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विष्णु महायज्ञ में शामिल हुए तेजस्वी यादव, कुछ इस अंदाज में लोगों तक पहुंचाया अपना 'संदेश' - ETV Bihar News

पटना से सटे मोकामा प्रखंड के औंटा गांव में कोरोना से मुक्ति के लिए 9 दिवसीय विष्णु महायज्ञ का आयोजन किया गया है. जिसमें बतौर मुख्य अतिथि नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव (Leader of Opposition Tejashwi Yadav) शामिल हुए. इस दौरान तेजस्वी यादव को स्वर्ण मुकूट पहनाकर स्वागत किया गया. पढ़िए पूरी रिपोर्ट...

मोकामा में विष्णु महायज्ञ का आयोजन
मोकामा में विष्णु महायज्ञ का आयोजन

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Published : Apr 21, 2022, 10:02 PM IST

पटना (मोकामा): राजधानी पटना से सटे मोकामा प्रखंड के औंटा गांव में कोरोना से मुक्ति के लिए 9 दिवसीय विष्णु महायज्ञ का (Vishnu Mahayagya At Mokama) आयोजन किया गया है. इस महायज्ञ में मुख्य अतिथि के रूप में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने हिस्सा लिया. तेजस्वी यादव हेलीकॉप्टर से मोकामा पहुंचे थे, जहां लोगों ने उनका जोरदार स्वागत किया. इस दौरान तेजस्वी यादव ने दीप जलाकर कार्यक्रम की शुरुआत की. वहीं, विष्णु महायज्ञ के मुख्य आयोजक ने देव नारायण सिंह मिक्की ने तेजस्वी यादव को स्वर्ण मुकुट पहनाकार स्वागत किया. समारोह में एमएलसी कार्तिक कुमार और अजय सिंह भी शामिल हुए थे.

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विष्णु महायज्ञ में तेजस्वी यादव हुए शामिल:वहीं, विष्णु महायज्ञ में शामिल होने पर नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने कहा कि इस महायज्ञ के अवसर पर सभी लोगों को शुभकामना देना चाहता हूं. ये कोई राजनैतिक मंच तो है नहीं लेकिन यहां मौजूद सभी लोग सामाजिक और राजनैतिक रूप से जागरूक हैं. इसलिए किसी को कुछ कहने की आवश्यकता नहीं है. उन्होंने कहा कि यज्ञ चल रहा है, धर्म को जानने वाला दुलर्भ होता है. उससे श्रेष्ठ तरीके से बताने वाला उससे भी दुर्लभ होता है और सबसे ज्यादा श्रद्धा से सुनने वाला तो उससे भी दुलर्भ होते हैं.

इंसानियत से बड़ा कोई धर्म नहीं: तेजस्वी:उन्होंने कहा कि धर्म का आचरण करने वाले सद्बुद्धिमान होते हैं. धर्म सही मार्ग और परोपकार का रास्ता दिखाने का काम करता है. हम लोग इसी लिए यहां जुटे हैं कि एक बेहतर इंसान बनना है. इंसानियत से बड़ा कोई धर्म नहीं होता, धर्म सत्य, सदाचार की महत्व बताने काम करता है. धर्म का नाम समाज विशेष और गैर नहीं होनी चाहिए, गरीब जरूरतमंद, लाचारों की सेवा करना सबसे बड़ा धर्म है. मानवता और इंसानियत से बड़ा कोई धर्म नहीं होता. आपसी भाईचारा, समता, न्याय , बंधुत्व ही धर्म का आधार है. धार्मिक व्यक्ति के दिल में करूणा, संतोष और दया की भावना होनी चाहिए. सभी लोगों को धर्म के मार्ग पर चलकर दीन दुखियों की मदद करने चाहिए, हमे आपस में जात और धर्म के नाम पर भेदभाव नहीं करना चाहिए.
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