विकास वैभव, आईपीएस अधिकारी. पटना: विश्व अहिंसा दिवस के मौके पर सोमवार को 'लेट्स इंस्पायर बिहार' के तहत वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी विकास वैभव ने बिहार के प्रसिद्ध सोशल मीडिया ब्लॉगर्स को बिहार इनफ्लुएंसर एक्सीलेंस अवार्ड से सम्मानित किया. 150 सोशल मीडिया के फेमस ब्लॉगर्स को विकास वैभव ने सम्मानित किया. कहा कि जाति धर्म से ऊपर उठकर बिहार के बारे में लोगों को बेहतर बताइए.
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सोशल मीडिया की पहुंच लोगों तक: आईपीएस विकास वैभव से सम्मानित होने के बाद सिंगिग के क्षेत्र में अपना ब्लॉगिंग करने वाली हनी प्रिया ने कहा कि पहली बार बिहार के सोशल मीडिया ब्लॉगर्स के लिए इतने बड़े लेवल पर इस प्रकार का सम्मान समारोह का आयोजन किया गया है. यहां आकर और सम्मान प्राप्त करने पर बहुत खुशी हो रही है. ढेर सारे सोशल मीडिया इनफ्लुएंसर से मिलने का भी मौका मिला जिसे वह सोशल साइट पर फॉलो करती हैं. आज के समय में अपनी बातों को लोगों तक पहुंचाने के लिए सोशल मीडिया बहुत ही अच्छा प्लेटफार्म है.
बिहार की विशेषताओं को बताते हैंः बिहार के ब्लॉगर केशव कुमार जो 'सब लुल है' के नाम से चैनल चलाते हैं, उन्होंने सम्मान के बाद कहा कि अभी तक दूसरे प्रदेशों में सोशल मीडिया ब्लॉगर्स को मीडिया इनफ्लुएंसर के रूप में बुलाकर सम्मानित किया जाता था. जहां वह जाते थे. पहली बार बिहार में इस तरह का कार्यक्रम किया गया और इतने बड़े अधिकारी से सम्मानित किया गया. यह वाकई उनके लिए खुशी का पल है. बिहार भी अब हर क्षेत्र में आगे बढ़ रहा है. वह लोग बिहार की विशेषताओं को बताते भी रहते हैं.
बिहार के लिए योगदान करें: इस मौके पर वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी विकास वैभव ने बताया कि लेट्स इंस्पायर बिहार एक अभियान है. जिसमें वह लोग बिहार का भविष्य उज्ज्वल कैसे हो इसके लिए सभी को इंस्पायर करके जोड़ रहे हैं. इसमें ब्लॉगर्स की बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका है. इनका इनफ्लुएंस बिहार के हर जिलों में लोगों तक है. ऐसे में एक अच्छा संदेश की जाति धर्म से ऊपर उठकर बिहार के लिए कुछ योगदान करें, ऐसा संदेश यदि सभी के माध्यम से जाएगा तो निश्चित ही हम इस स्वप्न को साकार कर सकेंगे जिसमें बिहार एक विकसित प्रदेश होगा. बिहार के पॉजिटिव इमेज को दुनिया में फैलाने वाले सोशल मीडिया इनफ्लुएंसर्स को सम्मानित किया जा रहा है.
तब जातिवाद हावी नहीं थाः विकास वैभव ने बताया कि हम सभी को समझना होगा कि बिहार तब महान क्यों था जब ना सड़कें थी ना तकनीक था, ना सूचना के कोई तंत्र थे. अगर कोई कारण था तो वह था दृष्टि. यह दृष्टि व्यक्ति को व्यक्ति से जोड़ना जानती थी. जातियां बिहार में तब भी थी लेकिन इस प्रकार जातिवाद हावी नहीं था. अगर जातिवाद हावी होता तो नंद वंश का उदय नहीं होता जो निम्न जाति से थे. चाणक्य भी चंद्रगुप्त की जाति खोजते. हमारी सोच अलग थी क्योंकि हम वेदांत की भूमि से आते हैं, इसमें व्यक्ति को व्यक्ति में कोई भेदभाव देखने की दृष्टि नहीं थी. सभी को एक देखते थे इसीलिए आगे बढ़ रहे थे और आपस में संघर्ष न कर सहयोग से आगे बढ़ रहे थे.
बिहार को और आगे ले जाना हैः विकास वैभव ने कहा कि इस दृष्टि को लेकर यदि आज भी हम चलते हैं, व्यक्ति को व्यक्ति से जोड़ते हैं तो बिहार फिर से महान बनेगा. क्योंकि समाज को दर्जनों के दुष्कृत्यों से उतना नुकसान नहीं होता है जितना सज्जनों की निष्क्रियता से होता है. अच्छे लोगों को जोड़कर जो बिहार की परंपरा को आगे ले जाने का काम करें इसका प्रयास हो रहा है. हमें इस दृष्टि को समझना होगा कि क्या कारण थे कि पौराणिक काल में विश्वविद्यालय बिहार में ही स्थापित हुए, अखंड भारत यही बना, आखिर क्या क्षमता थी. इस पूरी चीज को जब हम देखते हैं तो एक ही चीज पाते हैं कि हमारी दृष्टि बड़ी थी और अलग सोचने की थी. कुछ नए अपवाद पैदा करने की थी इसलिए वैशाली में हमने गणतंत्र स्थापित किया.