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Delta Plus Variant: कोरोना का डेल्टा प्लस वेरिएंट क्यों है ज्यादा खतरनाक, पटना एम्स के डॉक्टर से समझिए

कोरोना (Corona) अब तक चिकित्सा जगत के लिए एक अबूझ पहेली बना हुआ है और इसके बदलते स्ट्रेन ने लोगों की चिंता बढ़ा दी है. ऐसे में वायरस का डेल्टा प्लस (Delta Plus) स्ट्रेन क्यों सबसे ज्यादा खतरनाक है. पटना एम्स के डॉक्टर से सरल भाषा में समझिए..

पटना
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Published : Jun 29, 2021, 10:40 PM IST

पटना:कोरोना (Corona) का वायरस लगातार म्यूटेट हो रहा है. वायरस का डेल्टा प्लस स्ट्रेन (Delta Plus Strain) सबसे ज्यादा खतरनाक है. कोरोना के डेल्टा प्लस स्ट्रेन के बारे में बताते हुए पटना एम्स (Patna AIIMS) के डॉक्टर अनिल कुमार ने बताया कि वायरस की अपनी प्रॉपर्टी होती है. वह अपने सर्वाइवल के लिए अपना म्यूटेशन करते रहता है और आकार बदलते रहता है.

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कोरोना का नया 'डेल्टा प्लस' वेरिएंट
वायरस का आकार बदलने से वायरस की क्लिनिकल प्रेजेंटेशन में कोई अंतर नहीं पड़ता है, लेकिन जब कभी भी स्पेसिफिक म्यूटेशन होता है. वायरस के डेल्टा वेरिएंट के स्पाइक प्रोटीन का म्यूटेशन हुआ है, जिसे K417N म्यूटेशन कहते हैं. इस म्यूटेशन के बाद डेल्टा प्लस स्ट्रेन को 'वैरिएंट ऑफ कंसर्न' कहा जा रहा है.

डॉक्टर अनिल कुमार, पटना एम्स

''अगर ये वैक्सीन को चकमा दे सकता है. लंग्स से इसे चिपकने की बात कही जाती है. यह लंग्स के रिसेप्टर्स से मजबूती से जुड़ जाता है. बाकी वेरीएंट के मुकाबले में इसके अगेंस्ट में मोनोक्लोनल एंटीबॉडी भी काम नहीं करता है और इसकी ट्रांसमिसिबिलिटी यानी फैलने की दर काफी तेज होती है. अगर यह सब सही है, तो इसे वैरीअंट ऑफ कंसर्न कहा जाएगा. मगर अभी इन सारे बात को पुष्टि करने के लिए हमें और डाटा चाहिए और मरीज चाहिए, जिसमें डेल्टा प्लस वेरिएंट पाया गया.''-डॉक्टर अनिल कुमार, पटना एम्स

डॉक्टर अनिल कुमार, पटना एम्स

डेल्टा प्लस वेरिएंट मरीज के लक्षण
डॉक्टर अनिल कुमार ने बताया कि अब हम क्लिनिकली कैसे पहचानेंगे की मरीज को क्या होता है. अभी तक का जो एविडेंस है जो कि मरीजों में पाया गया है, उन लोगों में सिरदर्द, नाक से पानी आना, गले में खराश और मरीजों को आईसीयू की जरूरत ज्यादा पड़ रही है. इसमें मरीज जल्दी गंभीर रूप से बीमार हो जा रहे हैं और दवाई का भी अधिक असर नहीं हो रहा है.

तेजी से फैलता है डेल्टा प्लस वेरिएंट
उन्होंने बताया कि वायरस का वेरिएंट डेल्टा प्लस है या सिर्फ डेल्टा है, इसकी जांच हम RT PCR जांच से नहीं कर सकते हैं. इसके लिए हमें जिनोम सीक्वेंसिंग करना होगा और जिनोम सीक्वेंसिंग के माध्यम से ही वायरस के वेरीएंट का पता चल सकता है. डॉक्टर अनिल कुमार ने बताया कि लोगों को अब ये चिंता सता रही है कि क्या वैक्सीन इस वेरीएंट पर काम कर रहा है या नहीं. अगर वैक्सीन काम कर रहा है, तो इसकी एफीकेसी कितनी है. यह अभी के समय इतने कम मरीजों के डाटा पर कह पाना मुश्किल है.

पटना एम्स

डेल्टा प्लस के लिए वैक्सीन कारगर
इसके लिए चिकित्सा जगत को बहुत सारे मरीज चाहिए जो कि वैक्सीनेटेड हो और उसमें डेल्टा प्लस का स्ट्रेन पाया गया हो. तभी यह पता चल सकेगा कि वैक्सीन लिए लोगों में अगर डेल्टा प्लस मिला है, तो उसका आउटकम क्या रहा है. ऐसे में अभी तक डेल्टा प्लस स्ट्रेन के लिए भी वैक्सीन कारगर है.

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डॉक्टर अनिल कुमार ने आखिरी में सलाह देते हुए कहा कि जहां भी वायरस का यह स्ट्रेन मिलता है, तो सरकार उस एरिया को पूरी तरह लॉक करें और तेजी से अनलॉक ना करें. टेस्टिंग एंड ट्रैकिंग बढ़ाएं. वैक्सीनेशन अवश्य करवाएं और मास्क पहनें. मास्क पहनने से हम किसी भी वेरिएंट के ट्रांसमिशन को रोक सकते हैं. जेनेटिक सीक्वेंसिंग उन सभी मरीजों में बढ़ाई जाए, जिनमें कोरोना के लक्षण पाए जा रहे हैं.

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