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International Tea Day: चाय के दीवाने हैं मंत्री से लेकर संतरी, बिन इसके नहीं होती दिन की शुरुआत

इस एकाधिकार को तोड़ने के लिए ईस्ट इंडिया कंपनी ने अपना जासूस भेजकर चीन से चाय बनाने की तरकीब और उसका पौधा चोरी कर भारत मंगवाया. 1833 से आसाम एवं दार्जिलिंग में अंग्रेजों ने चाय की खेती शुरू करवाई. 2011 में असम के सीएम तरुण गोगोई ने चाय को राजकीय पेय घोषित किया.

International Tea Day
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Published : Dec 15, 2019, 5:08 PM IST

Updated : Dec 15, 2019, 5:19 PM IST

पटना:जाड़े की ठिठुरती सुबह और हाथ में गरमा गरम चाय हो, तो क्या कहने. आज यानी कि 15 दिसंबर को अंतरराष्ट्रीय चाय दिवस मनाया जा रहा है. इसलिए थोड़ी चर्चा चाय पर भी होनी बनती है. जिस चाय का आज आम और खास हर वर्ग दीवाना है, उस चाय की शुरुआत चीन से हुई. चाय की खोज की कहानी बड़ी दिलचस्प है. एक शोध के मुताबिक पानी के बाद चाय दुनिया का सबसे ज्यादा पीया जाने वाला पेय पदार्थ है.

दुनिया में तकरीबन दो अरब लोग अपने दिन की शुरुआत चाय के साथ करते हैं. 2750 ईसा पूर्व चीन के सम्राट शिनुंग, जब अपने बाग में पानी डाल रहे थे. उसी समय बाग में लगा एक पौधे का एक पत्ता पानी में गिर पड़ा. जब सम्राट ने पानी चखा तो उन्हें उसका स्वाद बहुत पसंद आया. शिनुंग एक अच्छे वैद्य थे. उन्होंने पूरे राज्य में उस पौधे की खेती करने और उसकी पत्तियों को उबालकर उसका पानी पीने का आदेश जारी कर दिया. यहीं से चाय का चलन शुरू हुआ. आज भी चीन में बिना दूध और चीनी के चाय पी जाती है. लंबे समय तक चाय के उत्पादन पर चीन एकाधिकार रहा. वहीं से पूरी दुनिया में चाय की सप्लाई होती थी.

पटना से कुंदन की रिपोर्ट

इस चाय की कीमत 12 लाख रुपये प्रति किलो
इस एकाधिकार को तोड़ने के लिए ईस्ट इंडिया कंपनी ने अपना जासूस भेजकर चीन से चाय बनाने की तरकीब और उसका पौधा चोरी कर भारत मंगवाया. 1833 से आसाम एवं दार्जिलिंग में अंग्रेजों ने चाय की खेती शुरू करवाई. 2011 में असम के सीएम तरुण गोगोई ने चाय को राजकीय पेय घोषित किया. भारत में चाय को लोकप्रिय बनाने में अंग्रेजों का बड़ा योगदान है. उन्होंने मुफ्त चाय पिला पिला कर आम लोगों में इसे पीने की आदत डाली. अब हालात यह है कि चाय के बिना सुबह की कल्पना भी नहीं की जा सकती. विश्व की सबसे महंगी चाय अभी भी चीन में ही होती है. डॉ. हॉन्ग पाओ टी नाम की चाय की कीमत 12 लाख रुपए प्रतिकिलो है.

फिर भी हम कम चाय पीते हैं
आज भी चाय के उत्पादन में चीन नंबर वन पर है, जबकि भारत दूसरे नंबर पर ही है. भारत में घर-घर चाय बनती जरूर है लेकिन खपत के मामले में हम टॉप 10 की सूची में नहीं आते. सबसे ज्यादा चाय तुर्की में पी जाती है. वहां इसकी खपत प्रति व्यक्ति 3.15 किलो प्रति वर्ष है, जबकि भारत में 326 ग्राम प्रति वर्ष ही प्रति व्यक्ति खपत है. अब भारत में चाय के सहारे चुनाव लड़े जा रहे हैं. बीजेपी ने पिछले चुनाव में चाय पर चर्चा के माध्यम से आम लोगों को अपने साथ जोड़ा था. एक चाय वाले के प्रधानमंत्री बनने से चाय को नया गौरव प्राप्त हुआ है, तो आइए एक कप चाय हो जाए...

Last Updated : Dec 15, 2019, 5:19 PM IST

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