पटना:कास्ट सेंसस कराने के नीतीश कुमार के फैसले के खिलाफ पटना हाई कोर्ट में अर्जी डाली गई और कोर्ट ने इसपर रोक लगाते हुए 3 जुलाई को अगली सुनवाई की तिथि निर्धारित की है. मामले की जल्द सुनवाई को लेकर राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है. इस मामले में बुधवार को होने वाली सुनवाई टल गई है. जस्टिस संजय करोल ने सुनवाई के लिए गठित बेंच से खुदको अलग कर लिया है. अब बिहार में जातीय गणना होगी या नहीं इसके लिए इंतजार करना होगा. इन सबके बीच इस मुद्दे पर राजद सुप्रीमो लालू यादव ने भी तीखी टिप्पणी की है. उन्होंने तल्ख शब्दों में केंद्र सरकार पर निशाना साधा है.
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'केंद्र सरकार घड़ियाल की गिनती कर लेती है लेकिन...": लालू यादव ने केंद्र सरकार पर हमला करते हुए एक ट्वीट किया है. इस ट्वीट के जरिए लालू ने केंद्र सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं. लालू ने कहा कि गंडक नदी में घड़यालों की गिनती हो सकती है लेकिन देश के उपेक्षित और पिछड़ों से सरकार को कोई सरोकार नहीं है. अपने ट्वीट में लालू ने लिखा है 'केंद्र सरकार घड़ियाल की गिनती कर लेती है लेकिन देश के बहुसंख्यक गरीबों, वंचितों, उपेक्षितों, पिछड़ों और अतिपिछड़ों की नहीं? RSS/BJP देश के OBC को जानवरों से भी बदतर मानती है इसलिए इन्हें जातीय गणना और जातीय सर्वे से दिक्कत है. BJP को पिछड़ों से इतनी नफरत और दुश्मनी क्यों?'
जातीय गणना कराने के पक्ष मे कूदे लालू यादव: दरअसल भारतीय वन्य जीव ट्रस्ट द्वारा घड़ियालों की संख्या को लेकर आंकड़ा जारी किया गया है. इसमें घड़ियालों का आंकड़ा जारी करते हुए बताया गया है कि गंडक नदी में घड़ियालों की संख्या में बढ़ोत्तरी हुई है. 2014 में घड़ियालों की संख्या जो 30 थी वह अब बढ़कर 217 पहुंच गई है. इसी आंकड़े पर लालू यादव ने केंद्र सरकार पर तंज कसा है.
सुप्रीम कोर्ट में टली सुनवाई:बता दें कि बिहार में नीतीश सरकार द्वारा कराई जा रही जातीय गणना पर रोक लगाने की मांग की गई है. इसको लेकर पटना हाईकोर्ट में याचिका दी गई थी जिसके बाद जातीय गणना पर रोक लगा दी गई. राज्य सरकार ने जल्द सुनवाई की अर्जी सुप्रीम कोर्ट में लगाई है लेकिन आज की सुनवाई टल गई है. वहीं जातीय जनगणना की अड़चनों पर बीजेपी नीतीश कुमार पर हमलावर है. बीजेपी का कहना है कि सरकार ने सही तरीके से कोर्ट में अपना पक्ष नहीं रखा जिसके कारण इसपर रोक लगाई गई है.
बिहार में जातीय गणना मामला: प्रदेश सरकार जातीय गणना करवाना चाहती है. उसमें आर्थिक और सामाजिक स्थिति के अनुसार रिपोर्ट तैयार करने और आगे योजना उसी के अनुसार बनाने की बात कही जा रही है. बिहार सरकार ने इसको लेकर कर्नाटक में जातीय गणना का हवाला दिया. हालांकि कर्नाटक में जो गणना हुई उसकी रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं की गई है. ठीक इसी तरह से यूपीए सरकार में भी जो गणना की गई, उसकी रिपोर्ट भी सार्वजनिक नहीं की गई. वहीं सीएम नीतीश कुमार की कोशिश है कि 2024 से पहले बिहार में जातीय गणना हो जाए. साथ ही दूसरे राज्यों में भी जातीय गणना को मुद्दा बनाने का प्रयास है. हालांकि राज्य सरकार इसको लेकर कानून बनाने की भी तैयारी में है. लेकिन कानून बनाने से पहले सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इंतजार किया जा रहा है. उसी के बाद आगे की रणनीति तय की जाएगी. 7 जनवरी 2023 को जातीय गणना के पहले चरण का कार्य शुरू हुआ और 21 जनावरी को समाप्त हुआ. दूसरे चरण की गणना 15 अप्रैल को शुरू हुई जो 15 मई तक खत्म करना था. लेकिन उससे पहले ही मामला कोर्ट पहुंचा और 4 मई को कोर्ट ने जातीय गणना को रोकने के लिए अंतरिम आदेश दिया.