पटना: भूमिवाद से निपटने के लिए राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग ने नयी पहल शुरू की है. आधार नंबर की तर्ज पर अब बिहार की जमीन का अपना यूनिक नंबर होगा. इसे यूनिक लैंड परसल आईडेंटिफिकेशन नंबर ( ULPIN )के नाम से जाना जाएगा.
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जमीन का अपना अलग एक युनिक कोड होगा
बता दें कि बिहार देश का सातवां राज्य होगा जब इसके पास जमीन का अपना अलग पहचान नंबर होगा. इसके लिए राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग शुरुआत कर दी है. यह 14 डिजिट का अलपिन नंबर होगा. इसके तहत हर एक प्लॉट ( खेसरा )को एक यूनिक नंबर दिया जाएगा. इस नंबर में गाड़ी की रजिस्ट्रेशन नंबर की तरह शब्द और अंक दोनों होंगे.
खेसरा की पहचान होगी दो तरह के नंबर से
यह यूनिक नंबर पूरे भारत में सभी राज्यों के सभी क्षेत्रों को दिया जाएगा. इस प्रकार हर एक खेसरा की पहचान दो तरह के नंबर से होगी. एक जो भूमि सर्वेक्षण के बाद हर एक मौजा के हर एक खेसरा को मैनुअली सर्वेक्षण अमीन द्वारा दिया जाएगा. जबकि दूसरा जो सॉफ्टवेयर के जरिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस द्वारा दिया जाएगा.
जमीन की दाखिल खारिज में मददगार
राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के अपर मुख्य सचिव विवेक कुमार सिंह ने बताया कि 14 डिजिट का नंबर जमीन की दाखिल खारिज में काफी उपयोगी होगा. भू-नक्शा सॉफ्टवेयर में जब इस 14 डिजिट नंबर टाइप किया जाएगा तो उस प्लॉट की चौहद्दी, रकबा, स्वामित्व, इतिहास ( कोई विवाद हो) की जानकारी अविलंब प्राप्त हो जाएगी.
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जमीन के मालिक को मिलेगी पूरी जानकारी
वहीं, कोई प्लॉट बिकता है तो उसके सभी टुकड़ों को नई चौहद्दी के साथ यह अलपिन नंबर स्वतः प्राप्त हो जाएगा. प्लॉट के अलपिन नंबर के साथ उसके मालिक की पूरी जानकारी इस सॉफ्टवेयर में उपलब्ध रहेगी. इस प्रोजेक्ट को पूरा होने पर जमीन विवाद के खत्म होने की संभावना रहेगी.
सॉफ्टवेयर के जरिए होगा यह आसान काम
विवेक सिंह ने बताया कि हर एक प्लॉट को यूनिक नंबर देने का यह काम एक सॉफ्टवेयर के जरिए किया जाएगा. जिसका नाम भू-नक्शा है, जिससे भूमि सर्वेक्षण में किस्तवार का काम होता जाएगा. वैसे-तैसे उसे भू-नक्शा सॉफ्टवेयर में अपलोड किया जाएगा.
राजस्व विभाग के अपर मुख्य सचिव ने बताया किश्तवार का मतलब गांव का नक्शा एवं उसके अंदर के सभी प्लॉट का अंतिम आकार अपलोड करते हैं. गांव के सभी क्षेत्रों को भूमि सर्वे में उसको आवंटित नंबर के अलावा 14 डिजिट का एक और नंबर खुद मिल जाएगा जो आसानी से देखा जा सकता है.