पटनाःबिहार में एनडीए ने चुनावी समर में उतरने के लिए अपनी कमर कस ली है. भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने 23 अगस्त को बिहार भाजपा कार्यसमिति को संबोधित करते हुए साफ कर दिया कि एनडीए 2020 में नीतीश के विकास वाले चेहरे की बदौलत चुनाव में जाएगी और जीत दर्ज करेगी.
बिहार में एनडीए की जीत
जेपी नड्डा ने साफ किया कि भाजपा के कार्यकर्ताओं के लिए सिर्फ पार्टी की सीटों के लिए काम करना बड़ी चुनौती नहीं है. उन्हें लोजपा और जदयू की सीटों पर भी मजबूती से काम करना होगा ताकि बिहार में एनडीए की जीत हो.
नीतीश के नेतृत्व में विकास
जेपी नड्डा ने अपने संबोधन में कहा कि नरेंद्र मोदी के विकास का आधार और नीतीश कुमार के बिहार का विकास एनडीए को चुनाव में जीत दिलाएगी. उन्होंने लोजपा के साथ को भी जोड़ करके रखा और साफ किया कि नीतीश के नेतृत्व में हुए विकास और लोजपा के साथ के बदौलत एनडीए फिर से बिहार में सरकार बनाएगी.
नीतीश को लेकर हमलावर चिराग
भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष के इस बयान के बाद चिराग की चुनौती बढ़ गई है. हाल के दिनों में लोजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष और सीएम नीतीश कुमार को लेकर हमलावर थे. जेपी नड्डा के बयान से अब यह साफ है कि चिराग पासवान को नीतीश के नेतृत्व में ही चुनाव में जाना होगा.
घर-घर जाकर कैंपेन
जेपी नड्डा ने भाजपा कार्यसमिति की बैठक में साफ कर दिया कि नरेंद्र मोदी और नीतीश के विकास के बदौलत बिहार में नई क्रांति आई है. उन्होंने इसे जनता तक पहुंचाने के लिए भाजपा कार्यकर्ता को घर घर जाकर कैंपेन करने और नीतीश कुमार के विकास को लोगों के बीच रखने के लिए कहा.
बीजेपी ने स्टैंड किया क्लीयर
नड्डा के इस बयान के बाद मामला साफ है कि चिराग पासवान नीतीश कुमार पर जिस तरीके से हमलावर हैं उसे भाजपा बहुत तरजीह देने की स्थिति में नहीं है. चिराग पासवान के नीतीश के बयान पर बीजेपी चुप ही रही है. लोजपा को इस बात से उम्मीद थी कि भाजपा कार्यसमिति की बैठक में कुछ अलग से बयान आए, लेकिन बीजेपी ने एनडीए को लेकर स्टैंड को क्लीयर किया है. जिससे एक बात तो साफ है कि चिराग पासवान को 2020 में भाजपा की तरफ से अलग से राह मिलती नहीं दिख रही है.
चिराग को बदलनी होगी राजनीति की दिशा
चिराग पासवान के हमले देखते हुए राजनीतिक विश्लेषक ने इस बात को मानना शुरू कर दिया था कि उन्हें लेकर भाजपा टीम बी तैयार कर रही है. कार्य समिति की बैठक में जेपी नड्डा ने अपने संबोधन में लगभग एक दर्जन बार नीतीश कुमार के नेतृत्व और विकास की बात कही. जिससे यह पता चलता है कि भाजपा के लिए बिहार में अगर कोई चेहरा, कोई नीति, पार्टी को राज्य में कुछ बताना है, राजनीति के लिए कुछ कहना है तो वह नीतीश का नेतृत्व है. ऐसे में चिराग पासवान को अपनी राजनीति की दिशा बदलनी होगी.
2015 में राजनीतिक क्षति
अब सवाल यह उठ रहा है कि चिराग पासवान अगर नीतीश कुमार पर लगातार हमलावर रहे तो एनडीए गठबंधन धर्म बिगड़ने लगेगा. भाजपा ने 2015 में इससे अलग जाकर जिस राजनीतिक क्षति को महसूस किया है उसके बाद वह नीतीश को नाराज नहीं करना चाहेगी.
गठबंधन धर्म का विरोध
नीतीश के नेतृत्व में चुनाव होगा यह बीजेपी का नेतृत्व कह चुका है. भाजपा कार्यसमिति की बैठक में इसे कई बार कहा गया. ऐसे में चिराग पासवान के लिए चुनौती बड़ी हो गई है कि अगर अब नीतीश कुमार पर हमलावर होते हैं तो यह गठबंधन धर्म के विरोध की बात होगी.
एनडीए से अलग हुए थे नीतीश
बिहार में 2020 का चुनाव नई नीतियों के तहत इसलिए भी कहा जा रहा है कि नीतीश कुमार का एनडीए से अलग होना और फिर वापसी करना 2015 और 2020 के चुनाव के विभेद को बांटने का भी एक मामला है. दरअसल 2015 में नरेंद्र मोदी के चेहरे और नीतियों की नाराजगी के कारण ही नीतीश कुमार एनडीए से अलग हुए थे. हालांकि, गठबंधन जहां बना था वह भी बहुत ज्यादा टिक नहीं पाया.
चिराग कितनी बड़ी चुनौती?
नीतीश जैसे चाहेंगे बिहार में भाजपा वैसे उनके साथ रहेगी. ऐसे में चिराग पासवान का नीतीश कुमार से नाराज होना भाजपा के उस नीतिगत सिद्धांत के विरोध के साथ भी जाना हो जाएगा. जो भाजपा ने नीतीश कुमार के लिए कह रखा है. अब देखना है कि भाजपा कार्यसमिति की बैठक में एनडीए ने जिस तरीके से नीतीश कुमार पर अपना भरोसा जताया है उसके बाद चिराग पासवान का रूप क्या होता है और इस गठबंधन के लिए एनडीए के लिए चिराग कितनी बड़ी चुनौती बनते हैं.