पटना:बिहार विधानसभाके विशेष सत्र में बीजेपी विधायकों ने आचार समिति (Ethics Committee report In bihar) और विशेष समिति की रिपोर्ट को लेकर सदन के पटल पर रखने की मांग को लेकर जमकर हंगामा किया. सदन के अंदर और बाहर काफी देर तक हंगामा हुआ. सत्र की कार्यवाही लगभग 1 घंटे चली जिसमें विधानसभा के नए अध्यक्ष अवध बिहारी चौधरी ने कार्यवाही का संचालन किया. समिति की रिपोर्ट को लेकर जहां बीजेपी के नेता कई तरह के आरोप लगा रहे थे तो वहीं महागठबंधन दल (Mahagathbandhan on Ethics Committee report) के नेताओं के रुख बदले दिख रहे थे. महागठबंधन के नेताओं ने कमेटी की रिपोर्ट को रद्द करने की मांग की.
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आचार समिति की रिपोर्ट पर रार: 23 मार्च 2021 को बिहार विधानसभा में पहली बार सदन के अंदर पुलिस ने प्रवेश किया और विधायकों के साथ मारपीट की थी. उस वक्त महागठबंधन विपक्ष की भूमिका में थी और एनडीए सरकार पर हमलावर थी. विपक्षी दल के सदस्य विधानसभा अध्यक्ष के कक्ष के सामने धरने पर बैठ गए थे. एक तरह से विपक्ष ने अध्यक्ष को उनके कक्ष पर ही बंधक बना लिया था. महागठबंधन के हंगामे के बाद उस वक्त विधानसभा अध्यक्ष रहे विजय सिन्हा ने मामले को आचार समिति के सुपुर्द कर दिया था. अब महागठबंधन की सरकार है और विपक्ष की भूमिका में बीजेपी है. ऐसे में महागठबंधन कमेटी रिपोर्ट को रद्द करने की मांग कर रहा है.
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नेताओं के बदले सुर: अचार समिति के सभापति रामनारायण मंडल के नेतृत्व में कमेटी ने वीडियो और अन्य साक्ष्य के आधार पर रिपोर्ट तैयार की जिसमें 18 विधायकों पर कार्रवाई की अनुशंसा की गई है. आरजेडी और अन्य दलों के विधायकों के खिलाफ यह रिपोर्ट है. अब महागठबंधन दल के नेता इसे रद्द करने की मांग कर रहे हैं.
महागठबंधन का यू-टर्न: सरकार बनाने से पहले तक महागठबंधन पूरे मामले में जांच की मांग कर रहा था और अधिकारियों पर कार्रवाई की भी मांग की थी. कुछ पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई भी हो चुकी है. लेकिन अब महागठबंधन दल के नेताओं के रुख में बदलाव देखने को मिल रहा है. आचार समिति में रामनारायण मंडल सभापति के अलावे अरुण सिन्हा, ज्ञानेंद्र सिंह ज्ञानू, अचमित ऋषि देव और राम विशुन सिंह सदस्य के रूप में शामिल थे.
बीजेपी ने कार्रवाई की मांग: महागठबंधन की सरकार बनने से ठीक पहले आचार समिति ने रिपोर्ट तत्कालीन विधानसभा अध्यक्ष विजय सिन्हा को दी थी लेकिन सदन के पटल पर रिपोर्ट रखी नहीं जा सकी. अब जब सदन की कार्यवाही महागठबंधन सरकार में शुरू हुई तब महागठबंधन के नेताओं के सुर बदल गए हैं. अब बीजेपी की तरफ से इसे सदन में रखने की मांग होने लगी और इस पर सियासत शुरू हो गयी है. बिहार विधानसभा की कार्यवाही के दौरान भी बीजेपी सदस्यों ने इस मुद्दे को जोर-शोर से उठाया था.