM IST

Updated : Mar 28, 2021, 11:03 PM IST

पटना के आधुनिक शिल्पकार ब्रितानिया हुकूमत का एक नौकरशाह था. जिसने साल 1911 में लार्ड पंचम के दिल्ली दरबार में पटना को बिहार की राजधानी बनाने की घोषणा की थी. उस नौकरशाह का नाम था लॉर्ड हार्डिंग. लॉर्ड हार्डिंग ने न सिर्फ पटना को बसाया. ब्लकि यूरोपीय वास्तुकला के तहत कई ऐसी इमारतें भी बनवाई जो आज हमारी और आपकी बेशकीमती धरोहर है.

Lord Hording
Lord Hording

पटना: भारत जिसे 'सोने की चिड़िया' कहा जाता था, उसे ब्रितानिया हुकूमत ने अपने औपनिवेशिक काल में लूटने में कोई कोर-कसर बांकी नहीं रखी. हमारे घर से वे बेशकीमती कोहिनूर लेकर चले गए और बना दिया महारानी विक्टोरिया के सर के ताज, जो आज भी ब्रिटानिया हुकूमत काल के सबसे बड़ी जागीर है. जिसे पाने की चाहत आज हर भारतीय करता है लेकिन इस ब्रिटानिया हुकूमत के दौरान एक वायसराय ऐसा भी था जिसका बिहार आज भी कर्जदार है. उस वायसराय का नाम है लॉर्ड हार्डिंग.

यूरोपीय वास्तुकला का नमूना

दरअसल, जब बिहार और उड़ीसा को बंगाल से अलग किया गया था तो उस दौरान इसकी भूमिका बांधने में सबसे बड़ा योगदान लॉर्ड हार्डिंग का माना जाता है. हार्डिंग ने न सिर्फ बिहार को आधुनिक भारत में एक अलग स्थान दिया ब्लकि उस गौरव को भी लौटाया जिसे कभी मगध को तौर पर जाना जाता था. वैसे तो बिहार और खासकर पटना का इतिहास नंद वंश और सम्राट चंद्रगुप्त मौर्य से रहा है लेकिन आधुनिक भारत के इतिहास में पटना को महत्व दिलाने का काम ब्रितानिया हुकूमत के एक नौकरशाह ने लॉर्ड हार्डिंग ने किया.

क्यों बिहार के लिए खास है यह वायसराय
लॉर्ड हार्डिंग ही वह पहले शख्स थे जिन्होंने जिन्होंने साल 1911 में जार्ज पंचम के दिल्ली दरबार में इस बात की घोषण की थी कि बंगाल विभाजन के बाद संयुक्त बिहार (तब बिहार, झारखंड और उड़ीसा एक प्रांत हुआ करते थे) की राजधानी पटना होगी. पटना को एक मूर्त रूप देने के लिए लॉर्ड हार्डिंग ने न्यूजीलैंड से आर्किटेक्ट जे एफ मुनिंग्स और आर्किटेक्ट जे एफ मुनिंग्स को बुलाया.

देखें रिपोर्ट

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पटना अंग्रेजों के लिए क्यों था खास शहर
पटना तीन नदियों (गंगा, पुनपुन और सोन) के किनारे बसा है और यहां से जलमार्ग द्वारा जहाजों से सामान ढुलाई बेहद कम खर्चीले तरीके से किया जा सकता था, इसलिए लॉर्ड हार्डिंग ने पटना को बिहार के राजधानी के रुप में चुना और उसे विकसित किया.

पटना में सड़कों पर चलते वक्त हम और आप जिन पुरानी इमारतों को टकटकी लगाए हुए निहारते रहते हैं वह लॉर्ड हार्डिंग की ही देन है. जिस पटना हाईकोर्ट याविधानसभा की इमारतों को देखर हम मोहित होते हैं, जिस यूरोपीय वास्तुकला के बनी इमारतों के तले आज हमारे माननीय बैठते हैं उसका निर्माण लॉर्ड हार्डिंग ने ही करवाया था. यही नहीं इन सभी इमारतों को लॉर्ड हार्डिंग ने तब पूरा किया जब पहले वर्ल्ड वॉर के दौरान ब्रिटिश हुकूमत की जर्मनी ने कमर तोड़ रखी थी.

आधुनिक पटना की धरोहर

यूरोपीय वास्तुकला का सर्वोत्कृष्ठ नमूना है पटना हाईकोर्ट
पटना उच्च न्यायालय यूरोपीय वास्तुकला का सर्वोत्कृष्ट नमूना है. 1916 में तत्कालीन वायसराय लार्ड हार्डिंग ने औपचारिक रूप से 3 फरवरी 1916 को शानदार समारोह में पैलेडियन डिजाइन से निर्मित नियोक्लासिकल शैली में बनी पटना हाई कोर्ट के विशाल इमारत का उद्घाटन किया था. चाल सेटिंग ने 1 दिसंबर 1913 को इमारत की नींव रखी थी और 3 साल में उच्च न्यायालय बनकर तैयार हो गया था. 1936 में उड़ीसा से अलग होने के बावजूद 1948 तक पटना उच्च न्यायालय भवन सही न्यायिक कार्य चलता था.

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'लॉर्ड हार्डिंग आधुनिक पटना के शिल्पकार थे. उनके प्रयासों से ही पटना शहर अस्तित्व में आया. तमाम ऐतिहासिक इमारतें इस बात को तस्दीक करती हैं कि लॉर्ड हार्डिंग पटना को विकसित करने को लेकर कितने संवेदनशील थे'.- डॉक्टर संजय कुमार, बुद्धिजीवी

'अंग्रेजी शासक होने के बावजूद लॉर्ड हार्डिंग के लिए बिहार वासियों के मन में सम्मान है. लॉर्ड हार्डिंग के प्रयासों से ही पटना में शैक्षणिक संस्थान के अलावा बिहार में अनेक सड़कों के निर्माण करवाया'. डॉ पांडेय जयशंकर, इतिहासकार

'लॉर्ड हार्डिंग के प्रयास से ही 12 दिसंबर 1911 को जॉर्ज पंचम के दरबार में अलग प्रांत की घोषणा की गई. आधुनिक पटना के निर्माण में लॉर्ड हार्डिंग की भूमिका अहम थी. लॉर्ड हार्डिंग को लेकर पटना वासियों के दिल में आज भी सम्मान है'.- सुमन शंकर, पटना म्यूजियम

राजधानी में लॉर्ड हार्डिंग के नाम पर जहां हार्डिंग रोड अलग पहचान बनाए हुए हैं. वहीं, लॉर्ड हार्डिंग की आदमकद मूर्ति बिहार म्यूजियम में स्थापित है. बिहार सरकार ने भी हार्डिंग पार्क को विकसित कर गौरवशाली अतीत को कायम करने की कोशिश की है.

Last Updated : Mar 28, 2021, 11:03 PM IST

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