पटना:यह आंदोलन पूरे देश में ऐसा फैल गया कि देखते ही देखते राजनीति का चेहरा ही पूरी तरह बदल गया. ये आंदोलन करीब एक साल चला. देश ने जेपी आंदोलन के साथ ही आपातकाल का बुरा दौर देखा भी और उसे झेला भी. लेकिन आपातकाल के 46 साल बीत जाने के बाद भी बीजेपी के सपने सच नहीं हो पाए. बेरोजगारी, महंगाई, भ्रष्टाचार और शिक्षा में सुधार आज भी मुद्दा है. और इसी के इर्द-गिर्द देश की राजनीति भी घूम रही है.
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क्या थी संपूर्ण क्रांति
संपूर्ण क्रांति, जयप्रकाश नारायण का विचार और नारा था जिसका आह्वान उन्होंने इंदिरा गांधी की सत्ता को उखाड़ फेंकने के लिए किया था. पटना के ऐतिहासिक गांधी मैदान में जयप्रकाश नारायण ने संपूर्ण क्रांति का आह्वान किया था. मैदान में मौजूद लाखों लोगों ने जात-पात, भेद-भाव छोड़ने का संकल्प लिया था. भ्रष्टाचार के खिलाफ शुरू हुई इस क्रांति में बाद में बहुत सी चीजें जुड़ गई. और इसका परिवर्तित रुप देखने को मिला. संपूर्ण क्रांति की तपिश इतनी भयानक थी कि केंद्र में कांग्रेस को सत्ता से हाथ धोना पड़ गया था. बिहार से उठी संपूर्ण क्रांति की चिंगारी देश के कोने कोने में फैलकर आग बनकर भड़क रही थी. लालू यादव, नीतीश कुमार, सुशील मोदी समेत आज के नेता उसी छात्र युवा संघ वाहिनी के सदस्य थे.
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आपातकाल के 46 साल
शिक्षा में सुधार, बेरोजगारी, महंगाई और भ्रष्टाचार आज भी चुनावी मुद्दा है. देश की राजनीति भी इन्हीं मुद्दों के इर्द-गिर्द घूमती है. 25 जून 1975 से 21 मार्च 1977 देश में आपातकाल लागू था. 21 महीने तक जनता को आपातकाल झेलना पड़ा था. आपातकाल के 46 साल बीत जाने के बाद भी देश और बिहार जैसे राज्य की समस्या जस की तस है. बेरोजगारी और महंगाई जैसी समस्या मुंह बाए खड़ी हैं.
जेपी आंदोलन से डर गई थीं इंदिरा गांधी
दरअसल, इलाहाबाद हाईकोर्ट के जगह जगमोहन लाल सिन्हा ने इंदिरा गांधी के विरुद्ध फैसला दिया और उसमें कहा गया कि उनका सांसद चुना जाना अवैध है क्योंकि उन्होंने सरकारी मशीनरी और संसाधनों का दुरुपयोग किया था. साथ ही अगले 6 साल तक के लिए उनके कोई भी चुनाव लड़ने पर रोक लगा दी गई थी. कोर्ट की उठापटक के बीच बिहार, गुजरात में कांग्रेस के खिलाफ छात्रों का आंदोलन उग्र हो रहा था. बिहार में इस आंदोलन को जयप्रकाश नारायण हवा दे रहे थे.