पटना: बिहार को आंदोलन की धरती कहा जाता है. महात्मा गांधी ने भी आंदोलन के लिए बिहार को ही चुना था. बिहार के सपूत जयप्रकाश नारायण ने स्वतंत्रता आंदोलन में भी भाग लिया था. उसके बाद उन्होंने 70 के दशक में जय प्रकाश नारायण ने पटना के गांधी मैदान से दिल्ली में बैठीं तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को हिला दिया था. आज उसी जयप्रकाश नारायण की 121 वीं जयंती है.
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हजारीबाग जेल से फरार हो गये थेः जेपी आंदोलन में सक्रिय रहे राजद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष शिवानंद तिवारी कहते हैं कि जयप्रकाश नारायण की चर्चा भले ही संपूर्ण क्रांति आंदोलन के चलते होती है लेकिन स्वतंत्रता आंदोलन में जेपी ने जो भूमिका निभाई वह अविस्मरणीय है. जयप्रकाश नारायण कई बार जेल गए और फिर जेल से छूटे भी. हजारीबाग जेल से भागने की घटना भी इतिहास के पन्नों में दर्ज है. इस घटना ने पूरे देश में आंदोलन को और तीव्र कर दिया था.
जेपी के सपनों को उनके शिष्यों ने ही दी तिलांजलिः जेपी मूवमेंट को करीब से समझने वाले डॉक्टर संजय कुमार का मानना है कि जेपी के सपने आज भी अधूरे हैं. जिन मुद्दों को लेकर जेपी ने आंदोलन किया था आज भी कमोबेश हालात वैसे ही हैं. ना तो भ्रष्टाचार में कमी आई है ना ही शिक्षा के स्तर में सुधार हुआ है. जाति पाति की राजनीति की जड़ें और भी गहरी होती जा रही है. जयप्रकाश नारायण जहां जाति पाती तोड़ने की बात करते थे वहीं आज जातिगत गणना कराई जा रही है.
संपूर्ण क्रांति आंदोलन को राष्ट्रव्यापी बना दियाः 1974 में जयप्रकाश नारायण ने एक बार फिर युवाओं के आह्वान पर आंदोलन में कूदने का फैसला लिया था. 72 साल की उम्र में जयप्रकाश नारायण ने संपूर्ण क्रांति आंदोलन को राष्ट्रव्यापी बना दिया था. जेपी आंदोलन की ज्वाला भले ही बिहार से भड़की थी लेकिन आंदोलन की शुरुआत गुजरात से हुई थी. गुजरात के कॉलेज में भोजन शुल्क में वृद्धि के खिलाफ छात्र आंदोलन कर रहे थे. छात्रों के आह्वान पर जेपी आंदोलन के नेतृत्व के लिए आगे आए थे. आंदोलन इतना तेज हुआ कि वहां कांग्रेस की सरकार चली गई.