पटना:आज का पटना शहर ( Patna ) बीते 25 साल पहले के पटना शहर से काफी बदल गया है. बीते 25 सालों में शहर में काफी बदलाव देखने को मिला है. पहले जहां लोग सीमित एरिया में ही सिमट कर रहते थे. वहीं आज इस शहर का विस्तार व्यापक स्तर पर हुआ है. वहीं शहर की आबादी में भी बढ़ोतरी हुई है.
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कितना बदला पटना
पटना शहर में पहले लोग टमटम रिक्शा की सवारी करते थे. लेकिन आज लोग मोटर वाहन की सवारी कर रहे हैं. इसके साथ ही शहर में कुछ ही वर्षों में मेट्रो सेवा भी शुरू हो जाएगी. जिसकी तैयारी जोरों से चल रही है.
जल्द ही शुरू होगी मेट्रो की सवारी
वहीं पटना में कुछ ही वर्षों में मेट्रो की सवारी शुरू होने वाली है. जिसकी तैयारी जोरों से चल रही है. बीते 25 सालों में हमारा पटना शहर कैसा था और किस तरह के बदलाव आए हैं. इसको लेकर ईटीवी भारत ने पटनावासियों से उनकी राय जानी. लोगों ने क्या कहा देखिए इस रिपोर्ट में.
पढ़िए लोगों ने पटना के बारे में क्या कहाः-
"पहले का पटना शहर और आज के शहर में जमीन आसमान का अंतर है. पहले सड़क ना के बराबर थी लेकिन आज शहर में सड़कों का जाल बिछा हुआ है. पटना में प्रशासन भी बेहतर कार्य कर रहा है. समय के साथ सब कुछ परिवर्तन होता है. वही हुआ है".-जितेंद्र कुमार,राजमिस्त्री
"पहले का शहर और आज के शहर में काफी कुछ बदलाव देखने को मिल रहा है. पहले जब हम लोग नालंदा मेडिकल हॉस्पिटल की ओर जाते थे. तो रास्ते में काफी कीचड़ हुआ करता था. लेकिन आजकल कहीं भी कूड़ा या कीचड़ नहीं दिखता है. इन दिनों पटना शहर को जितना अधिक सड़क ओवर ब्रिज बने हैं. जिसकी वजह से अब ट्रैफिक की भी समस्या बहुत कम हो गई है. आसानी से अब हम कहीं आ जा सकते हैं. बिजली पानी में भी सुधार हुआ है. जिससे शहर की सुरत बदल गई है".-किरण शरण, डॉक्टर
"30 वर्षों में पटना बहुत बदला है. तीस साल शहर के बदलाव के लिए काफी होता है. इतने वर्षों में बहुत से चीजों में बदलाव हुआ है. आदमी के रहन-सहन हो या फिर दुनियादारी सब चीज में बदलाव होता है. उसी तरह पटना शहर में भी बदलाव हुआ है. हां जितना शहर में बदलाव होना चाहिए था उतना नहीं हुआ है. हालांकि पहले की अपेक्षा शहर में काफी बदलाव हुआ है. शहर में स्कूल खुले हैं, पार्क खुले, सड़क का निर्माण, पुल पुलिया का निर्माण, मॉल का निर्माण के साथ अन्य चीज भी बने हैं, जिससे शहर बेहतर हुआ है."- रामलाल खेतान, बिजनेसमैन
"जब हम लोग राजधानी पटना में पत्रकारिता की शुरुआत की थी. तो हमें याद है कि उस समय पटना शहर में इतनी आबादी नहीं थी और ना ही शहर में राजनीतिक समीकरण थे लेकिन आज आबादी भी बढ़ी है और राजनीतिक समीकरण भी बदला है. आज के समय पटना शहर के किसी भी इलाके में चले जाएं तो बदलाव ही बदलाव दिखता है".- प्रशांत झा, वरिष्ठ टीवी पत्रकार
बड़े-बड़े मीटिंग हॉल का निर्माण
शहर में राजनीतिक मीटिंग करनी हो या फिर कोई सेमिनार, इसके लिए मात्र एक ही मीटिंग हॉल था. जिसका नाम श्रीकृष्ण मेमोरियल हॉल था लेकिन शहर की आबादी बढ़ी तो लोगों की जरूरतें भी बढ़ी. जिसके बाद सरकार ने दो नए मीटिंग हॉल का निर्माण करवाया. जिसका नाम बापू सभागार और ज्ञान भवन रखा गया है. बापू सभागार और ज्ञान भवन को बनाने में कई सारी यंत्रों का उपयोग किया गया है. ताकि इसकी खूबसूरती को चार चांद लगे.