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पटना में लाखों का अस्पताल भवन 20 वर्षों से पड़ा है बेकार, ग्रामीणों ने बनाया भूसा घर - ग्रामीणों ने अस्पताल भवन को बनाया भूसा घर

कोरोना महामारी में जहां देखो वहां बेड, ऑक्सीजन और वेंटिलेटर की दिक्कत है. वहीं राजधानी पटना से 25 किलोमीटर दूर स्थित एक अस्पताल ऐसा भी है, जो पिछले 20 सालों से अपनी बदहाल हालत पर आंसू बहा रहा है. डॉक्टर और दवा का इंतजार करते-करते थक हारकर ग्रामीणों ने अस्पताल को अब भूसा घर में तब्दील कर दिया है. देखिए ये रिपोर्ट.

पटना में अस्पताल भवन सालों से पड़ा है बेकार
पटना में अस्पताल भवन सालों से पड़ा है बेकार

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Published : Jun 20, 2021, 1:13 PM IST

पटना : बिहार की स्वास्थ्य व्यवस्था ( Health System In Bihar ) आज भी बीमार है. स्वास्थ्य सेवा को लेकर नीतीश सरकार( Nitish Government ) लाख दावे करें लेकिन स्थिति जस की तस है. ये हाल राजधानी पटना से 25 किलोमीटर स्थित नौबतपुर इलाके का है, जहां लाखों का अस्पताल भवन ( Hospital building ) 20 सालों से आज भी बेकार पड़ा है. अस्पताल में इलाज शुरू होने की राह करते-करते थक हारकर ग्रामीणों ने इसे भूसा घर बना डाला है.

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अस्पताल भवन जर्जर
ये पूरा मामला नौबतपुर के अजवां का है. स्वास्थ विभाग के अधिकारियों की लापरवाही के कारण आज तक अस्पताल भवन में स्वास्थ्य सुविधाएं शुरू नहीं हो सकी है. वहीं अस्पताल भवन अब जर्जर स्थिति में हो गई है. यहां के ग्रामीणों को इलाज कराने 20 किलोमीटर दूर जाना पड़ रहा है. अस्पताल भवन में इलाज शुरू नहीं किये जाने से नीतीश सरकार के खिलाफ लोगों में खासा आक्रोश है.

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मंत्री, सांसद ने किया निरीक्षण लेकिन...
हालांकि अजवां गांव में बने स्वास्थ्य केंद्र का जायजा सांसद रामकृपाल से लेकर मंत्री मंगल पांडे तक जायजा ले चुके हैं. लेकिन अस्पताल शुरू होने के भरोसे के सिवा ग्रामीणों को आज तक कुछ नहीं मिल पाया है.

'सांसद से लेकर मंत्री मुख्यमंत्री तक से गुहार लगाई गई, लेकिन किसी की भी नजर इस भवन पर नहीं पड़ रही है. भवन बाहर से देखने में काफी खूबसूरत और भव्य बनाया गया है लेकिन भवन की 20 साल में बेकार पड़े होने के कारण अंदर से भवन की स्थिति जर्जर हो गयी है. आज तक किसी डॉक्टर की प्रतिनियुक्ति और ना ही एक बेड की वयवस्था मुहैया आज तक कराई जा सकी.':- रामपुकार मलिक, स्थानीय ग्रामीण

अस्पताल भवन 20 सालों से पड़ा है बेकार

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अस्पताल भवन बना भूसा घर
लाखों की लागत से बना अस्पताल भवन आज भूसा घर बन गया है. नाराज स्थानीय ग्रामीण अस्पताल भवन का इस तरह उपयोग कर रहे हैं. हालांकि दबी जुबान कुछ ग्रामीणों ने बताया कि यहां एक डॉक्टर और एक नर्स की प्रतिनियुक्ति की गई थी लेकिन वह लोग अभी आते नहीं है. वे लोग पटना में ही रहते हैं तो वहीं मुखिया पति से सवाल किए जाने पर उन्होंने बताया कि हम लोग काफी प्रयास किए लेकिन स्वास्थ्य सेवा बहाल नहीं हो सका.

कई पत्र सरकार को लिखा गया लेकिन..
अजवां गांव के स्थानीय जदयू नेता राघवेंद्र कुशवाहा ने बताया कि जब यह अस्पताल बना था तो ग्रामीणों में काफी खुशी थी कि अब हम लोगों को कहीं दूर नहीं जाना होगा लेकिन ग्रामीणों को क्या पता कि हॉस्पिटल तो बन जाएगा लेकिन इलाज शुरू नहीं हो पाएगा. कई बार हम लोगों ने सरकार को पत्र के माध्यम से अवगत भी कराया है. जिलाधिकारी को भी इस बाबत हम लोगों ने पत्र लिखा है लेकिन अभी तक स्वास्थ्य केंद्र आज भी डॉक्टरों की राह देख रहा है.

अस्पताल भवन की हालत जर्जर

'हम लोग बहुत प्रयास किए लेकिन स्वास्थ सेवा बहाल नहीं किया जा सका और इस करोना जैसी महामारी में भी जहां एक तरफ लोग करोना महामारी से परेशान हैं और उस समय भी सरकार अजवां गांव के स्वास्थ्य केंद्र पर नहीं ध्यान दे सकी और ना ही इसमें स्वास्थ्य सेवा बहाल किया जा सका. गांव के लोग भी बोलने लगे हैं कि अब तो सदियों बीत गए अब हम इसे फिर से मंदिर ही बनवा डालेंगे ताकि लोग कम से कम आकर यहां पूजा पाठ कर सकें.':- जीतेंद्र यादव, पूर्व मुखिया पति

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गांव में नहीं लगा वैक्सीनेशन कैंप
वहीं करोना से निपटने के लिए सरकार लगातार लोगों के बीच जागरूक अभियान चला रही है. लेकिन अभी तक अजवां गांव में वैक्सीनेशन कैंप नहीं लगा है. स्थानीय लोगों की मांग है कि गांव में टीका कैंप लगे.

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