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हर साल चुनाव के दौरान सिर्फ कागजों पर ही होता है विकास, कई गांवों में अब तक नहीं पहुंच सकी सड़क

धनरूआ प्रखंड के हुलासचक वीर पंचायत के बालकचक गांव में विकास कार्य नहीं होने से ग्रामीणों को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है. हालात ये हैं कि महिलाओं को खुले में शौच जाना पड़ता है. साथ ही बच्चे पढ़ने के लिए 6 किलोमीटर दूर जाते हैं. पढ़ें पूरी रिपोर्ट...

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ुव

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Published : Sep 22, 2021, 9:28 AM IST

Updated : Sep 22, 2021, 4:28 PM IST

पटना:भारत को आजाद हुए सात दशक बीत चुके हैं. देश डिजिटल इंडिया की तरफ बढ़ रहा है. लेकिन कुछ क्षेत्र अभी भी ऐसे हैं, जहां आज भी विकास (Lack of Development In Village) की किरण तक नहीं पहुंची है. हम बात कर रहे हैं जिला मुख्यालय से तकरीबन 46 किलोमीटर पर बसे बालक चक, डोमन बिगहा और बिशुनचक गांव की. ये सभी गांव नालंदा जिले के सीमा पर स्थित हैं. जहां आज भी कई बुनियादी सुविधाओं की घोर कमी है. इन गांवों में सड़क, बिजली, पानी, शौचालय, आवास समेत कई योजनाओं ने अब तक कदम तक नहीं रखा है.

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आजादी के बाद भी ऐसे सिस्टम के होने पर सवाल उठना लाजमी है कि आखिरकार विकास कहां है? विकास के नाम पर बड़े-बड़े दावे किए जाते हैं. हर साल मंत्री नेता और जनप्रतिनिधि चुनाव से पहले दावे करते हैं. लेकिन चुनाव जीतने के बाद वे गांव में नजर तक नहीं आते हैं. कई गांव आज भी ऐसे हैं, जहां जाने के लिए सड़क तक नहीं है. धनरूआ प्रखंड के हुलासचक वीर पंचायत के बालकचक गांव (Balakchak Village) की तस्वीर डरावनी सी है.

देखें रिपोर्ट.

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गांव तक सड़क नहीं होने से ग्रामीणों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. धनरूआ प्रखंड के हुलासचक वीर पंचायत के बालकचक गांव में बुनियादी सुविधाओं की घोर कमी है. गांव में बिजली के लिए काफी दूर से तार खींचना पड़ता है. गांव के बहुत से घरों में शौचालय तक नहीं है. जिससे सबसे ज्यादा परेशानी महिलाओं को होती है. महिलाओं को आज भी खुले में शौच जाना पड़ता है.

'गांव में सड़क नहीं होने के कारण शादियां नहीं हो पाती हैं. बेटा-बेटी के लिए अच्छे रिश्ते नहीं मिल पाते हैं.अगर शादी होती भी है, तो नई नवेली दुल्हन को पैदल गांव के अंदर आना पड़ता है. कच्ची सड़क होने के कारण दो चक्के की गाड़ियां मुश्किल से चल पाती है.' -कलावती देवी, स्थानीय

बता दें कि बालक चक के अलावा डोमन बिगहा और बिशुनचक गांव नालंदा जिले की सीमा पर बसा हुुआ है. एक गांव की आबादी 600 के आसपास है. गांव में स्कूल और सामुदायिक भवन तक नहीं है. गांव के बच्चों को पढ़ने के लिए 6 किलोमीटर दूर भेजना पड़ता है. वहीं, जब तक बच्चे घर वापस नहीं आ जाते हैं, तब तक चिंता बनी रहती है.

इस मामले को लेकर ग्रामीण कार्य विभाग के एसडीओ पुष्कर सिंह से बात की गई तो, उन्होंने कहा कि पिछले साल ही सड़क का टेंडर पास हो चुका है. संवेदक की लापरवाही से काम अब तक शुरू नहीं हो सका है. ऐसे में उसे ब्लैक लिस्ट में डालकर दूसरे संवेदक से बरसात के बाद काम शुरू कराया जाएगा.

Last Updated : Sep 22, 2021, 4:28 PM IST

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