कैमूर:बाघों के सरंक्षण के लिए 29 जुलाई को पूरे विश्व में अंतर्राष्ट्रीय बाघ दिवस मनाया जाता है. इसकी शुरुआत 2010 से की गई थी. वहीं, बिहार बाघों के संरक्षण को लेकर देश के 6 राज्यों को पीछे छोड़ दिया है. राज्य के वाल्मीकि टाइगर रिजर्व के बाद अब वन विभाग कैमूर को टाइगर रिजर्व बनाने की तैयारी में जुट गया है.
बाघों के संरक्षण के लिए मनया जा रहा 'वर्ल्ड टाइगर डे’ साल 2008 में वाल्मीकि टाइगर रिजर्व में महज 8 बाघ थे. उसके बाद बाघों के संरक्षण पर जोर देने के कारण 2018 की गणना के मुताबिक वीटीआर में 31 बाघ पाए गए. इसके अलावा राज्य के अन्य इलाकों में 6 टाइगर का भी पता चला है. वर्ष 2019-20 के आंकड़े अभी आने बाकी हैं.
बाघों के संरक्षण के लिए मनया जा रहा 'वर्ल्ड टाइगर डे’ कैमूर को टाइगर रिजर्व बनाए जाने का प्रयास
वन विभाग के प्रधान सचिव दीपक कुमार सिंह ने बताया कि बाघों का वर्तमान आंकड़ा 45 के आसपास पहुंचा हुआ है. वीटीआर से भी बड़ा अभ्यारण्य बिहार के कैमूर में है. यह 1200 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है. जहां सर्वे का काम चल रहा है. कुछ महीने पहले सीसीटीवी फुटेज में एक बाघ के होने का प्रमाण मिला था. इसी को देखते हुए यहां टाइगर रिजर्व बनाए जाने की पूरी संभावना है. इसी कारण से वन विभाग इस ओर प्रयास कर रहा है.
सीसीटीवी फुटेज में एक बाघ के होने का मिला था प्रमाण 'जंगली जानवरों के साथ प्राकृतिक सौंदर्यता की भरमार'
इसके साथ ही वन विभाग के प्रधान सचिव दीपक कुमार सिंह ने कहा कि कैमूर वन्य प्राणी अभयारण्य, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश की सीमा से सटा हुआ है. ऐसे में यहां बाघों के लिए बेहतर व्यवस्था हो सकती है. साथ ही उन्होंने बताया कि कैमूर वन्य प्राणी अभयारण्य में जंगली जानवरों के साथ प्राकृतिक सौंदर्य की भी भरमार है. यही वजह है कि सरकार इसे टाइगर रिजर्व के रूप में विकसित करने का प्रयास कर रही है.
जानकारी देते वन विभाग के प्रधान सचिव दीपक कुमार सिंह रूस के सेंट पीटर्सबर्ग में बाघ सम्मेलन का आयोजन
'वर्ल्ड टाइगर डे’ की शुरुआत को लेकर साल 2010 में रूस के सेंट पीटर्सबर्ग में बाघ सम्मेलन का आयोजन किया गया था. इसमें 13 देशों ने हिस्सा लिया था. जिसमें 2022 तक बाघों की संख्या को दोगुनी करने का लक्ष्य रखा गया था. इसी कारण से केंद्र सरकार के साथ राज्य सरकार भी बाघों के संरक्षण को लेकर ध्यान दे रही है. वहीं, वर्ल्ड वाइल्डलाइफ फंड और ग्लोबल टाइगर फोरम की ओर से जारी 2016 के आंकड़ों में बताया गया कि पूरी दुनिया में तकरीबन 6000 बाघ ही बचे हैं. जिनमें से 3891 बाघ इंडिया में मौजूद है. बता दें कि पूरी दुनिया में बाघों की कई किस्म की प्रजातियां पाई जाती हैं जिसमें से 6 प्रजातियां प्रमुख हैं. इनमें साइबेरियन बाघ, बंगाल बाघ, इंडोचाइनीज बाघ, मलायन बाघ, सुमात्रा बाघ और साउथ चाइना बाघ शामिल हैं.