बिहार

bihar

जन्मदिन विशेष: लालू प्रसाद यादव के जातीय ध्रुवीकरण का टूटता तिलिस्म!

अपने चिर-परिचित अंदाज से अपनी एक अलग पहचान बनाने वाले देश के जाने-माने नेता और राष्ट्रीय जनता दल के प्रमुख लालू यादव का आज 73वां जन्मदिवस है. उनका राजनीतिक जीवन कई उतार चढ़ाव से भरा रहा है.

By

Published : Jun 11, 2020, 8:32 AM IST

Published : Jun 11, 2020, 8:32 AM IST

Updated : Jun 11, 2020, 12:37 PM IST

लालू प्रसाद यादव
लालू प्रसाद यादव

पटना: देश की राजनीति में अपने मनोरंजक और चुटीले बयानों के साथ राजनीति की अलग लकीर खींचने वाले लालू प्रसाद हमेशा सुर्खियों में बने रहते हैं. लोगों की सियायी नब्ज की पहचान रखने वाले आरजेडी के अध्यक्ष लालू प्रसाद इस लोकसभा चुनाव में नहीं दिखे, जिसका खामियाजा भी उनके दल को उठाना पड़ा.

केंद्र में कभी 'किंगमेकर' की भूमिका निभाने वाले लालू आज उस बिहार से करीब 350 दूर झारखंड की राजधानी रांची की एक जेल में सजा काट रहे हैं, जहां उनकी खनक सियासी गलियारे से लेकर गांव के गरीब-गुरबों तक में सुनाई देती थी.

देखें वीडियो.

गरीबों के नेता के रूप में उभरे लालू

बिहार की राजनीति पर नजदीकी नजर रखने वाले संतोष सिंह की चर्चित पुस्तक 'रूल्ड ऑर मिसरूल्ड द स्टोर एंड डेस्टीनी ऑफ बिहार' में कहा गया है कि बिहार में 'जननायक' कर्पूरी ठाकुर की मौत के बाद लालू प्रसाद ने उनकी राजनीतिक विरासत संभालने वाले नेता के रूप में पहचान बनाई और इसमें उन्होंने काफी सफलता भी पाई. सिंह कहते हैं कि उन्होंने गरीबों के बीच जाकर खास पहचान बनाई और गरीबों के नेता के रूप में खुद को स्थापित किया.

लालू यादव का अपना स्टाइल (फाइल फोटो)

1977 में चुनाव जीत कर पहली बार संसद पहुंचे

इससे पहले बिहार में जब जयप्रकाश नारायण के नेतृत्व में छात्र आंदोलन हो रहा था, तो लालू ने सक्रिय छात्र नेता के तौर पर उसमें भाग लेकर अपनी राजनीति का आगाज किया था. आंदोलन के बाद हुए चुनाव में लालू यादव को जनता पार्टी से टिकट मिला और वह 1977 में चुनाव जीत कर पहली बार संसद पहुचे. सांसद बनने के बाद लालू का कद राजनीति में बड़ा होने लगा और वह साल 1990 में पहली बार बिहार के मुख्यमंत्री बन गए.

मीटिंग के दौरान लालू (फाइल फोटो)

1997 में आरजेडी का गठन

साल 1997 में जनता दल से अलग होकर उन्होंने आरजेडी का गठन किया. इस दौरान लालू से उनके विश्वासपात्र और बड़े नेता उनका साथ छोड़ते रहे. इस बीच आरजेडी 2015 तक बिहार की सत्ता पर काबिज जरूर रहे, लेकिन इसी बीच उन्हें बड़ा झटका लगा और चर्चित चारा घोटाले में उन पर आरोपपत्र दाखिल हो गया.

तेजस्वी के साथ संवाददाताओं को संबोधित करते लालू यादव (फाइल फोटो)

सुशासन और विकास का गठजोड़

किताब में कहा गया है, 'भागलपुर दंगे के बाद मुस्लिम मतदाता जहां कांग्रेस से बिदककर आरजेडी की ओर बढ़ गए, वहीं यादव मतदाता स्वजातीय लालू को अपना नेता मान लिया.' इस बीच, नीतीश कुमार ने भी नए 'सोशल इंजीनियरिंग' का तानाबाना बुनकर उसमें सुशासन और विकास को जोड़ते हुए बीजेपी से गठबंधन कर बिहार की सत्ता से लालू को उखाड़ फेंका.

चरवाहा विद्यालय में लालू यादव (फाइल फोटो)

किंगमेकर की भूमिका में लालू

राजनीतिक जानकार कहते हैं, 'लालू प्रसाद का वह स्वर्णिम काल था. इस समय में वह किंगमेकर तक की भूमिका में आ गए थे. हालांकि 1997 में चारा घोटाला मामले में आरोपपत्र दाखिल हुआ और 2013 में लालू को जेल भेज दिया गया. उसके बाद उनके चुनाव लड़ने पर भी रोक लग गई. इसके बाद बिहार के लोगों को विकल्प के तौर पर नीतीश कुमार मिल गए. जब मतदाता को स्वच्छ छवि का विकल्प उपलब्ध हुआ तो मतदाता उस ओर खिसक गए.'

फोन पर बात करते लालू यादव (फाइल फोटो)

लालू परिवार पर भ्रष्टाचार के आरोप

हालांकि विधानसभा चुनाव 2015 में लालू प्रसाद और नीतीश कुमार की पार्टी गठबंधन के साथ चुनाव मैदान में उतरी और विजयी भी हो गई, परंतु कुछ ही समय के बाद लालू परिवार पर भ्रष्टाचार के आरोप लगने लगे और नीतीश को लालू का साथ छोड़ देना पड़ा.

दोनों बेटे के साथ लालू (फाइल फोटो)

नीतीश का अलग होना, लालू के लिए झटका

नीतीश का अलग होना लालू के लिए किसी बड़े झटके से कम नहीं था. रातों रात लालू प्रसाद एक बार फिर राज्य की सत्ता से बाहर हो गए और उनकी पार्टी विपक्ष की भूमिका में आ गई. इसके बाद लालू पर पुराने चारा घोटाले के कई अन्य मामलों में भी सजा हो गई.

ग्राफिक्स के जरिए लालू यादव की जीवन.

जातीय गणित का तिलिस्म टूटा

लोकसभा चुनाव 2019 से पार्टी को बड़े परिणाम की आशा थी, मगर जातीय गणित का तिलिस्म भी इस चुनाव में काम नहीं आया और 'किंगमेकर' की भूमिका निभाने वाले लालू को एक अदद सीट के भी लाले पड़ गए.

मुस्लिम और यादव वोट बैंक भी आरजेडी से दूर

लालू को नजदीक से जानने वाले कहते हैं कि 'इस चुनाव में मुस्लिम और यादव वोट बैंक भी आरजेडी से दूर हो गए. यही कारण है कि कई मुस्लिम बहुल इलाकों में भी आरजेडी को कारारी हार का सामना करना पड़ा.'

लालू यादव की बनती-बिगड़ती हैसियत

हालांकि, बिहार की सियासत में आरजेडी अध्यक्ष लालू यादव की बनती-बिगड़ती हैसियत पिछले 30 वर्षों से चर्चा में रही है. लालू के जेल जाने के बाद दोनों बेटों तेजस्वी और तेजप्रताप में विरासत की लड़ाई शुरू हो गई. हालांकि, लालू-पुत्र तेजस्वी यादव के कथित राजनीतिक उदय पर अपने सिर के बाल नोचने लगे है.

लालू यादव को पार्टी की टोपी पहनाते तेज प्रताप (फाइल फोटो))

'2020, हटाओ नीतीश...'

वक्त के साथ नीतीश सरकार में बतौर उपमुख्यमंत्री 20 महीनों तक सरकार चलाने के तौर तरीक़े देखते-समझते रहे तेजस्वी यादव काफी कुछ सीख चुके हैं. इधर, विधानसभा चुनाव की आहट के बीच जेल से ही लालू ने नया नारा दे दिया है, 'दो हज़ार बीस, हटाओ नीतीश.'

Last Updated : Jun 11, 2020, 12:37 PM IST

ABOUT THE AUTHOR

...view details