पटना : कोरोना काल (Corona Pandemic) के बाद बच्चों की पढ़ाई काफी हद तक ऑनलाइन हो गई है. माता-पिता अपनी सहूलियत के लिए बच्चों को स्मार्टफोन (Smartphone) पकड़ा देते हैं. खेलकूद की गतिविधियां भी बंद हैं. ऐसे में मोबाइल पर लगातार आते अश्लील (Porn Content On Mobile) विज्ञापनों के कंटेंट और ओटीटी प्लेटफॉर्म पर खुलेआम नग्नता वाले सीन की वजह से बच्चे बुरी तरह प्रभावित हो रहे हैं. बच्चे उम्र से (Premature Child) पहले जवान हो जा रहे हैं. यानी कहे तो जिन बातों को एक सही उम्र पर जानकारी होनी चाहिए, उसे वे काफी पहले ही जान जाते हैं. जानिए ऐसे स्थिति से बचने के लिएविशेषज्ञ क्या सलाह दे रहे हैं.
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एएन सिन्हा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंस (AN Sinha Institute of Social Science) से जुड़े समाजशास्त्री बीएन प्रसाद ने बताया कि स्मार्टफोन की वजह से बच्चों को फिजिकल और मेंटल दोनों हेल्थ पर असर पड़ रहा है. मनुष्य और अन्य प्राणियों में फर्क सिर्फ संस्कृति का ही है. अगर संस्कृति नहीं रही तो मनुष्य भी बाकी अन्य प्राणियों जैसा ही है. एक बच्चा जन्म लेता है तो वह प्राणी मात्र ही रहता है. मगर मनुष्य बनने के लिए संस्कृतियों को आत्मसात करना पड़ता है. जिसे वह परिवार समाज और स्कूल से सीखता है. धीरे-धीरे सामाजिकता के द्वारा वह अपने समाज के मूल्यों के साथ उसके व्यक्तित्व का विकास होता है.
'हमारे जो परंपरागत सामाजिक मूल्य हैं, जिसमें विभिन्न आश्रम बनाए गए हैं. ब्रह्मचर्य आश्रम, जिसमें बच्चे सामाजिक गुणों को सीखते हैं. इसके बाद गृहस्थ आश्रम में प्रवेश होता है. जिससे जुड़ी जानकारी एक विशेष अवस्था में सिखाई जाती है. लेकिन जिस प्रकार से इंटरनेट और ओटीटी प्लेटफॉर्म पर अश्लीलता परोसी जा रही है. इससे जो जानकारी बच्चों को गृहस्थ आश्रम में प्राप्त होनी चाहिए. वह उन्हें ब्रह्मचर्य आश्रम में ही मिल जा रहा है. जिसका समाज पर गलत असर हो रहा है.':- डॉ. बीएन प्रसाद, समाजशास्त्री
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