पटना: लोकसभा चुनाव सिर्फ पीएम मोदी के लिए चुनौती नहीं है,बल्कि बिहार में तेजस्वी यादव के लिए भी किसी अग्निपरीक्षा से कम नहीं है. लालू की अनुपस्थिति में पार्टी और गठबंधन की बागडोर संभाल रहे तेजस्वी के लिये इस चुनाव के नतीजे तय करेंगे कि वे बिहार की राजनीति में कितनी लंबी पारी खेल पाएंगे.
तेजस्वी यादव बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष हैं. इस बार लालू की अनुपस्थिति में भी तेजस्वी न सिर्फ राजद का नेतृत्व कर रहे हैं, बल्कि महागठबंधन का दारोमदार भी उन्हीं के कंधों पर है. माना जा रहा है कि 2019 का चुनाव प्रधानमंत्री मोदी के लिए बड़ी चुनौती है. वहीं, बिहार में तेजस्वी यादव के लिए यह चुनाव किसी अग्निपरीक्षा से कम नहीं है. क्योंकि इस चुनाव के नतीजे राजद और बिहार में विपक्ष की राजनीति की दशा और दिशा तय करेगी.
बड़े भाई तेजप्रताप यादव के साथ चल रहा विवाद
एक ओर तो तेजस्वी यादव लगातार अपनी पार्टी के वरिष्ठ नेताओं से सामंजस्य बिठाने की कवायद कर रहे हैं. दूसरी तरफ उनके अपने परिवार में ही बड़े भाई तेजप्रताप से शीत युद्ध जग जाहिर है. टिकट नहीं मिलने से नाराज अली अशरफ फातमी और मंगनी लाल मंडल जैसे कई नेता पार्टी छोड़ चुके हैं. जबकि कई वरिष्ठ नेता इस बात से नाराज हैं कि लालू यादव ने वरिष्ठ नेताओं की जगह तेजस्वी यादव को सारी जिम्मेदारी दे दी और अब पार्टी में उन्हें ज्यादा महत्व नहीं मिल रहा है. दूसरी तरफ कांग्रेस के साथ लोकसभा चुनाव में तालमेल की कमी भी चर्चा में है.