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..तो क्या ऐसे में लोगों के बीच संदेश पहुंचाने में सफल होगी RJD?

बिहार में नवनिर्वाचित 24 एमएलसी को लेकर एडीआर ने रिपोर्ट (ADR Report on bihar MLC) में बताया गया है कि सबसे ज्यादा दागी आरजेडी में हैं. रिपोर्ट के अनुसार जीत दर्ज करने वाले राजद के पार्षदों पर सबसे ज्यादा आपराधिक मामले दर्ज हैं. इस सूची में सभी पार्टियों के नाम शुमार हैं. पढ़ें पूरी खबर..

large-number of tainted mlc in rjd
large-number of tainted mlc in rjd

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Published : Apr 15, 2022, 8:14 PM IST

पटना:साल 2005 में एनडीए ने तत्कालीन राजद सरकार के खिलाफ चुनाव लड़ने के दौरान जो मुद्दा लोगों के सामने उठाया था, उसमें कानून व्यवस्था में असफलता के साथ ही राजद का बाहुबल भी था. जनता ने इसी मुद्दे पर एनडीए का साथ भी दिया. बाद में राजद की तरफ से भी जनता का विश्वास जीतने के लिए तेजस्वी यादव को पेश किया गया और युवा नेतृत्व की बात कही गई. लेकिन सवाल यह है कि एडीआर की तरफ से विधान परिषद चुनाव में जीत हासिल करने वाले पार्षदों पर पेश किए गए रिपोर्ट में दागी विधायकों की संख्या राजद (tainted MLC in RJD) पर फिर भारी पड़ रही है. ऐसे में एक तरफ दागी विधायक और दूसरी तरफ युवा नेतृत्व दिए जाने का संदेश. तो क्या ऐसे में राजद लोगों के बीच अपनी बात को पहुंचा सकेगा.

पढ़ें- नवनिर्वाचित MLC में सच्चिदानंद राय सबसे धनवान, ADR ने जारी की रिपोर्ट

आपराधिक मामले में राजद टॉप पर:रिपोर्ट के अनुसार घोषित आपराधिक मामलों में राजद के पार्षदों पर सबसे ज्यादा केस दर्ज हैं. राजद के छह में से पांच पर यानि 83 प्रतिशत पार्षदों पर घोषित आपराधिक मामले दर्ज हैं जबकि तीन पर यानि 50 प्रतिशत पर गंभीर घोषित मामले दर्ज हैं. इसके बाद जदयू का स्थान है. जदयू के पांच में से तीन पार्षदों पर यानि 60 प्रतिशत पर घोषित आपराधिक मामले दर्ज हैं जबकि तीन यानि 60 प्रतिशत पर घोषित गंभीर आपराधिक मामले दर्ज हैं. बीजेपी के सात पार्षदों में चार पर यानि 57 प्रतिशत पर घोषित आपराधिक मामले दर्ज हैं जबकि तीन पर यानि 43 प्रतिशत पर गंभीर घोषित मामले दर्ज हैं.

हर दल में दागी:एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिसर्च यानि एडीआर की बिहार विधान परिषद को लेकर जारी की गई ताजा रिपोर्ट इसी बात की तरफ इशारा कर रही है. रिपोर्ट में किसी भी दल को क्लीन चिट नहीं मिली है. मुख्य दलों में सबसे ज्यादा दाग राजद के विधान पार्षदों पर लगे हैं. रिपोर्ट के अनुसार जीत दर्ज करने वाले राजद के पार्षदों पर सबसे ज्यादा आपराधिक मामले दर्ज हैं. ऐसा नहीं है कि केवल राजद के पार्षदों पर ही मामले दर्ज हैं बल्कि इस सूची में बीजेपी, जदयू, कांग्रेस व अन्य दलों के भी पार्षदों के नाम हैं लेकिन प्रतिशत के मामले में राजद दूसरे दलों से काफी आगे है.

विधानसभा की भी यही कहानी:2020 में संपन्न हुए विधानसभा चुनाव में जीत दर्ज करने वाले सभी 241 प्रत्याशियों में संख्या बल के अनुसार सौ फीसदी आपराधिक मामलों वाले विधायकों में एआईएमआईएम के सदस्यों के नाम सबसे ऊपर हैं. इस पार्टी के सभी पांच सदस्यों पर आपराधिक मामल दर्ज हैं. वहीं मुख्य दलों की बात करें तो बीजेपी, राजद व जदयू में राजद के 74 में से 54 यानि 73 फीसदी विधायकों ने अपने खिलाफ आपराधिक मामलों को दर्ज होने की जानकारी दी थी.

इसके बाद बीजेपी का नंबर था. बीेजेपी के 73 में से 47 यानि 64 फीसदी विधायकों ने आपराधिक मामले दर्ज होने की जानकारी दी थी. इसके अलावा, जेडीयू के 43 में से 20 विधायकों यानि 47 फीसदी विधायकों ने अपने ऊपर आपराधिक मामले दर्ज होने की जानकारी दी थी. इसी प्रकार कांग्रेस के 19 में से 16, व सीपीआई-एमएल के 12 में से दस विधायकों ने अपने खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज होने की जानकारी दी थी. इसी प्रकार 2015 विधानसभा चुनाव में भी राजद के ही 80 में से सबसे ज्यादा 46 दागी विधायक थे. जबकि बीजेपी के 53 में से 34 व जेडीयू के 71 में से 37 विधायक दागी थे.

राजद से ज्यादा जदयू -बीजेपी में दागी: राजद के फायरब्रांड नेता व प्रवक्ता शक्ति सिंह यादव का कहना है कि दागी विधायक हैं तो यह भी देखने की जरूरत है कि उनके ऊपर किस प्रकार के मुकदमें दर्ज हैं. बीजेपी व जदयू पर वार करते हुए उन्होंने कहा कि 2020 के चुनाव के बाद जो मंत्रिमंडल बना, उसमें 73 प्रतिशत मंत्री दागी थे. आरोप के प्रकार पर भी ध्यान देने की जरूरत है कि वह किस रूप में है.

"जहां तक गंभीर मामलों की बात है तो वह सारे मामले बीजेपी-जदयू के विधायकों पर हैं. 2020 चुनाव परिणाम आने के बाद उनके मंत्रिमंडल में 73 प्रतिशत लोग दागी थे. उनमें से कईयों पर गंभीर आरोप लगे थे. आरोप के प्रकार पर भी ध्यान देने की जरूरत है. गंभीर मामले भाजपा और जदयू के चुने हुए प्रतिनिधियों पर है. तेजस्वी प्रसाद खुद युवाओं को ज्यादा मौका देना चाहते हैं. वह ए टू जेड की सोच को स्थापित करने में लगे हैं."- शक्ति सिंह, राजद प्रवक्ता

'उनके तो सबसे बड़े नेता ही दोषी': राजद के दागी विधायकों पर बात करते हुए जदयू के प्रवक्ता अभिषेक झा ने कहा कि राजद में शामिल होने के लिए दागी व भ्रष्टाचारी होना जरूरी है. ये सब उस पार्टी की यूएसपी है. ये एक पारिवारिक पार्टी है जो प्राइवेट लिमिटेड कंपनी की तरह चलती है. पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू प्रसाद खुद भ्रष्टाचार के आरोप में सजा काट रहे हैं. उनके परिवार के सदस्यों के ऊपर ही संगीन आरोप लगे हैं. राजद में युवा नेतृत्व की बात ना करें तो बेहतर, क्योंकि इस पार्टी में युवा का मतलब केवल तेजस्वी व तेजप्रताप ही है. यह पार्टी किसी दूसरे युवा नेता को प्रमोट नहीं करती है.

"दागी होना भ्रष्टाचारी होना ये सब आरजेडी में शामिल होने की क्वालिटी है जो वहां के अधिकांश नेताओं में है. वहां के नेताओं ने पार्टी छोड़ने के बाद उसे कब्रगाह तक बता डाला था. लालू पर भी भ्रष्टाचार का आरोप है, सजा काट रहे हैं. आरजेडी परिवारवाद और वंशवाद का प्रतिक है."- अभिषेक झा, जदयू प्रवक्ता

सभी एमएलसी करोड़पति: रिपोर्ट में यह तथ्य भी सामने आया है कि जीत दर्ज करने वाले सभी 24 विधान पार्षद करोड़पति हैं. इनमें बीजेपी के सात, आरजेडी के छह, जेडीयू के पांच, रालोजपा का एक, कांग्रेस का एक व चार निर्दलीय पार्षद हैं. इसमें बीजेपी के साथ विधान पार्षदों की औसत संपत्ति 49.86 करोड़ रूपये है जबकि आरजेडी के पार्षदों की 23.50 करोड़, जेडीयू के पार्षदों की 26.80 तथा निर्दलीय पार्षदों की 282.88 करोड़ की औसत संपत्ति है. इन 24 पार्षदों में से नौ यानि 38 प्रतिशत की शैक्षिक योग्यता आठवीं से 12वीं तथा 14 यानि 58 प्रतिशत की शैक्षिक योग्यता स्नातक या इससे ऊपर है. एक पार्षद साक्षर है. इन 24 में तीन यानि 13 प्रतिशत महिला हैं.

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