पटनाः लालू यादव की राष्ट्रीय जनता दल (RJD) का विवाद पटना से दिल्ली पहुंच गया है. हालांकि जब लालू यादव (Lalu Yadav) पटना से दिल्ली जाते थे, तो सियासत (Bihar Politics) में बहुत कुछ बदला हुआ होता था. वे दिल्ली से आते थे तो बहुत कुछ बदलते थे. लेकिन इस बार लालू यादव के साथ पटना से दिल्ली जाकर जो कुछ हो रहा है उसके मायने भी बदले हुए हैं और सियासी मसौदा भी. समझौते की राजनीति और कही जाने वाली बातों से इस बार लालू परिवार (Lalu Family) का पूरा कुनबा ही उलझ गया है. सुलझाने के लिए हर वह हथकंडा अपनाया जा रहा है, जिससे अपनों की बात बन जाए. अब यह अलग बात है कि अपने लोग बात बनाने में कितना समझौता कर पाते हैं.
यह भी पढ़ें- कृष्ण की चेतावनी... लालू परिवार में महाभारत, तेज प्रताप ने फेसबुक पोस्ट कर मांगा अपना हक!
जगदानंद सिंह बिहार में बचे हैं, जो राष्ट्रीय जनता दल के हैं. और जो लोग दिल्ली गए हैं, वे लालू वाले राष्ट्रीय जनता दल के हैं. दरअसल, राष्ट्रीय जनता दल अगर लोगों की पार्टी होती तो जगदानंद सिंह के फैसले का स्वागत होता. क्योंकि यह लालू यादव की राष्ट्रीय जनता दल है. ऐसे में जगदानंद सिंह किनारे हो गए हैं और लालू वाले राष्ट्रीय जनता दल का हर किरदार जोर-जोर से बोल रहा है. लालू दिल्ली में हैं, मीसा भारती भी दिल्ली में है, तेजस्वी दिल्ली चले गए, अब तेजप्रताप भी दिल्ली पहुंचे हुए हैं. राबड़ी देवी तो दिल्ली में हैं ही.
ऐसे में राष्ट्रीय जनता दल जो लालू यादव का है, वह पूरे तौर पर दिल्ली में है. यही वजह है कि दिल्ली से बनने वाली नीति जब पटना पहुंचेगी, तो सियासत का कौन सा आधार खड़ा करेगी, यह तो राष्ट्रीय जनता दल ही समझे. लेकिन लालू यादव की दिल्ली में होने वाली राजद की बैठक में बहुत कुछ सामान्य होगा. यह कहा जाना बड़ा मुश्किल है.
यह भी पढ़ें- 'बगावत' कर अलग-थलग पड़ गए हैं तेज प्रताप, न तो पार्टी का साथ मिल रहा है और न ही परिवार का!
राष्ट्रीय जनता दल में परिवार की लड़ाई की शुरुआत चुनाव के समय में भी हुई. हालांकि 2015 के चुनाव में तेजस्वी और तेजप्रताप ने अपने जीवन के राजनैतिक सफर को शुरू किया था. दोनों ने जीत दर्ज की थी. नीतीश के साथ मंत्री भी बने थे. अब जब नीतीश के साथ छूटा, तो यह तय होना मुश्किल हो रहा था कि तेज प्रताप की भूमिका क्या होगी.
तेजस्वी की भूमिका नेता प्रतिपक्ष के तौर पर लालू यादव ने तय कर दी. क्योंकि लालू यादव की पार्टी थी, तो माना भी जा रहा था कि लालू के घर से ही कोई नेता प्रतिपक्ष होगा. यह अलग बात है अब्दुल बारी सिद्दीकी जैसे तमाम बड़े नेता रहे तो जरूर. लेकिन उन्हें कोई जगह नहीं मिली. उसके बाद 2019 के चुनाव के लिए तेजस्वी ने जिस तरीके की रणनीति बनाई, उसमें तेज प्रताप का बहुत कुछ चला नहीं.