पटना: लोकसभा चुनाव में करारी हार के बाद कांग्रेस नेताओं ने मंथन किया. मंथन में पार्टी नेताओं ने अलग पहचान बनाने की बात तो कही, लेकिन विधानमंडल दल की बैठक में मात्र दर्जनभर विधायक ही पहुंचे थे. जबकि बिहार में कांग्रेस के 29 विधायक हैं. ऐसे में पार्टी को बाकी विधायकों के टूट का खतरा सताने लगा है.
मानसून सत्र से पहले कांग्रेस पार्टी के नेताओं ने एकजुटता प्रदर्शित करने के लिए विधानमंडल दल की बैठक बुलाई. विधायक दल के नेता सदानंद सिंह के सरकारी आवास पर बैठक का आयोजन हुआ. दिन भर विधायकों के फोन पर घंटी बजती रही. आश्वासन भी मिला लेकिन 29 विधायकों में से सिर्फ दर्जनभर विधायक ही बैठक में पहुंचे. पार्टी विधायक भी आपस में बंटे हुए हैं, कुछ विधायक नीतीश के समर्थन में हैं. तो कुछ आरजेडी खेमे में रहना चाहते हैं.
कांग्रेस विधानमंडल के नेता सदानंद सिंह के साथ मदन मोहन झा और अन्य नेता सदानंद सिंह ने क्या कहा
विधायक दल के नेता सदानंद सिंह ने विधायकों के साथ बैठक की. मंथन का दौर भी चला जिसके बाद नतीजा यह निकला कि कांग्रेस बिहार में अब अलग पहचान बनाएगी. विधानसभा सत्र के दौरान एजेंडा भी अलग से तय किए जाएंगे. सदानंद सिंह ने कहा कि मानसून सत्र के दौरान कांग्रेस विपक्ष की भूमिका निभाएगी और वरिष्ठ नेताओं की टीम एजेंडा तय करेगी. उसी हिसाब से पार्टी नेता कार्य स्थगन बहिष्कार या फिर हंगामे की रणनीति तय करेंगे. सदानंद सिंह को उम्मीद है कि मानसून सत्र के दौरान पार्टी विधायक एकजुट रहेंगे.
बीजेपी ने ली चुटकी
वहीं, भाजपा प्रवक्ता प्रेम रंजन पटेल ने कहा है कि कांग्रेस नेता करारी शिकस्त के बाद हताश और निराश हैं. नेताओं को लग रहा है कि कांग्रेस पार्टी अब डूबती जहाज है और वह अपने लिए आशियाना ढूंढ रहे हैं. उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी में टूट तय है. क्योंकि ज्यादातर नेताओं को यह लगता है, कि या तो नीतीश के चलते चुनाव जीते हैं या फिर लालू यादव के चलते विधायक बने हैं.