पटना: बिहार में अब जिन जगहों पर शराब पकड़ी जाएगी वहां जिओ टैगिंग होगी. राज्य सरकार और पुलिस प्रशासन इसको लेकर तैयारियों में जुट गई है. बिहार में उत्पाद विभाग और मद्य निषेध की टीम ने एक नया एसओपी तैयार किया है. जिसमें जिस जगह पर शराब पकड़ी जाएगी, वहां पर जियो टैगिंग की जाएगी. जियो टैगिंग के तहत डिजिटल मैपिंग कर उन क्षेत्रों को चिन्हित किया जाएगा, जहां पर बार-बार शराब बरामद होती है.
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मद्य निषेध टीम ने तैयार किया एसओपी
बता दें कि जियो टैगिंग की मदद से उन क्षेत्रों में भविष्य में निगरानी रखी जाएगी, ताकि शराब तस्करों के मनोबल को तोड़ा जा सके. पुलिस प्रशासन का मानना है कि जियो टैगिंग के दौरान शंका के आधार पर तुरंत छापेमारी की जा सकेगी और शराब तस्करों को पकड़ा जा सकेगा.
जिओ टैगिंग से शराब तस्करों पर शिकंजा
जिला पुलिस उत्पाद विभाग और मद्य निषेध की टीम संयुक्त रूप से मिलकर एक प्लान के तहत राज्य के अंदर ही शराब बनाने वाली मिनी फैक्ट्री और शराब बनाने वालों को पकड़ने की कार्रवाई करेगी. इसके लिए सबसे पहले उन क्षेत्रों की जियो टैगिंग की जाएगी, जिन क्षेत्र में छापेमारी के दौरान बार-बार शराब की खेप पुलिस को मिल रही है.
- मद्य निषेध टीम ने तैयार किया नया एसओपी
- शराब पकड़ी गई जगहों की होगी जिओ टैगिंग
- डिजिटल मैपिंग कर उन क्षेत्रों को किया जाएगा चिन्हित
- भविष्य में उन क्षेत्रों पर रखी जाएगी कड़ी नजर
क्या है जियो टैग ?
जियो टैग का अर्थ है कार्य की भौगोलिक स्थिति यानी कौन कितनी ऊंचाई और कितनी दूरी पर है. जियो टैग से ये भी साफ होगा कि किस कार्य की क्या स्थिति है और कितना धन खर्च हो रहा है. इससे पहले हुए कार्य पर दोबारा ये काम नहीं हो पाएगा.
पीएचक्यू जानकारी देने से कर रहा परहेज
हालांकि, पुलिस प्रशासन ने बनाए गए नए एसओपी के बारे में पुलिस मुख्यालय कुछ भी खुलकर बताने से परहेज कर रही है. पुलिस मुख्यालय का मानना है कि बनाए गए नए एसओपी के बारे में अगर जानकारी दी जाएगी, तो शराब व्यवसाई या क्रिमिनल प्रवृत्ति के लोग सतर्क हो जाएंगे.
''लगातार मिल रही गुप्त सूचना के आधार पर शराब व्यवसायियों को राज्य के अंदर और बाहर से पकड़ा जा रहा है. बिहार पुलिस शराब बंदी कानून को पालन करवाने हेतु पूरी तरह से कटिबद्ध है. अगर शराब व्यवसायियों की मदद करते पुलिस वाले भी पकड़े जाएंगे, तो उन पर भी कार्रवाई की गई है और आगे भी की जाएगी''-जितेंद्र कुमार, एडीजी, पुलिस मुख्यालय
आसानी से की जा सकेगी छापेमारी
किसी घटना की शंका होने पर तत्काल उन क्षेत्रों में छापेमारी हो सकेगी. इसके अलावा शराब की तस्करी करने के मामलों में पकड़े गए और पूर्व के चार्जशीट व्यक्तियों को भी फिर से पकड़कर पूछताछ की जाएगी. बिहार राज्य में शराबबंदी के 5 साल बीत जाने के बाद भी पूर्ण रूप से शराब बंदी कानून लागू नहीं हो पा रहा है.