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2018 बोधगया ब्लास्ट मामला: आखिरी कैदी को 10 साल की कैद, 8 को पहले ही मिल चुकी है सजा

बोधगया में साल 2018 में महाबोधि मंदिर (Mahabodhi Temple Bodh Gaya) में कालचक्र पूजा के दौरान बम धमाके की साजिश मामले में आखिरी कैदी को भी सजा हो गई. इससे पहले 8 कैदियों ने अपना गुनाह कबूला था. जानें पूरी खबर...

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Published : Feb 11, 2022, 4:54 PM IST

Updated : Feb 11, 2022, 6:53 PM IST

बोधगया ब्लास्ट मामला 2018
बोधगया ब्लास्ट मामला 2018

पटनाःबोधगया बम ब्लास्ट मामले में पटना के एनआईए की विशेष कोर्ट ने आखिरी आरोपी जिहाद उल इस्लाम को सजा (Last prisoner sentenced in Bodhgaya blast case ) सुना दी है. एनआईए कोर्ट ने जिहाद उल इस्लाम को 10 साल की कैद और 38 हजार रूपये का जुर्माना देने की सजा सुनाई है. साल 2018 में बोधगया में दलाई लामा के कार्यक्रम के दौरान आईईडी प्लांट कर धमाके की साजिश का यह मामला है.

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शुक्रवार को एनआईए कोर्ट ने आखिरी आरोपी को भी सजा सुना दिया. इससे पहले अन्य आरोपियों को सजा सुनाई जा चुकी है. साजिश रचने के मामले में बचे आखिरी आरोपित जेहाद उल इस्लाम इस्लाम को एनआइए कोर्ट के विशेष न्यायाधीश गुरविंदर सिंह मल्होत्रा की अदालत ने सजा सुनाई.

बता दें कि आरोपित ने अपना अपराध स्वीकार करने के लिए 24 जनवरी को अदालत में आवेदन दिया था. इस मामले में अदालत आठ अभियुक्तों को पहले ही सजा सुना चुकी है. उस वक्त जिहाद उल इस्लाम ने अपना अपराध स्वीकार नहीं किया था, इस कारण उसका ट्रायल अलग से चल रहा था.

दरअसल, 19 जनवरी 2018 को कालचक्र मैदान के गेट नंबर 5 पर दलाई लामा के कार्यक्रम के दौरान आईईडी पाया गया था. इसे सुरक्षित करने के दौरान इसमें विस्फोट हो गया था. दो और आईईडी बाद में श्रीलंकाई मठ के पास और महाबोधि मंदिर के गेट नंबर 4 की सीढ़ियों पर पाए गए थे. एनआईए ने 3 फरवरी, 2018 को मामला दर्ज किया था.

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एनआईए द्वारा की गई जांच में पाया गया कि गणमान्य व्यक्तियों के दौरे से पहले दोषी व्यक्तियों ने बोधगया मंदिर परिसर में आईईडी लगाकर साजिश रची थी. जेएमबी के आतंकवादियों ने एक दूसरे से संपर्क किया था, एक साथ यात्रा की थी, साजिश रची थी और विस्फोटक खरीदे थे. पूरी योजना के बाद इन तीनों आईईडी को बोधगया मंदिर परिसर में प्लांट किया गया.

इस मामले में एनआईए (NIA) के विशेष न्यायाधीश गुरविंद सिंह मल्होत्रा की अदालत ने 17 दिसंबर 2021 को 8 दोषियों को सजा सुनायी थी. दोषियों में अहमद अली उर्फ कालू, पैगम्बर शेख, नूर आलम मोमिन को उम्रकैद की सजा सुनायी गई थी.

वहीं, दिलावर हुसैन, मुस्तफा रहमान उर्फ शाहिन उर्फ तुहिन, आरिफ हुसैन उर्फ अतातुर्क उर्फ सैयद उर्फ अनस उर्फ आलमगीर शेख, मोहम्मद आदिल शेख उर्फ अब्दुल्लाह, अब्दुल करीम उर्फ करीम शेख उर्फ इकबाल उर्फ फट्टू शेख को दस साल जेल की सजा सुनायी गई. उस वक्त जिहाद उल इस्लाम के गुनाह कबूल नहीं करने के कारण फैसला लंबित रह गया था, जिसपर शुक्रवार को फैसला आया.

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Last Updated : Feb 11, 2022, 6:53 PM IST

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