पटना: राजधानी पटना में आयोजित लेबर 20 शिखर सम्मेलन में सामाजिक सुरक्षा लाभों की पोर्टेबिलिटी पर जी 20 सदस्य देशों और अन्य आमंत्रित देशों के बीच एक बहुपक्षीय तंत्र विकसित करने का संकल्प लिया गया. दो दिवसीय लेबर 20 शिखर सम्मेलन के संपन्न होने के बाद प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए एल-20 के अध्यक्ष एवं भारतीय मजदूर संघ के अखिल भारतीय अध्यक्ष हिरण्मय पंड्या ने कहा कि शिखर सम्मेलन में श्रम के अंतर्राष्ट्रीय प्रवास-सामाजिक सुरक्षा निधि की अंतर्राष्ट्रीय पोर्टेबिलिटी' पर टास्क फोर्स की रिपोर्ट पर चर्चा की गयी.
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"श्रम की बदलती दुनिया जी 20 देशों में रोजगार के नए अवसर और चुनौतियां विषय पर टास्क फोर्स की रिपोर्ट ने डिजिटलीकरण से मुद्दों के समाधान के लिए एक रोडमैप प्रस्तावित किया. टास्क फोर्स ने सिफारिश किया कि 'केयर इकॉनोमी में रोजगार की महत्वपूर्ण संभावनाएं हैं, और श्रमिकों की सुरक्षा के लिए नियम बनाए जाने चाहिए"- हिरण्मय पंड्या, भारतीय मजदूर संघ के अध्यक्ष
पोर्टेबिलिटी की अनुमतिः बैठक में यह भी कहा गया कि वर्तमान में अधिकांश देश भेजने और प्राप्त करने वाले देशों के बीच द्विपक्षीय समझौतों के तहत पोर्टेबिलिटी की अनुमति देते हैं. इसके अतिरिक्त सामाजिक सुरक्षा योजनाओं से संबंधित राष्ट्रीय डेटा का पृथक्करण, नागरिकता और निवास की स्थिति को प्रवासी स्थिति के विश्वसनीय संकेतक के रूप में विकसित करने की भी आवश्यकता है. इससे हस्तांतरणीय लाभों के संभावित वित्तीय प्रभावों की गणना और श्रमिक प्रवासियों के प्रभावी या वास्तविक सामाजिक सुरक्षा कवरेज के अनुमान में सुविधा मिलेगी.
बहुपक्षीय समझौते का प्रस्ताव: शिखर सम्मेलन ने व्यापक विचार-विमर्श के बाद महत्वपूर्ण प्रवासी प्राप्त करने वाले और भेजने वाले देशों के बीच एक बहुपक्षीय समझौते का प्रस्ताव रखा, जो समग्रीकरण के साथ-साथ निर्यात क्षमता को भी सुनिश्चित करेगा. जिससे प्रवासी श्रमिकों को लाभ मिलेगा. इस बात पर भी चर्चा हुई कि तेजी से आगे बढ़ते विश्व में, श्रम जगत अप्रत्याशित और महत्वपूर्ण बदलावों का सामना कर रहा है. इससे रोजगार के नए अवसर और आजीविका के नए रास्ते भी सामने आ रहे हैं. वर्तमान डिजिटल युग में जब रोजगार के नए-नए अवसर सामने आ रहे हैं, तो इसका श्रमिकों पर मिश्रित प्रभाव देखने को मिल रहा है.
कौशल विकास महत्वपूर्ण: ट्रेड यूनियनों को नए प्रकार के काम में लगे श्रमिकों के सामने आने वाले मुद्दों को प्राथमिकता देनी चाहिए. रोजगार में पुनः प्रवेश को बढ़ावा देने के लिए श्रम बाजार नीतियों को डिजाइन करने की आवश्यकता है और रोजगार में पुनः प्रवेश में बाधा बनने वाली कानूनी बाधाओं को दूर किया जाना चाहिए. शिखर सम्मेलन में यह रेखांकित किया गया कि पर्पल इकोनॉमी की अवधारणा प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष 'केयर वर्क' दोनों के महत्व पर जोर देते हुए रोजगार सृजन पर संभावित प्रभाव का पता लगाती है.
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर चर्चाः श्रमिकों की भलाई सुनिश्चित करने के लिए, राज्य को उन कार्यों को प्रोत्साहित करने की आवश्यकता है जो 'केयर एक्टिविटीज' का समर्थन करते हैं और 'केयर इकॉनमी' के अंतर्गत श्रमिक सुरक्षा के लिए स्पष्ट नियम स्थापित करते हैं. इसके अतिरिक्त, व्यक्तियों को इस क्षेत्र में उभरते अवसरों का प्रचूर लाभ उठाने में सक्षम बनाने के लिए कौशल विकास कार्यक्रमों को प्राथमिकता दी जानी चाहिए. सम्मलेन में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के व्यापक उपयोग पर व्यापक रूप से चर्चा की गई है. जिसमें श्रम उत्पादकता में वृद्धि, आय वृद्धि और बेहतर जीवन स्तर जैसे इसके सकारात्मक प्रभावों पर प्रकाश डाला गया है.
सामाजिक सुरक्षा संहिताः ट्रेड यूनियनों और श्रमिक संघों को नए प्रकार के श्रमों में लगे श्रमिकों की चिंताओं के साथ सक्रिय रूप से जुड़ना चाहिए और उन्हें प्राथमिकता देनी चाहिए. यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उनके अधिकारों और कल्याण की रक्षा की जाए. उत्कृष्ट श्रम व्यवस्थाओं का सहयोग और आदान-प्रदान वैश्विक अर्थव्यवस्था में श्रमिकों के लिए एक निष्पक्ष और न्यायसंगत वातावरण बनाने में मदद कर सकता है. इस सन्दर्भ में एक सामाजिक सुरक्षा संहिता को लागू करना भी आवश्यक है जो गिग और प्लेटफ़ॉर्म श्रमिकों सहित सभी श्रमिकों को कवर करता हो तथा उनकी विशिष्ट आवश्यकताओं के अनुरूप विशिष्ट कानूनों द्वारा पूरक हो.
सहायक वातावरण बनाने का प्रस्तावः शिखर सम्मेलन में इस बात पर प्रकाश डाला गया कि किसी भी संकट की स्थिति में महिलाएं हमेशा सबसे अधिक प्रभावित होती हैं. कोविड महामारी संकट के दौरान यह तथ्य स्पष्ट रूप से नजर आया महिलाओं को श्रम जगत में हो रहे परिवर्तनों के साथ तालमेल बिठाने में सबसे ज्यादा कठिनाई होती है. शिखर सम्मेलन में 'महिलाएं और कार्य का भविष्य' पर टास्क फोर्स रिपोर्ट पर विस्तार से चर्चा हुई. टास्क फोर्स ने निजी क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने और उनकी नेतृत्वकारी भूमिकाओं को बढ़ावा देने के लिए प्रोत्साहन प्रदान करने और एक सहायक वातावरण बनाने का प्रस्ताव रखा है.
चाइल्ड केयर सुविधा आवश्यकः इसे 'रिमोट वर्किंग' की व्यवस्था और 'फ्लेक्सीबल वर्क आवर्स' जैसे विकल्पों को लागू करके प्राप्त किया जा सकता है, जिससे महिलाएं अपनी व्यक्तिगत और व्यावसायिक जिम्मेदारियों को प्रभावी ढंग से संतुलित कर सकें. इसके अतिरिक्त, नौकरियों में महिलाओं की स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए सब्सिडी वाली चाइल्ड केयर सुविधाएं आवश्यक हैं, क्योंकि यह चाइल्डकेअर जिम्मेदारियों के बोझ को कम करती है. श्रमबल में एआई, प्रौद्योगिकी और डिजिटलीकरण के बढ़ते प्रभाव ने श्रमिकों को हाशिए पर धकेल दिया है.