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शांतिपूर्ण तरीके से हुआ 3 चरणों का मतदान, बूथों की संख्या में बढ़ोतरी का दिखा असर - बूथों की संख्या में बढ़ोतरी

राज्य में होने वाले चुनाव में मतदान केंद्र स्थलों को लेकर काफी झड़प हुआ करती थी. मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा ने बिहार के दौरे में भी इस मामले को गंभीरता से लिया था. इसके बाद चुनाव आयोग बूथों की संख्या को लेकर कई स्तर पर जांच कराई थी.

ईटीवी संवाददाता

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Published : Apr 25, 2019, 9:29 PM IST

पटना: एक समय था जब बिहार में चुनाव का मतलब खून-खराबा हुआ करता था. जिसके कारण चुनाव का समय आते ही पुलिस वर्दी का पदाधिकारी सहित चुनाव कराने जाने वाले कर्मचारी भी दहशत में रहा करते थे. बूथ कैपचरिंग तो जैसे आम बात हुआ करती थी. लेकिन, पिछले कई चुनावों से बिहार में घटने वाली हिंसक घटनाओं में काफी कमी आई है.
बिहार में लोकसभा चुनाव 2019 के तीन चरणों का चुनाव संपन्न हो चुका है. तीन चरण में 14 लोकसभा सीटों का चुनाव हो चुका है. चुनाव के दौरान कुछ छिटपुट घटनाओं के अलावा कोई बड़ी या हिंसक घटना घटित नहीं हुई है. जो बिहार वासियों के साथ-साथ राजनीतिक दलों और चुनाव आयोग के लिए भी अच्छी खबर है. इसका श्रेय आयोग की ओर से की गई चुनावी तैयारियों को देना गलत नहीं होगा.

जानकारी देते ईटीवी संवाददाता

विस्तृत जानकारी
जानकारों की माने तो हिंसा रहित चुनाव कराने की सफलता के पीछे मतदान केंद्रों की संख्या में की गई बढ़ोतरी प्रमुख कारण है. तीनों चरणों के मतदान केंद्रों का विवरण इस प्रकार है-
पहले चरण के लोकसभा क्षेत्र में साल 2014 में जहां 6759 बूथ बनाए गए थे. वहीं, इस बार 7486 बूथ बनाए गए. यानी पहले चरण में तकरीबन 11% बूथों संख्या बढ़ गई।

गया लोकसभा क्षेत्र

  • वर्ष 2014 में- 1663 बूथ
  • वर्ष 2019 में- 1822 बूथ

औरंगाबाद लोकसभा क्षेत्र

  • वर्ष 2014 में- 1760 बूथ
  • वर्ष 2019 में- 1923 बूथ

नवादा लोकसभा क्षेत्र

  • वर्ष 2014 में-1676 बूथ
  • वर्ष 2019 में- 1824 बूथ

जमुई लोकसभा क्षेत्र

  • वर्ष 2014 में- 1660 बूथ
  • वर्ष 2019 में- 1917 बूथ

दूसरे चरण के लोकसभा क्षेत्र में पिछले चुनाव में जहां 7366 बूथ बनाए गए थे. वहीं इस बार के चुनाव के लिए 8644 बूथ बनाए गए. दूसरे चरण में बूथों की संख्या में तकरीबन 17% का इजाफा हुआ.

कटिहार लोकसभा क्षेत्र

  • वर्ष 2014 में- 1358 बूथ
  • वर्ष 2019 में- 1666 बूथ

पूर्णिया लोकसभा क्षेत्र

  • वर्ष 2014 में- 1457 बूथ
  • वर्ष 2019 में-1758 बूथ

किशनगंज लोकसभा क्षेत्र

  • वर्ष 2014 में- 1365 बूथ
  • वर्ष 2019 में- 1626 बूथ

बांका लोकसभा क्षेत्र

  • वर्ष 2014 में- 1580 बूथ
  • वर्ष 2019 में- 1816 बूथ

भागलपुर लोकसभा क्षेत्र

  • वर्ष 2014 में- 1606 बूथ
  • वर्ष 2019 में- 1777 बूथ

तीसरे चरण में 2014 के लोकसभा चुनाव में कुल 7380 बूथ बनाए गए थे. वहीं, इस बार के चुनाव के लिए 9076 बूथ बनाए गए. इस चरण में अब तक सबसे ज्यादा 23% बूथों की संख्या बढ़ाई गई.

झंझारपुर लोकसभा क्षेत्र

  • वर्ष 2014 में- 1529 बूथ
  • वर्ष 2019 में- 1929 बूथ

सुपौल लोकसभा क्षेत्र

  • वर्ष 2014 में- 1425 बूथ
  • वर्ष 2019 में- 1770 बूथ

अररिया लोकसभा क्षेत्र

  • वर्ष 2014 में- 1422 बूथ
  • वर्ष 2019 में- 1723 बूथ

मधेपुरा लोकसभा क्षेत्र

  • वर्ष 2014 में- 1604 बूथ
  • वर्ष 2019 में- 1940 बूथ

खगड़िया लोकसभा क्षेत्र

  • वर्ष 2014 में- 1400 बूथ
  • वर्ष 2019 में- 1714 बूथ

गौरतलब है कि राज्य में होने वाले चुनाव में मतदान केंद्र स्थलों को लेकर काफी झड़प हुआ करती थी. कई ऐसे टोले और गांव हुआ करते हैं जहां खास जाति विशेष के लोग वोट देने जाना पसंद नहीं करते थे.

मुख्य चुनाव आयुक्त ने किया था जिक्र
मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा ने बिहार के दौरे में भी इस मामले को गंभीरता से लिया था. इसके बाद चुनाव आयोग बूथों की संख्या को लेकर कई स्तर पर जांच कराई थी. इसके परिणाम स्वरुप पर इसबार 10% से 25% तक मतदान केंद्रों की संख्या बढ़ा दी गई.

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