पटना:राजधानी पटना के लालजी टोला में रहने वाले 91 वर्षीय कालीचरण अग्रवाल के परिवार के लोगों ने उनकी मृत्यु के बाद उनका देहदान दधीचि देहदान समिति (Dadhichi Body Donation Committee) को किया. दधिचि देहदान समिति ने कालीचरण अग्रवाल के शरीर को इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान (Body Donation In IGIMS) को सौंपा है. जहां उनके मृत शरीर पर मेडिकल के छात्र स्टडी कर सकेंगे. उनके शरीर को एनटोमी विभाग में रखा गया है.
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शरीर दान करने का लिया था संकल्प: इस दौरान दधीचि देहदान समिति के सचिव विमल जैन, विधायक संजीव चौरसिया (MLA Sanjeev Chaurasia) और IGIMS के डिप्टी डायरेक्टर मनीष मंडल मौजूद रहे. कालीचरण अग्रवाल के दामाद राजीव अग्रवाल ने उनका शरीर आईजीआईएमएस को सौंपा. बीजेपी विधायक संजीव चौरसिया ने कहा कि जो संकल्प कालीचरण अग्रवाल ने लिया था कि मरने के बाद उनका शरीर दान किया जाएगा, वह पूरा हुआ. इससे आईजीएमएस संस्थान के छात्रों को काफी फायदा होगा.
'परिवार के लोग नहीं थे तैयार':कालीचरण अग्रवाल के दामाद राजीव अग्रवाल ने कहा कि परिवार के लोगों को काफी मानना पड़ा. उसके बाद उनका संकल्प पूरा हुआ है. मरने से 8 दिन पहले भी उन्होंने अपने संकल्प के बारे में बताते हुए अपनी इच्छा जाहिर की थी. पूरे परिवार एकजुट होकर उनके संकल्प को पूरा करने का काम किया है. मेरी बहन थी, जो तैयार नहीं थी लेकिन पूरे परिवार को आखिरकार मानना पड़ा. हमलोग भी मानते हैं कि जो संकल्प लिया था अनुकरणीय है. दूसरे लोगों को भी ऐसा करना चाहिए.
मेडिकल छात्र कर सकेंगे स्टडी:IGIMS के डिप्टी डायरेक्टर मनीष मंडल ने कहा कि दधीचि देहदान समिति लगातार लोगों को अंगदान करने देह दान करने के लिए प्रेरित करता है. इससे आईजीआईएमएस के छात्रों को काफी फायदा होगा. 120 छात्र उनके शरीर से शिक्षा ग्रहण करेंगे और कई मरीजों का जान भी बचाने में मदद मिलेगा. उन्होंने जो काम किया है, वह निश्चित तौर पर अनुकरणीय है. दधिचि देह दन समिति के सचिव विमल जैन ने कहा कि हमारा प्रयास रहता है कि लोग अपने जिंदगी में रक्तदान, नेत्रदान और मर जाए तो देह दान करें. इस मिशन पर हमलोग लगातार काम कर रहे हैं.
"कालीचरण अग्रवाल से पहले इस परिवार से एक और व्यक्ति ने दे दान किया था. उन्ही का अनुकरण करके कालीचरण अग्रवाल 3 साल पहले दधिचि देह दान समिति को अपने शरीर सौंपने की बात कही थी. आज वह संकल्प पूरा हुआ. जिन लोगों ने देहदान किया है, वास्तव में वह मर के भी अमर हो गए"-विमल जैन, सचिव, दधीचि देहदान समिति