पटना :बिहार शिक्षा विभाग इस समय सुर्खियों में है. दरअसल, लोकतांत्रिक व्यवस्था के तहत सभी को संगठन बनाने का अधिकार है. पूर्व से भी शिक्षक संगठन सक्रिय रहा है. लेकिन अब शिक्षा विभाग में स्पष्ट निर्देश जारी कर दिया है कि कोई शिक्षक संगठन के माध्यम से नेतागिरी करते हैं, या शैक्षणिक कार्य के अलावा संगठन का काम करते हैं, मीडिया में बयान बाजी करते हैं, तो उनकी खैर नहीं है. कोई शिक्षक अपनी मांगों को लेकर हड़ताल अथवा किसी प्रकार का कोई प्रदर्शन करता है, तो उसके विरुद्ध भी अनुशासनिक कार्रवाई होगी.
नेतागिरी और संगठन बनाने वाले शिक्षकों पर शिकंजा : मंगलवार को बिहार सरकार के निदेशक माध्यमिक शिक्षा कन्हैया प्रसाद की ओर से सभी जिला के जिला शिक्षा पदाधिकारी को निर्देश जारी किया गया है. पत्र में लिखा है कि मीडिया में बयानबाजी करने वाले शिक्षकों को चिन्हित कर उनके विरुद्ध कठोर अनुशासनिक कार्रवाई की जाए. नए आदेश के तहत शिक्षकों को मीडिया में भी अपने विचारों को व्यक्त करने की मनाही होगी.
केके पाठक के विभाग का नया फरमान : शिक्षा विभाग की ओर से जारी पत्र में कहा गया है कि प्रारंभिक माध्यमिक और उच्च माध्यमिक विद्यालय के कुछ शिक्षकों और शिक्षकेत्तर कर्मियों द्वारा विभिन्न सोशल मीडिया और अखबारों के माध्यम से अपने विचार प्रकट किए जाने की सूचना प्राप्त होती रहती है. इस क्रम में उनके द्वारा कभी-कभी राज्य सरकार की नीतियों की आलोचना भी की जाती है, राज्य सरकार की नीतियों का विरोध भी किया जाता है. ऐसा किया जान शिक्षा के क्षेत्र में शैक्षणिक माहौल को बेहतर करने में बाधा उत्पन्न करता है.