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'अर्थव्यवस्था को बर्बाद करने वाले गिरते रुपये पर मुंह क्यों नहीं खोलते?', लालू का हमला

डॉलर के मुकाबले रुपये में गिरावट पर लालू का ट्वीट (Lalu Yadav statement on Rupee Vs Dollar) आया है, जिसमें उन्होंने मोदी सरकार पर तंज कसते हुए लिखा, 'डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपया ऐतिहासिक रूप से सबसे कमजोर. डॉलर के मुकाबले रुपया बुरी तरह टूट कर पहली बार पहुंचा 83 के पार.'

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Published : Oct 20, 2022, 12:58 PM IST

पटना:भारतीय रुपया फिर धड़ाम (Rupee Vs Dollar) हुआ है. रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 83.08 पर एक नए रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंच गया. इसको लेकर आरजेडी चीफ लालू यादव (RJD Chief Lalu Yadav) ने केंद्र सरकार पर निशाना साधा है. उन्होंने ट्वीट कर कहा कि रातों-रात नोटबंदी कर देश की अर्थव्यवस्था को बर्बाद करने वाले गिरते रुपए पर मुंह नहीं खोल रहे हैं.

ये भी पढ़ें: रुपया गिर नहीं रहा बल्कि डॉलर मजबूत हो रहा : निर्मला सीतारमण

डॉलर के मुकाबले रुपये में गिरावट पर लालू का ट्वीट:सिंगापुर में इलाज करवा रहे बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव ने अपने ट्विटर हैंडल पर लिखा, "डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपया ऐतिहासिक रूप से सबसे कमजोर. डॉलर के मुकाबले रुपया बुरी तरह टूट कर पहली बार पहुंचा 83 के पार. रातों-रात नोटबंदी कर देश और देश की अर्थव्यवस्था को बर्बाद करने वाले गिरते रुपए पर मुंह नहीं खोल रहे है. गरीबी, बेरोजगारी और महंगाई पर तो वो कभी बोलते ही नहीं."

भारतीय रुपया फिर धड़ाम:दरअसल रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 83.08 पर एक नए रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंच गया. इससे पहले बुधवार को रुपया 60 पैसे टूटकर पहली बार 83 प्रति डॉलर के स्तर से नीचे बंद हुआ था. विदेशी बाजारों में डॉलर के मजबूत होने और विदेशी पूंजी की सतत निकासी के बीच अंतरबैंक विदेशीमुद्रा विनिमय बाजार में बुधवार को अमेरिकी मुद्रा के मुकाबले रुपया 60 पैसे की गिरावट के साथ पहली बार 83 रुपये के स्तर से नीचे चला गया.

'रुपया गिर नहीं रहा बल्कि डॉलर मजबूत हो रहा': वहीं, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपये के मूल्य में गिरावट पर पूछे गये एक सवाल का जवाब देते हुए कहा था,'क्योंकि भू-राजनीतिक तनाव बढ़ रहा है,ऐसा इसलिए हो रहा है. इससे निपटने के लिए उपाय किए जा रहे हैं.' वहीं, क्रिप्टोकरेंसी को लेकर कहा, 'हम क्रिप्टोकरेंसी से संबंधित मामलों को जी20 की मेज पर लाना चाहते हैं ताकि सदस्य इस पर चर्चा कर सकें और वैश्विक स्तर पर एक ढांचे या एसओपी पर पहुंच सकें. देशों के पास तकनीकी रूप से संचालित नियामक ढांचा हो सकता है.'

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