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Patna High Court : जस्टिस के. विनोद चंद्रन बन सकते हैं चीफ जस्टिस, सुप्रीम कोर्ट कालेजियम ने की सिफारिश - जस्टिस के विनोद चंद्रन चीफ जस्टिस

सुप्रीम कोर्ट कालेजियम ने केरल हाईकोर्ट के वरीयतम जज जस्टिस विनोद के. चंद्रन को पटना हाइकोर्ट के चीफ जस्टिस के पद पर नियुक्त करने की अनुशंसा की है. फ़िलहाल पटना हाई कोर्ट के जस्टिस चक्रधारी शरण सिंह एक्टिंग चीफ जस्टिस के रूप में कार्य कर रहे हैं. पटना हाई कोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस संजय करोल के सुप्रीम कोर्ट में पदोन्नति के बाद यह पद खाली हो गया है.

Patna High Court
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Published : Feb 8, 2023, 10:58 PM IST

पटनाः केरल हाईकोर्ट के वरीयतम जज जस्टिस विनोद के. चंद्रन पटना हाइकोर्ट के चीफ जस्टिस हो सकते हैं. सुप्रीम कोर्ट कालेजियम ने इस पद पर उन्हें नियुक्त करने की अनुशंसा की है. फिलहाल पटना हाई कोर्ट के वरीयतम जज जस्टिस चक्रधारी शरण सिंह ने एक्टिंग चीफ जस्टिस के रूप में कार्य कर रहे हैं. जस्टिस के. विनोद चंद्रन को जज के रूप 08 नवंबर, 2011 को नियुक्त किया गया था. वह 24 अप्रैल, 2025 को सेवानिवृत होने वाले हैं. केंद्र सरकार की मुहर लगने के बाद जस्टिस विनोद के. चंद्रन पटना हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस के पद और गोपनीयता की शपथ लेंगे.

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सुप्रीम कोर्ट में पदोन्नति के बाद पद खालीः पटना हाई कोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस संजय करोल के सुप्रीम कोर्ट में पदोन्नति के बाद यह पद खाली है. बता दें कि पटना हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस संजय करोल एवं जस्टिस ए अमानुल्लाह सुप्रीम कोर्ट के जज बनाए गए हैं. 13 दिसंबर 2022 को हुई कॉलेजियम की बैठक में पटना हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस संजय करोल एवं वरीय जज जस्टिस ए अमानुल्लाह की अनुशंसा की गई थी, जिसपर केंद्र सरकार ने शनिवार को मुहर लगा दी. जस्टिस संजय करोल को 11 नवंबर 2019 को पटना हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस के रूप में नियुक्त किया गया था.

रेप के आरोपी डीएसपी की जमानत याचिका खारिजः पटना हाई कोर्ट ने रेप के आरोप में गया में डीएसपी के पद पर रहे पुलिस अधिकारी कमला कांत प्रसाद की अग्रिम जमानत अर्जी खारिज कर दी. जस्टिस राजीव रॉय ने यह आदेश दिया. कोर्ट का कहना था कि पीड़िता याचिकाकर्ता की बेटी की उम्र की थी. दशहरा के समय जब कोई स्टाफ मौजूद नहीं था, तो अपने आधिकारिक क्वार्टर का दुरुपयोग करते हुए पुलिस अधिकारी ने पीड़िता के साथ कथित तौर पर बलात्कार किया.

ये मामला महिला थाना कांड संख्या 18/ 2021 से जुड़ा हुआ है. याचिकाकर्ता घटना के वक्त गया में डीएसपी हेडक्वार्टर के तौर पर पदस्थापित था. याचिकाकर्ता की ओर से वरीय अधिवक्ता रमाकांत शर्मा का कहना था कि प्राथमिकी दर्ज करने में असामान्य रूप से देरी की गयी. वहीं, पीड़िता/ इंफॉर्मेंट के वरीय अधिवक्ता अमित श्रीवास्तव का कहना था कि पीड़िता को सेविका (मेड सर्वेंट) के रूप में रखा गया था. उसे याचिकाकर्ता की पत्नी की सेवा करने के लिए पटना जाना था. इसी के लिए पीड़िता के भाई ने याचिकाकर्ता के सरकारी क्वार्टर पर लाया था. उसे कैंपस में छोड़ दिया था, ताकि उसे गया से पटना दूसरे दिन ले जाया जा सके.

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