पटना: एक समय था जब बिहार में चुनाव का मतलब खून-खराबा हुआ करता था. जिसके कारण चुनाव का समय आते ही पुलिस वर्दी का पदाधिकारी सहित चुनाव कराने जाने वाले कर्मचारी भी दहशत में रहा करते थे. बूथ कैपचरिंग तो जैसे आम बात हुआ करती थी. लेकिन, पिछले कई चुनावों से बिहार में घटने वाली हिंसक घटनाओं में काफी कमी आई है.
बिहार में लोकसभा चुनाव 2019 के तीन चरणों का चुनाव संपन्न हो चुका है. तीन चरण में 14 लोकसभा सीटों का चुनाव हो चुका है. चुनाव के दौरान कुछ छिटपुट घटनाओं के अलावा कोई बड़ी या हिंसक घटना घटित नहीं हुई है. जो बिहार वासियों के साथ-साथ राजनीतिक दलों और चुनाव आयोग के लिए भी अच्छी खबर है. इसका श्रेय आयोग की ओर से की गई चुनावी तैयारियों को देना गलत नहीं होगा.
विस्तृत जानकारी
जानकारों की माने तो हिंसा रहित चुनाव कराने की सफलता के पीछे मतदान केंद्रों की संख्या में की गई बढ़ोतरी प्रमुख कारण है. तीनों चरणों के मतदान केंद्रों का विवरण इस प्रकार है-
पहले चरण के लोकसभा क्षेत्र में साल 2014 में जहां 6759 बूथ बनाए गए थे. वहीं, इस बार 7486 बूथ बनाए गए. यानी पहले चरण में तकरीबन 11% बूथों संख्या बढ़ गई।
गया लोकसभा क्षेत्र
- वर्ष 2014 में- 1663 बूथ
- वर्ष 2019 में- 1822 बूथ
औरंगाबाद लोकसभा क्षेत्र
- वर्ष 2014 में- 1760 बूथ
- वर्ष 2019 में- 1923 बूथ
नवादा लोकसभा क्षेत्र
- वर्ष 2014 में-1676 बूथ
- वर्ष 2019 में- 1824 बूथ
जमुई लोकसभा क्षेत्र
- वर्ष 2014 में- 1660 बूथ
- वर्ष 2019 में- 1917 बूथ
दूसरे चरण के लोकसभा क्षेत्र में पिछले चुनाव में जहां 7366 बूथ बनाए गए थे. वहीं इस बार के चुनाव के लिए 8644 बूथ बनाए गए. दूसरे चरण में बूथों की संख्या में तकरीबन 17% का इजाफा हुआ.
कटिहार लोकसभा क्षेत्र
- वर्ष 2014 में- 1358 बूथ
- वर्ष 2019 में- 1666 बूथ
पूर्णिया लोकसभा क्षेत्र
- वर्ष 2014 में- 1457 बूथ
- वर्ष 2019 में-1758 बूथ
किशनगंज लोकसभा क्षेत्र
- वर्ष 2014 में- 1365 बूथ
- वर्ष 2019 में- 1626 बूथ