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क्रांति के मसीहा: 'मार्क्सवाद और वामपंथ आज भी लोगों की जिंदगी में शामिल'

प्रसिद्ध दार्शनिक कार्ल मार्क्स की 203वीं जयंती पर विश्वभर में लोग उन्हें याद कर रहे हैं. कार्ल मार्क्स कि विचारधारा से सहमति रखने वाले लोगों का मानना है कि मार्क्स के सिद्धांतों से ही पूंजीवादी व्यवस्था खत्म हो सकती है और मजदूरों को उसका वाजिब हक मिल सकता है.

पटना
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Published : May 5, 2021, 6:31 PM IST

Updated : May 5, 2021, 7:01 PM IST

पटना:विश्व के महान दार्शनिकों में एक कार्ल मार्क्स का जन्म 1818 में हुआ था. कार्ल मार्क्स की 203वीं जयंती देशभर में मनाई जा रही है. इस दौरान कई आयोजन भी हो रहे हैं. उन्होंने पूंजीवादी व्यवस्था को खत्म करने के लिए सिद्धांत प्रतिपादित किया. जिसे विश्वभर में माना जाता है. वामदल कार्ल मार्क्स के सिद्धांतों पर ही चलकर समाजवाद को मूर्त रूप देना चाहते हैं.

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कार्ल मार्क्स के सिद्धांत प्रासंगिक
मार्क्स कहा करते थे कि जितनी चीजें हमारे आस-पास हैं, पूंजीवाद सबको माल में तब्दील कर डालता है. 'कम्युनिस्ट मैनिफेस्टो' में बहुत अच्छे तरीके से बताया गया है कि जिन चीजों को तोहफे में दिया जाता था, उनकी अदला-बदली नहीं होती थी. जिन चीजों को दिया करते थे, उन्हें बेचा नहीं करते थे. जिन चीजों को हासिल किया जाता था, उसको खरीदा नहीं जाता था. पूंजीवाद ने इन सब पवित्र चीजों को खरीदने-बेचने की चीज में बदल डाला है.

प्रसिद्ध दार्शनिक कार्ल मार्क्स

मार्क्स इस बात के लिए प्रेरित करते हैं कि हम अपने आसपास की दुनिया के बारे में सही ढंग से और सही किस्म के सवाल उठाना सीखें. ब्रिटिश अर्थशास्त्री मॉरिस डॉब कहा करते थे कि ''मार्क्सवाद के बारे में ये बताना ज्यादा कठिन है कि मार्क्सवाद क्या नहीं हैं, बजाए इसके कि मार्क्सवाद क्या है?''

पश्चिम बंगाल में वामदलों का सफाया
पश्चिम बंगाल चुनाव में वामदलों के पांव उखड़ गए. पश्चिम बंगाल वामदलों के लिए प्रयोगशाला की तरह है और वहां लंबे समय तक वामदलों का शासन रहा है. इस बार वामदल पश्चिम बंगाल में सबसे निचले स्तर पर पहुंच गए.

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''कार्ल मार्क्स के सिद्धांत से ही समाजवाद की स्थापना हो सकती है. भारत में वामदलों ने मार्क्स के सिद्धांतों को ही अपनाया है. पश्चिम बंगाल और केरल में वामपंथी विचारधारा की जड़ें गहरी हैं. हम भले ही पश्चिम बंगाल में चुनाव हारे हैं, लेकिनकेरलमें हमें बड़ी सफलता हासिल हुई है. पश्चिम बंगाल में हम सांप्रदायिक शक्तियों को दूर रखने में कामयाब रहे हैं. यही वामपंथी विचारधारा के मूल में भी है''- अनीश अंकुर, वामपंथी चिंतक

बता दें कि वैज्ञानिक समाजवाद के प्रणेता दार्शनिक, अर्थशास्त्री, समाजविज्ञानी और पत्रकार कार्ल मार्क्स की 203वीं जयंती है. उनका जन्म 5 मई 1818 को जर्मनी के ट्रियर शहर में हुआ था. कार्ल मार्क्स ने दुनिया को समाज और आर्थिक गतिविधियों के बारे में अपने विचारों से आंदोलित कर दिया. उनके विचारों से प्रभावित हो कर कई क्रांतियों की नींव पड़ी.

Last Updated : May 5, 2021, 7:01 PM IST

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