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चारा तो बस एक नाम है.. बिहार में घोटालों की है फेहरिस्त.. जिसे करने वाले आज भी आराम से घूम रहे

बिहार की राजनीति घोटालों के इर्द-गिर्द घूमती है. चारा घोटाला (Fodder Scam) ने सूबे की सियासत की दिशा और दशा बदल कर रख दी. हालांकि इसके अलावे भी प्रदेश में कई घोटाले हुए हैं. वास्तव में बिहार में घोटालों की लंबी फेहरिस्त (Long list of Scams in Bihar) है लेकिन अभी भी रहस्य से पर्दा उठना बाकी है. बड़ी मछली जांच एजेंसियों की गिरफ्त से बाहर है.

बिहार में घोटालों की लंबी फेहरिस्त
बिहार में घोटालों की लंबी फेहरिस्त

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Published : Feb 22, 2022, 10:19 PM IST

पटना:चारा घोटाला (Fodder Scam) से जुड़े डोरंडा ट्रेजरी मामले में आरजेडी अध्यक्ष लालू यादव (RJD President Lalu Yadav) को 5 साल की सजा सुनाई गई है. घोटाले को लेकर बिहार में सियासत होती रही है. लालू के शासनकाल में पशुपालन घोटाला, अलकतरा घोटाला और मेधा घोटाला हुआ था. ज्यादातर मामलों में आरोपी जेल के अंदर हैं. कोर्ट से उन्हें सजा सुनाई जा रही है. वहीं, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) के शासनकाल में भी कई घोटाले हुए हैं. घोटालों के चलते सरकार के खजाने को करोड़ों रुपए का चूना लगाकर कुछ एक मामलों में बिहार के अंतरराष्ट्रीय स्तर पर फजीहत हुई है.

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नीतीश कुमार के शासनकाल में हुए घोटालों को लेकर विपक्ष के तेवर तल्ख हैं. विपक्ष का आरोप है कि नीतीश कुमार के शासनकाल में 80 घोटाले हुए लेकिन सिर्फ पशुपालन घोटाला मामले में ही जांच में तेजी दिखाई गई है. दूसरे अन्य घोटालों में जांच की रफ्तार काफी धीमी है. बिहार में सृजन घोटाला (Srijan Scam in Bihar) सरकार के चेहरे पर दाग है. साल 2003 से ही सृजन घोटाले की पटकथा लिखी जा रही थी. भागलपुर के तत्कालीन जिलाधिकारी के रमैया के समय में नजारत के पैसे को सृजन में डालने को लेकर पत्र जारी किया गया, उस समय राबड़ी देवी मुख्यमंत्री थीं.

साल 2017 में घोटाले का पर्दाफाश तब हुआ, जब जिला तत्कालीन जिलाधिकारी के हस्ताक्षर से जारी बैंक चेक पर्याप्त राशि नहीं होने के कारण वापस कर दिया गया. अनुमान के मुताबिक सृजन घोटाले में सरकार को 5000 करोड़ से अधिक की क्षति हुई. घोटाले की जांच आज की तारीख में सीबीआई कर रही है और कई सफेदपोश और बड़ी मछलियां कार्रवाई की जद से बाहर है. धान क्रय घोटाला भी बड़े घोटालों में एक था और बिहार में 3000 करोड़ से अधिक का घोटाला हुआ था. सरकार के राजस्व को क्षति हुई थी और इस मामले को सीबीआई ने लेने से इनकार कर दिया था और फिलहाल जांच आर्थिक अपराध इकाई कर रही है. इस मामले में भी कोई बड़ी कार्रवाई अब तक नहीं हुई है.

बालिका सुधार गृह कांड (Girl Shelter Home Case) ने बिहार की फजीहत अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कराई थी. हाय-तौबा मचने के बाद मामले को सीबीआई को सौंपा गया था लेकिन इस मामले में भी बड़ी मछली और सफेदपोश कार्रवाई की जद से बाहर हैं. कई नौकरशाहों पर अनुशंसा के बावजूद कार्रवाई नहीं हो सकी है. बिहार में छात्रवृत्ति घोटाले के चलते हजारों छात्रों का भविष्य अधर में चला गया और नौकरशाहों ने खजाने को चूना लगा दिया. घोटाले की जांच निगरानी कर रही है लेकिन मामले में आईएएस अफसर समेत मुख्य आरोपी के खिलाफ कार्रवाई नहीं हो सकी है. वहीं, बिहार में हुए दवा घोटाले को लेकर भी खूब हाय तौबा मचा था. 2012-13 में दवा घोटाला हुआ था और 13 करोड़ का घोटाला उस वक्त बताया गया था लेकिन आंकड़ा कहीं से ज्यादा का था.

आरजेडी प्रवक्ता एजाज अहमद ने कहा कि पशुपालन घोटाला के अलावा बिहार में कई घोटाले हुए. दो लाख करोड़ का घोटाला हुआ है. एजी ने कहा कि उसका कोई हिसाब नहीं मिल रहा है. तमाम घोटालों में बड़ी मछलियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं की गई है. सरकार कार्रवाई करने की हिम्मत नहीं जुटा पा रही है. वहीं जेडीयू के मुख्य प्रवक्ता नीरज कुमार ने कहा है कि घोटाला मामले में आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई की जाती है. जहां तक सृजन का सवाल है तो राबड़ी देवी के समय में ही घोटाला शुरू हुआ था क्या तेजस्वी जांच कराएंगे?

इस बारे में बीजेपी नेता नवल किशोर यादव ने कहा है कि हम किसी को बचाते नहीं हैं. बड़ी मछली हो चाहे छोटी मछली, सब के खिलाफ कार्रवाई की जाती है. घोटाला मामले में जो कोई संलिप्त होंगे, उन्हें बख्शा नहीं जाएगा. वरिष्ठ पत्रकार कौशलेंद्र प्रियदर्शी का मानना है कि बिहार में कई घोटाले हुए. कुछ घोटालों में कार्रवाई हुई लेकिन कुछ घोटालों में कार्रवाई नहीं हुई. विपक्ष की भूमिका भी ढुलमुल रही है. विपक्ष अगर आक्रमक होता तो दूसरे अन्य घोटालों में भी कार्रवाई में तेजी आती.

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