पटना: राजनीति में अपराधीकरण बिहार जैसे राज्यों के लिए बड़ी समस्या है. देश में लगभग 34 प्रतिशत सांसद दागी हैं और इनके खिलाफ अलग-अलग न्यायालयों में मामला विचाराधीन है. राजनीति में अपराधियों का दखल ना हो, इसके लिए आयोग ने प्रावधान किया है.
चुनाव आयोग ने कहा है कि जिन नेताओं पर आपराधिक मामले चल रहे हैं, उन उम्मीदवारों को कम से कम तीन बार अखबार और टीवी में विज्ञापन देने होंगे और ऐसा नहीं करने वाले उम्मीदवारों के खिलाफ कोर्ट का आवमानना का केस चलाया जाएगा.
चुनाव में धनबल और बाहुबल का जमकर होता है इस्तेमाल
बिहार की राजनीति में धनबल और बाहुबल का जमकर इस्तेमाल होता है, आपराधिक चरित्र के लोग इस विधा में माहिर माने जाते हैं. आंकड़े इस बात के गवाह हैं कि राज्य के अंदर कुल 40 फीसदी विधायक ऐसे हैं, जिनके खिलाफ गंभीर मामले कोर्ट में विचाराधीन हैं. बिहार विधानसभा में राजद के 81 विधायकों में 46 के खिलाफ आपराधिक मामले कोर्ट में विचाराधीन हैं. इन 46 में 34 के खिलाफ गंभीर मामले हैं.
सभी पार्टियों में अपराधी छवि को नेता
जदयू की बात करें तो 70 विधायकों में 37 के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हैं. जिसमें से 28 विधायक ऐसे हैं जिनके खिलाफ गंभीर आपराधिक मामले विचाराधीन हैं. वहीं, बीजेपी के कुल 53 विधायकों में से 34 के खिलाफ आपराधिक मामले और उसमें से 19 के खिलाफ गंभीर आपराधिक मामले चल रहे हैं.
राजनीति में अपराधिकरण पर सवाल अपराधी छवि वालों को नहीं मिले टिकट
बीजेपी प्रवक्ता प्रेम रंजन पटेल ने कहा है कि पार्टी की भी इस बात को लेकर चिंता है कि आपराधी किस्म के लोग राजनीति में ना आएं. भाजपा प्रवक्ता ने कहा कि जिन लोगों के खिलाफ आपराधिक मामले चल रहे हैं, उन्हें राजनीतिक दलों को टिकट नहीं देनी चाहिए.
माननीयों के खिलाफ स्पीडी ट्रायल चलाने के निर्देश
सुप्रीम कोर्ट ने माननीयों के खिलाफ स्पीडी ट्रायल चलाने के निर्देश दे रखे हैं. एडीआर के बिहार कोऑर्डिनेटर राजीव कुमार ने कहा कि राजनीति का अपराधीकरण राज्य के सामने बड़ी समस्या है और उसके खिलाफ व्यापक जनमत तैयार करने की जरूरत है. साथ ही साथ सरकार को भी कड़े कदम उठाने की जरूरत है. राजीव कुमार ने धीमी न्यायिक प्रणाली पर भी असंतोष जताते हुए कहा है कि न्यायिक प्रक्रिया को भी तेज करने की जरूरत है.