पटनाः बिहार सरकार के शिक्षा विभाग के कई आदेशों ने महागठबंधन के भीतर ही दरार पैदा कर दी है. सरकार के शिक्षा विभाग के खिलाफ प्रदेश के तीनों वाम दलएकजुट हो गए हैं. सीपीआई के एमएलसी संजय कुमार सिंह के मीडिया में दिए बयान पर शिक्षा विभाग ने जिस प्रकार उनके पेंशन को रोकने की कार्रवाई की है. इसकी तीनों वाम दलों ने कड़ी निंदा की है. इसके खिलाफ वाम दलों का एक डेलीगेट्स मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव से मुलाकात करेगा.
पटना में वाम दलों की बैठकः सोमवार को कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया के प्रदेश कार्यालय में सीपीआई, सीपीआईएम और सीपीआई-एमएल के नेताओं की बैठक हुई. बैठक में निर्णय लिया गया की शिक्षा विभाग के कई हालिया निर्देश लोकतांत्रिक मूल्यों के खिलाफ हैं और संविधान विरोधी हैं. इसके खिलाफ वाम दलों का एक डेलीगेट्स मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव को मिलकर पत्र सौंपेगा और इन निर्देशों को रद्द करने की मांग करेगा.
शिक्षा विभाग के आदेशों का विरोधःइस बैठक में कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया के राज्य सचिव रामनरेश पांडे, सीपीआईएम के राज्य सचिव ललन चौधरी और सीपीआई-एमएल की ओर से विधायक संदीप सौरभ मौजूद रहे. रामनरेश पांडे और ललन चौधरी ने स्पष्ट कहा कि शिक्षा विभाग के हाल में जो निर्देश जारी किए गए हैं, वह लोकतांत्रिक मूल्यों के खिलाफ हैं. लोकतंत्र में सभी को संगठन बनाने का अधिकार है और संघ से जुड़ने का अधिकार है. सीपीआई एमएलसी संजय कुमार सिंह का जिस प्रकार से पेंशन को रोकने की कार्रवाई की गई है. वो गलत है.
"शिक्षक समाज के प्रबुद्ध लोग होते हैं और शुरू से जनकल्याणकारी विषयों पर मुखरता से बोलते रहे हैं, ऐसे में शिक्षकों पर उनकी अभिव्यक्ति के प्रदर्शन पर हो रही कार्रवाई का हम लोग विरोध करते हैं और इसके खिलाफ मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव से मिलेंगे. शिक्षा विभाग के आला अधिकारी जो इस प्रकार का निर्णय ले रहे हैं उनके खिलाफ कार्रवाई की भी मांग की जाएगी"-रामनरेश पांडे, राज्य सचिव, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी
'शिक्षा विभाग में संविधान विरोधी कार्य': वहीं इस मौके पर भाकपा माले विधायक और शिक्षक संघर्ष मोर्चा के अध्यक्ष संदीप सौरभ ने कहा कि शिक्षा विभाग में हाल में जो निर्देश जारी किए गए हैं, वह शिक्षकों के मौलिक अधिकार का हनन किया गया है. एक तरफ देश के स्तर पर इंडिया गठबंधन और प्रदेश में महागठबंधन केंद्र सरकार के लोकतंत्र विरोधी क्रियाकलापों और निर्णयों के खिलाफ देश की जनता को एकजुट करने में लगा है. दूसरी ओर प्रदेश में महागठबंधन सरकार के प्रमुख विभाग जिसमें लोकतंत्र की रक्षा की और संविधान बचाने की जिम्मेदारी है, ऐसे शिक्षा विभाग में संविधान विरोधी कार्य हो रहे हैं और लोकतांत्रिक मूल्यों को खत्म किया जा रहा है.
'पढ़ाई को बोझिल बनाया जा रहा है':संदीप सौरभ ने कहा कि संविधान के अनुसार राइट टू एजुकेशन के तहत महीने में प्राथमिक विद्यालयों में 800 घंटा और माध्यमिक और उच्च माध्यमिक में 1000 घंटा कक्षाओं के संचालन का नियम है. वर्तमान समय में इतने समय से अधिक कक्षाओं का संचालन हो रहा है. ऐसे में सुबह 9:00 से शाम 5:00 बजे तक विद्यालयों का संचालन इस नियम के विरुद्ध है. पढ़ाई को बोझिल बनाया जा रहा है. कक्षाओं के संचालन का समय सीमा बढ़ाने की कोई आवश्यकता नहीं थी.
मौलिक अधिकार का हो रहा हननः संदीप सौरभ ने कहा कि संविधान मौलिक अधिकार के रूप में अनुच्छेद 19.1.C विशेष श्रेणी छोड़कर सभी को संगठन बनाने और संघ से जुड़ने का अधिकार देता है. कोई किसी संघ से जुड़ा है, इसलिए उसे पर कार्रवाई पूरी तरह से अलोकतांत्रिक है. आपातकाल के समय भी कोई किसी संघ से जुड़ा है इसलिए उसे पर कार्रवाई नहीं की गई थी. विशेष परिस्थिति में कुछ समय के लिए सरकार संगठन बनाने से लोगों को रोकती हैं और ऐसी स्थिति बिहार में है नहीं.